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उद्धव ठाकरे बोले- महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों को चुनाव से पहले कर्नाटक को सौंपे जाने की चल रही तैयारी!

केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहे हैं शिंदे : उद्धव ठाकरे

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी महराज पर कथित टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र सरकार को घेरा है। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शिवाजी पर की गई टिप्पणी पर ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की चुप्पी की आलोचना की है। शिवसेना पक्ष प्रमुख ने आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे छत्रपति शिवाजी महराज के अपमान व कर्नाटक के साथ सीमा विवाद पर चुप्पी साध कर इन विवादों का समर्थन किया है।
उद्धव ठाकरे शनिवार को बुलढाणा के चिखली में एक किसान रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तमाम परियोजनाओं को विधानसभा चुनावों की वजह से गुजरात में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अक्कलकोट और सोलापुर (महाराष्ट्र) के लिए दावा पेश किया है। मुझे डर है कि अगले साल ये दोनों स्थान कर्नाटक को सौंपे जा सकते हैं। लेकिन महाराष्ट्र के बारे में सोचने की बजाय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र के हिस्से को कर्नाटक को सौंपने के विचार पर भी वह कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं।

शिवाजी महराज के अपमान पर भी चुप रहे मुख्यमंत्री
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिंदे, छत्रपति शिवाजी महराज को लेकर गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की विवादित टिप्पणी पर चुप हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना या महाराष्ट्र, कभी भी शिवाजी महराज का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी। छत्रपति शिवाजी महराज के अपमान के खिलाफ महाराष्ट्र बंद के आह्वान को पूरा समर्थन देने की उन्होंने लोगों से अपील की है।

कॉडर के बल पर फिर सत्ता में आएगी शिवसेना: उद्धव
उद्धव ठाकरे ने कहा कि एकनाथ शिंदे, मोदी के आशीर्वाद से बालासाहेब ठाकरे और शिवसेना के नाम को पाना चाहते हैं लेकिन हम अपने कॉडर के बल पर फिर सत्ता में आएंगे। महाराष्ट्र ही नहीं पूरा देश जानता है कि असली ‘शिवसेना’ कौन है। उन्होंने कहा कि विदर्भ में कुछ महीनों में एक हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली। लेकिन शिंदे सरकार चुप है। अगर वह मुख्यमंत्री होते तो किसानों को इस तरह आत्महत्या को मजबूर नहीं होना पड़ता। उन्होंने कहा कि किसानों को फसल ऋण बीमा की धनराशि मिलनी चाहिए लेकिन सरकार को किसानों की पड़ी नहीं है और न ही मतलब है।