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कानपुर: किसी भी हाल में विकास को पकड़ेंगे- एडीजी एलओ प्रशांत कुमार

कानपुर: एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने कहा ‘जब तक हम विकास दुबे और उसके गुर्गों को गिरफ्तार नहीं कर लेते तब तक हम चुप नहीं बैठेंगे। यूपी के कानपुर में चौबेपुर स्थित बिकरु गांव में बीते शुक्रवार को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोप में फरार कुख्यात अपराधी विकास दुबे को अभी तक नहीं पकड़ा जा सका है। हालांकि विकास दुबे और उसके गैंग के द्वारा 8 पुलिसवालों की हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन और लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इस तरह इस कांड में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गिरफ्तार हुए तीन लोगों के नाम सुरेश वर्मा, क्षमा दुबे और रेखा अग्निहोत्री है. विकास दुबे की रिश्तेदारी में आने वाली बहू क्षमा दुबे, बदमाशों का हौसला बढ़ाने वाला और पुलिस के छिपने की जानकारी देने वाला सुरेश वर्मा और घरेलू सहायिका रेखा; जो दयाशंकर अग्निहोत्री की पत्नी है, को गिरफ्तार किया गया. पुलिस आने की सूचना रेखा ने ही बदमाशों को दी थी।

विकास की नौकरानी रेखा…बच्चों के साथ (फाइल फोटो)

40 थानों की पुलिस विकास की तलाश में जुटी है, लेकिन अब तक उसका कोई सुराग़ नहीं मिला है। इस मामले में कई पुलिसवाले भी शुरू से ही संदेह के घेरे में हैं। इन पुलिसवालों पर विकास दुबे के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। ड्यूटी पर लापरवाही के आरोप में अब चौबेपुर थाने में तैनात दो सब इंस्पेक्टर, एक कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है। चौबेपुर के थाना इंचार्ज विनय तिवारी को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है।

गुरुवार की रात गैंगस्टर विकास दुबे के घर पर हुए मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए

मुठभेड़ के बाद गिरफ़्तार विकास के साथियों ने भी इस बात की तस्दीक की है कि मुठभेड़ से ठीक पहले विकास के पास पुलिस का फोन आया था, जिसमें उसे रेड की जानकारी दी गई थी। कई पुलिसवालों से इस सिलसिले में पूछताछ हो रही है और उनके कॉल रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।

विकास के घर से मिले कई अहम सुराग
बिकरू में दहशतगर्द विकास दुबे के खूनी खेल में उसके किले का हर एक ‘प्यादा’ शामिल था। प्रशासन और लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए उसने घर के नौकर-नौकरानी से लेकर गुर्गों तक के कई फर्जी वोटर आईडी भी बनवा रखे थे। जमीनों के बैनामों से लेकर वाहनों की खरीद फरोख्त और वारंटियों तक में फर्जी पहचानपत्रों का खेल किया जाता था।

विकास के घर से मिले फर्जी आईडी कार्ड

इस बात का खुुलासा सोमवार को विकास के अभिलेखों से मिले नौकर-नौकरानी के कई फर्जी पहचानपत्रों से हुआ। सूत्रों के अनुसार विकास ने अपने गुर्गों, रिश्तेदारों और नौकर-नौकरानी के नाम से कई चल और अचल संपत्ति बना रखी हैं। वहीं, जिन मामलों में उसे फायदा उठाने के बाद पैसे देने से बचना होता था, उनमें इन्हीं प्यादों के फर्जी पहचानपत्रों का इस्तेमाल करता था। इन पहचानपत्रों में फोटो किसी का और नाम, पता किसी और का है। खाली राशन कार्डों का मिलना भी इसी तरह की धोखाधड़ी करने की ओर इशारा करता है। सोमवार को विकास के ढहे किले की तफ्तीश के दौरान पुलिस को बिखरे हुए सामान के बीच कुछ पहचान पत्र पड़े मिले। पुलिस ने जांच पड़ताल की तो पता चला कि नौकर दयाशंकर की फोटो लगे हुए दूसरे पहचान पत्र में उसका नाम कल्लू अंकित है। इसी तरह उसकी पत्नी रेखा के भी दो पहचान पत्र हाथ लगे, जिसमें एक में पति का नाम दयाशंकर तो दूसरे में कल्लू ही अंकित है। पुलिस अब इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर वाहनों का फाइनेंस करने वाली कंपनियों और बैंकों से भी संपर्क कर साक्ष्य जुटाएगी।

विकास के घर पर मिले जिंदा बम
विकास दुबे के पुराने घर के मलबे में पुलिस टीम को तलाशी के दौरान तीन जिंदा बम मिले हैं। जिन्हें पानी में डालकर नष्ट किया जा रहा है। एक दिन पहले भी पुलिस को विकास के घर में मिले बंकर से भारी मात्रा में विस्फोटक, कारतूस और हथियारों का जखीरा मिला था।

जांच के लिए बिकरू पहुंची आईजी रेंज लखनऊ लक्ष्मी सिंह
मंगलवार को आईजी रेंज लखनऊ लक्ष्मी सिंह ने बिल्हौर पहुंचकर सीओ कार्यालय के सभी कर्मचारियों से पूछताछ की। उन्होंने बंद कमरे में एसओ बिल्हौर से पूछताछ की जिसके बाद सीओ कार्यालय बिल्हौर के कंप्यूटर व सीपीयू को सीज कर लिया गया है।

विकास दुबे के खजांची के घर पुलिस का छापा
विकास दुबे की तलाश में जुटी पुलिस मंगलवार को उसके खजांची जय वाजपेयी के घर पहुंची। पुलिस ने जय विला में छापेमारी कर तमाम जरूरी चीजें खंगाली। इसके साथ ही पुलिस ने विकास से संबंधित सभी वांछितों की फोटो के साथ एक पोस्टर भी जारी किया है।

पुलिस लाइन के 10 कांस्टेबलों को चौबेपुर पुलिस स्टेशन में मिली तैनाती
वहीं पुलिस लाइन में तैनात 10 कांस्टेबलों को मंगलवार को ही चौबेपुर पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया है। सभी सिपाही पुलिस लाइन से चौबेपुर थाने भेजे गए है। आईजी रेंज कानपुर के मुताबिक चौबेपुर थाने का पूरा स्टाफ कानपुर एनकाउंटर के मामले में जांच के दायरे में हैं।

इस मामले में पहले ही पूर्व एसओ चौबेपुर की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। सोमवार को भी चौबेपुर थाने के तीन पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध मिलने पर उन्हें भी सस्पेंड किया गया है। बताया जा रहा है चौबेपुर थाने के पुलिसकर्मियों के नंबर विकास के मोबाइल में मिले हैं। जांच टीम पूरे चौबेपुर थाने को विकास दुबे का मुखबिर मानते हुए सभी से पूछताछ कर रही हैं।

यूपी का कुख्यात अपराधी विकास दुबे (फाइल फोटो)

गोलियों की तड़तड़ाहट सुन-सुन कर आदी हो चुके थे ग्रामीण
पुलिसकर्मियों से खूनी खेल खेलने के बाद भले ही विकास दुबे फरार हो गया हो, लेकिन ग्रामीणों में अभी भी उसके लौटकर आने को लेकर दहशत साफ तौर पर देखने को मिली। ग्रामीणों ने कहा वो पंडितजी के खिलाफ कुछ नहीं बोल सकते हैं। जब पुलिसवाले खुद को न बचा जाए, तो हमार कौउन गारंटी है। गुरुवार की रात जब विकास और उसके गुर्गे पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसा रहे थे, तो उस वक्त ग्रामीण अपने घरों में सुकून की नींद सो रहे थे।
यह कहना है विकास दुबे के घर के पीछे रहने वाले कुछ ग्रामीणों का। उन्होंने बताया कि बिकरू में आए दिन कभी किसी से विवाद को लेकर तो कभी सिर्फ असलहों की टेस्टिंग के कारण अक्सर पंडितजी के घर से फायरिंग की आवाजें आती रहती थीं। गोलियों की तड़तड़ाहट सुन-सुन कर वो इसके इतने आदी हो चुके थे, कि अब उन्होंने इस पर ध्यान देना ही बंद कर दिया था।
ग्रामीणों के अनुसार, गुरुवार को हुई घटना के चार दिन पहले भी पंडितजी का किसी से विवाद हुआ था, जिसमें भी ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी। इसके बाद जब गुरुवार की रात भी फायरिंग की आवाजें आईं तो इसे आम दिनों की तरह गोलियों की तड़तड़ाहट समझकर किसी ने अपने घरों से बाहर निकलने की जहमत नहीं उठाई। विकास के खिलाफ बयान देने के सवाल पर ग्रामीणों ने साफ कहा कि अगर वो बचकर आ गया तो किसी को भी नहीं छोड़ेगा।

चार दिनों से लाइट गुल, आटा की चक्कियां बंद
गांव में दो आटा की चक्कियां हैं। ग्रामीणों ने बताया कि घटना के बाद से बिकरू समेत आसपास के गांवों की लाइट काट दी गई है। इससे गांव व आसपास की सभी चक्कियां बंद हो गई हैं। ऐसे में लोग गेहूं नहीं पिसा पा रहे हैं। जिससे ग्रामीणों के सामने सिर्फ चावल खाकर पेट भरने के अलावा कोई उपाय नहीं है।

कंट्रोल रूम में चौथे दिन भी मिले कारतूस
विकास ने अपने घर में आगे के जिस कमरे को सीसीटीवी कैमरों का कंट्रोल रूम बना रखा था, वहां से घटना के चौथे दिन भी पुलिस ने कई कारतूस और खोखे बरामद किए हैं। यहां से पुलिस को कई लोगों के नाम से असलहों के लाइसेंस भी बरामद हुए। ऐसे में आंकलन लगाया जा रहा है कि विकास ने धोखाधड़ी कर कई लोगों के नाम से असलहा ले रखा था। इसके अलावा पुलिस ने कमरे से एक वायरलेस माइक भी बरामद किया है, जिसका इस्तेमाल वह अपने गुर्गों से संपर्क में बने रहने के लिए करता था।

बिठूर के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह

कयामत की वो काली रात, गोलियों की बौछार, एसओ ने सुनाई आपबीती
बिकरू गांव में गुरुवार की रात गैंगस्टर विकास दुबे के घर छापा मारने गई पुलिस टीम पर हुए कातिलाना हमले के प्रत्यक्षदर्शी बिठूर थानाध्यक्ष ने हमले की आपबीती सुनाई। पिछले करीब एक दशक में पुलिस पर हुए सबसे दुस्साहसिक हमलों में शुमार कानपुर पुलिस और बदमाशों के बीच हुए एनकाउंटर में जिंदा बचे बिठूर के थानाध्यक्ष कौशलेंद्र प्रताप सिंह आज भी वारदात को याद कर सिहर उठते हैं।
कानपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थानाध्यक्ष ने बताया, पुलिस दल को तनिक भी जानकारी नहीं थी कि बदमाश अचानक पानी की तरह गोलियों की बौछार कर देंगे। पुलिस के पास उस हमले का जवाब देने के लायक हथियार भी नहीं थे। दूसरी ओर हमलावर पूरी तरह से तैयार थे। उन सब के पास सेमी ऑटोमेटिक हथियार थे। जैसे ही टीम गली में खड़ी की गई जेसीबी को पार कर आगे बढ़ी, छत से गोलियों की बौछार शुरू हो गई। पुलिसकर्मियों को अंधेरे का सामना करना पड़ा जबकि हमलावरों के पास टॉर्च थी। जिनकी रोशनी सिर्फ पुलिसकर्मियों पर पड़ रही थी। पुलिस बदमाशों को देख भी नहीं पा रही थी। बिठूर थानाध्यक्ष ने कहा, उन्हें फोन करके इस छापेमारी के लिए बुलाया गया था क्योंकि चौबेपुर और बिठूर एक दूसरे से सटे हुए इलाके हैं। रात करीब 12:30 बजे हम विकास दुबे के मकान पर मयफोर्स छापा डालने के लिए निकले थे। हमारे साथ चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी भी थे। हमने अपने वाहन विकास दुबे के घर से 200 ढाई सौ मीटर की दूरी पर खड़े किए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस जैसे ही जेसीबी वाहन को फांदकर दूसरी तरफ पहुंची, बमुश्किल एक मिनट के अंदर छत से ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगीं। पहले राउंड में तीन पुलिसकर्मियों को गोलियां लगी, जबकि बाकी पुलिसकर्मी जहां-तहां छिप गए। जिसे जो जगह मिली वह वहां दुबक गया। जब तक हम संभल पाए हमारे आठ साथी मारे जा चुके थे।

कानपुर का बिकरू गांव, विकास दुबे की अब भी दहशत, ग्रामीण बोले- पुलिस वाले खुद को बचा न पाए, तो हमार कौउन गारंटी…ग्रे जैकेट में बीच में विनय तिवारी चौबेपुर थानाध्यक्ष