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गैंगस्टर राजू ठेहट मर्डर केस में बड़ा एक्शन; पुलिस ने २४ घंटे के भीतर सभी 5 आरोपी हत्यारों को पकड़ा!

सीकर: राजस्थान के सीकर जिले में पिपराली रोड पर स्थित उद्योग नगर में शनिवार की सुबह जब हर कोई अपने काम में व्यस्त था तभी जिला ताबड़तोड़ गोलियों की आवाज से थरथरा उठा। गैंगस्टर राजू ठेहट के घर लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप के गुर्गों ने दस्तक दी और लगातार गोलियां बरसाकर राजू ठेहट को मौत के घाट उतार दिया। राजू ठेहट पर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गैंगस्टरों के ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने से चारों तरफ अफरातफरी मच गयी और हर कोई इधर-उधर भागने लगा।
हत्या के बाद लॉरेंस विश्नोई ग्रुप के रोहित गोदारा ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली। रोहित गोदारा ने ट्वीटर और फेसबुक के जरिए एक पोस्ट किया और कहा कि ‘राजू’ हमारे बड़े भाई आनंदपाल, बलबीर की हत्या में शामिल था, जिसका हमने बदला लिया है। इसके साथ ही उसने कहा कि हमारे और दुश्मनों से जल्द मुलाकात होगी। मिली जानकारी के अनुसार राजू ठेहट के एक और साथी को गोली लगी है।

पैरोल पर वापस आया था राजू ठेहट
बता दें कि आठ साल जेल में बिताने के बाद राजू ठेहट पैरोल पर बाहर आया था। ठेहट की राजस्थान में गैंगस्टर्स आनंदपाल सिंह से करीब दो दशक वर्चस्व की लड़ाई चली थी। आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद राजू ठेहट का वर्चस्व बढ़ गया था। राजू इन दिनों घर पर रहकर पीजी हॉस्टल का संचालन कर रहा था।
जयपुर जेल में बंद रहने के दौरान राजू अपनी गैंग को बढ़ाने के मकसद से जयपुर में भी अपना ठिकाना बनाया। जहां उसको जयपुर के स्वेज फार्म में जिस मकान से पकड़ा गया, उसकी कीमत 3 करोड़ रुपए बताई जा रही है। कुछ समय पहले ही राजू ठेहट ने जयपुर के महेश नगर स्थित स्वेज फार्म में BJP नेता (पूर्व विधायक) प्रेम सिंह बाजोर के मकान को ठिकाना बनाया था। जहां उसकी सुरक्षा के लिए घर पर 30 से अधिक CCTV कैमरे लगाए थे। तीन गनमैन भी साथ रहते थे। ठेहट के जेल में बंद होने के दौरान भी फिरौती मांगकर संरक्षण देने के कई मामले सामने आए थे। राजू ठेहट गैंग (RTG) परिवार से लोग गैंगस्टर के साथ जुड़ रहे हैं।

लग्जरी लाइफ का शौकीन था राजू
लग्जरी लाइफ के शौकीन राजू ठेहट महंगी कारें और बाइक पर काफिले के साथ घूमता रहता था। गैंगस्टर राजू ठेहट को ‘सीकर बॉस’ के नाम से बुलाया जाता था। पैरोल पर बाहर आने के बाद लोगों में सक्रिय रहने के लिए वह रील बनाकर सोशल मीडिया पर भी डालता रहता था।

बताया जा रहा है कि राजू ठेहट की हत्या के बाद फरार हुए बदमाशों ने रास्ते में फायरिंग की और ऑल्टो कार से नीमकाथाना की ओर फरार हो गए। खेतड़ी में उन्होंने हथियारों के दम पर एक 1786 नंबर की क्रेटा गाड़ी रुकवाई। क्रेटा में सवार जयपुर निवासी पिता पुत्र को बदमाशों ने गोली मार दी और ऑल्टो वहीं छोड़कर क्रेटा लेकर फरार हो गए। सूचना मिली है कि खेतड़ी थाना अधिकारी ने नाकाबंदी के दौरान बदमाशों की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया लेकिन बदमाश हवाई फायर करते हुए गाड़ी को भगा ले गए। पुलिस प्रदेशभर में नाकाबंदी कर बदमाशों की तलाश में जुटी रही।

लेडी डॉन है ‘राजू ठेहट मर्डर’ की मास्टरमाइंड!
बताया जा रहा है कि राजू ठेहट के मर्डर की मास्टरमाइंड एक लेडी डॉन है जो कि कथित तौर पर आनंदपाल की गर्लफ्रेंड रही ‘अनुराधा’ है। 2017 में जब गैंगस्टर आनंदपाल पुलिस एनकाउंटर में मारा गया, तब लेडी डॉन अनुराधा ने गिरोह की कमान भी संभाली और बाद में अनुराधा ने काला जठेड़ी और लॉरेंस बिश्नोई से हाथ मिला लिया। अनुराधा के खिलाफ हत्या के प्रयास, रंगदारी वसूलने, लूट समेत कई संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई मामले में आरोप के चलते लेडी डॉन अनुराधा को हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार किया था। वहीं इस दौरान हाल ही में NIA ने अनुराधा से पूछताछ भी की थी।
इस बीच लेडी डॉन अनुराधा ने इस हत्याकांड में अपनी भूमिका से साफ इनकार किया है। उसका कहना है कि वह अपराध का रास्ता छोड़ चुकी है। अनुराधा ने कहा है कि मेरा इस हत्याकांड से कोई लेना देना नहीं है। मैं अब अपराध का रास्ता छोड़ चुकी हूं!

दस सालों से चल रही थी राजू ठेहट को टपकाने की प्लानिंग!
बताया जा रहा है कि गैंगस्टर राजू ठेहट बीते 10 सालों से इस गैंग के निशाने पर था। वहीं इस प्लान में लॉरेंस बिश्नोई के साथ ही आनंदपाल गैंग और काला जठेड़ी गैंग से जुड़े शूटर शामिल थे, जो राजू ठेहट को मारने की प्लानिंग कर रहे थे। दरअसल, राजू ठेहट ने जेल में बंद होने के बावजूद आनंदपाल से रंजिश के चलते उसे मारने का प्लान बनाया था। हालांकि, इस दौरान एक अन्य व्यक्ति को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

ऐसे हुई गैंगस्टर राजू ठेहट की हत्या!
घटना ने जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियों में देखा जा रहा है कि चारों बदमाश कोचिंग स्टूडेंट्स की ड्रेस पहनकर आए थे। उन्होंने पहले राजू ठेहट के घर की घंटी बजाकर उसे बाहर बुलाया और इसके बाद चारों बदमाशों में से एक ने राजू के साथ फोटो खिंचवाने का बहाना किया। वहीं दूसरा फोटो खींचने के लिए राजू के सामने खड़ा हो गया। लेकिन इस दौरान युवक ने मोबाइल की जगह तमंचा निकाल लिया और गैंगस्टर राजू पर फायरिंग कर दी। राजू ठेहट को 7 से ज्यादा गोली लगने की जानकारी है। बताया जा रहा है कि फायरिंग के दौरान एक युवक ने घटना का वीडियो भी बनाया। वीडियो में यह भी देखने को मिला है कि राजू के मर्डर से पहले हथियारबंद शातिर बदमाशों ने राजू के घर के बाहर एक टैक्टर खड़ा कर दिया, ताकि उसे को भागने की जगह भी ना मिल सके। हत्या करने के बदमाश ऑल्टो कार से बंदूक लहराते हुए बड़े ही आसानी से मौके से फरार हो गए! दिन-दहाड़े हुए इस हत्याकांड से पूरा शेखावटी इलाका दहला हुआ। घटना के बाद तनाव को देखते हुए सीकर पुलिस इस मामले में जल्द ही धारा 144 लगाने के साथ ही इंटरनेट बंद करने की तैयारी भी कर रही है।

शराब बेचने वाला कैसे बना राजस्थान का सबसे बड़ा गैंगस्टर?
राजू ठेहट के साथ में बलवीर बानूड़ा का नाम लगातार चर्चा में रहा। बलवीर बानूड़ा कौन था और राजू ठेहट का उससे क्या ताल्लुक था यह पूरा घटनाक्रम किसी फिल्मी कहानी से काम नहीं है! आइये जानते हैं…

दोनों किसी समय में दोस्त थे और उसके बाद ऐसी दुश्मनी हुई की लाशें बिछती ही चली गई। यह पूरा घटनाक्रम साल 1990 का है। पुलिस अफसरों का कहना है कि सीकर में बलवीर बानूड़ा अपना पैतृक व्यवसाय संभालता था। वह किसान था और साथ में गाय और भैंस का दूध बेचता था। दूध बेचकर वह खुश था और उसी से अपना परिवार पालता था। उसके बाद 1994 में उसकी मुलाकात राजू ठेहट से हुई। दोनों की मुलाकात दोस्ती में बदली और दोस्ती फिर शुरू हो गई।

दूध का कारोबार छोड़कर दोनों शराब के कारोबार में उतरे
1995 में राजू ठेहट ने शराब कारोबार में हाथ डाला और बलवीर को कहा कि वह भी उसके साथ आ सकता है। दूध बेचने में कोई पैसा नहीं है। कुछ समय सोचने के बाद राजू से बलवीर ने हाथ मिलाया और दूध का कारोबार छोड़कर शराब कारोबार में दोनों दोस्त उतर गए। दो-तीन साल में ही राजू और बलवीर दोनों की लाइफ स्टाइल बदल गई। साइकिल पर चलने वाले दोनों दोस्त बुलेट गाड़ियां चलाने लगे और उसके बाद लग्जरी कारों में घूमने लगे। शराब का धंधा दोनों को जमकर भा रहा था।

यूं दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदलती चली गई!
तीन साल के बाद साल 1998 में दोनों ने अपराध की दुनिया में भी कदम रख दिया। बलबीर और राजू ने मिलकर अपने प्रतिद्वंदी भीमाराम नाम के एक गैंगस्टर की हत्या कर दी। उसके बाद उनका इलाका और बढ़ गया। अब सीकर के अलावा शेखावटी इलाके में भी अवैध और वैध शराब बेचना शुरू कर चुके थे। सब कुछ आने वाले 6 से 7 साल तक बहुत अच्छा चलता रहा और दोनों ने संपत्तियां बनाना शुरू कर दिया। लग्जरी गाड़ियां लेने लगे और नेताओं के बीच में उठने-बैठने लगे। लेकिन इस दोस्ती को नज़र लगी और उसके बाद सब कुछ बिगड़ता चला गया। लाशें बिछती चली गई। साल 2004 में सीकर में जीण माता मंदिर के पास शराब की दुकान को लेने के बाद दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदलती चली गई।

साले की हत्या के बाद दोनों बन गए कट्टर दुश्मन
आबकारी विभाग की ओर से यह लॉटरी राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा ने मिलकर ली थी। उसके बाद बलवीर ने इस दुकान का काम संभालने के लिए अपने साले विजयपाल को वहां लगा दिया। विजयपाल सिंह हर रात को दुकान का पूरा हिसाब राजू और बलवीर को देता था। लेकिन राजू को ऐसा लगता था कि दुकान में मुनाफा ज्यादा है और विजयपाल उसे कम पैसा देता है। इस बात को लेकर विजयपाल और बलवीर के साथ राजू का झगड़ा हुआ। तो कुछ दिन बाद ही राजू ने विजयपाल की हत्या कर दी। अपने साले की हत्या के बाद बलवीर बानूड़ा ने राजू को ठिकाने लगाने की तैयारी कर ली। लेकिन धन बल में वह उससे कम था। इस कारण उसने शेखावटी के सबसे बड़े गैंगस्टर आनंदपाल सिंह से हाथ मिला लिया। यह दोस्ती इतनी गहरी रही कि अब आए दिन दोनों पक्षों में गैंगवार होने लगी।

जेल में ही गैंगवार में तब्दील हो गया
साल 2012 में राजस्थान पुलिस ने बलवीर, आनंदपाल और राजू तीनों को गिरफ्तार कर लिया और एक ही जेल में बंद कर दिया। इस दौरान सीकर जेल में राजू पर हमला हुआ। लेकिन वह बाल-बाल बच गया। उसे पता चला कि यह हमला बलवीर और आनंदपाल सिंह ने कराया है, तो वह दोनों के खून का प्यासा हो गया। यह सब कुछ जारी रहा उसके बाद साल 2014 में बीकानेर सेंट्रल जेल में राजू ने बलवीर और आनंदपाल को मारने की योजना रची। आनंदपाल और बलवीर पर हमला कराया गया। यह हमला जेल में ही गैंगवार में तब्दील हो गया। पता चला कि बलवीर बानूड़ा के अलावा दो अन्य लोगों की भी जेल में ही हत्या हो गई। इस हत्या की जिम्मेदारी राजू ठेहट पहले ही ले चुका था।

दुश्मनी बढ़ी तो आगे-पीछे चलने लगे बाऊंसर
बलवीर बानूड़ा की हत्या के बाद से ही उसका बेटा सुभाष बानूड़ा गैंगस्टर राजू से बदला लेने की फिराक में था। लेकिन उसे सही मौका नहीं मिल रहा था। इस बीच लगातार बढ़ रही गैंगवार की घटनाओं के दौरान राजू ने अपने साथ प्राइवेट गार्ड रखना शुरू कर दिया। अब वह हमेशा चार-पांच बाउंसर के सहारे ही चलता था।

गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर ने सबकुछ बदल दिया
इस बीच राजस्थान में अपराध का पर्याय बन रहे पांच लाख के इनामी नामी गैंगस्टर आनंदपाल को साल 2017 में पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। अब राजू से बदला लेने की बलवीर के बेटे सुभाष की आखिरी उम्मीद भी खत्म होती जा रही थी। तभी लॉरेंस गैंग ने आनंदपाल की गैंग को संभाला और उनसे हाथ मिलाया, उसके बाद लॉरेंस गैंग से बलवीर के बेटे सुभाष ने भी संपर्क किया। इन सब मेल-मिलाप के बाद आखिरकार आज गैंगस्टर राजू ठेहट को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया।