उत्तर प्रदेशब्रेकिंग न्यूज़राजनीति

नहीं रहे मुलायम सिंह यादव; लंबी बीमारी के बाद 82 वर्ष की उम्र में हुआ निधन!

गुरुग्राम,(राजेश जायसवाल) : समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उनके बेटे अखिलेश यादव ने खुद इसकी जानकारी दी है। तीन बार उत्तर प्रदेश के सीएम और केंद्र सरकार में रक्षामंत्री रहे मुलायम सिंह यादव को देश के दिग्गज राजनेताओं गिना जाता था।
मुलायम सिंह को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने पर मेदांता अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। अस्पताल में मुलायम सिंह यादव (82) की निगरानी खुद मेदांता समूह के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन कर रहे थे। यहां विशेषज्ञों की एक टीम लगातार नेता जी की निगरानी कर रह रही है। हेल्थ बुलेटिन में बताया गया था कि उनकी हालत नाजुक है और उन्हें जीवन रक्षक दवाओं पर रखा गया है। हालांकि, हालत बिगड़ने के बाद उनका जीवन नहीं बचाया जा सका और मुलायम सिंह यादव ने सुबह 8.16 पर आखिरी सांस ली। जब से मुलायम सिंह यादव अस्‍पताल में भर्ती हुए थे तब से लगातार उनके समर्थक और प्रशंसक उनकी बेहतर सेहत के लिए देशभर में पूजा-प्रार्थना, हवन कर रहे थे।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव खुद मेदांता अस्पताल पहुंचे थे। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को लखनऊ में मुलायम की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली थी, जिसके बाद वह 2 अक्टूबर को ही स्पेशल विमान से दिल्ली के रास्ते गुरुग्राम पहुंचे। अखिलेश से पहले शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव दिल्ली में ही मौजूद थे। अखिलेश के साथ उनकी पत्नी डिंपल और बच्चे भी गुरुग्राम पहुंचे हैं। शनिवार को ही अखिलेश दिल्ली से लखनऊ आए थे, लेकिन मुलायम की तबीयत बिगड़ने के बाद वह अचानक फिर गुरुग्राम पहुंच गए थे। अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेताजी नहीं रहे’। मुलायम सिंह यादव के निधन से पूरे यूपी में शोक की लहर दौड़ गई है।

इटावा में जन्म और 6 दशक की सक्रिय राजनीति
22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव ने करीब 6 दशक तक सक्रिय राजनीति में हिस्सा लिया। वो कई बार यूपी विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रहे। इसके अलावा उन्होंने संसद के सदस्य के रूप में ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा में हिस्सा भी लिया। मुलायम सिंह यादव 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में कुल 8 बार विधानसभा के सदस्य बने। इसके अलावा वह 1982 से 1985 तक यूपी विधानसभा के सदस्य भी रहे।

यूपी के सीएम और रक्षामंत्री भी रहे
मुलायम सिंह यादव ने तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश के लिए बेहतर काम किया। वो पहली बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991, दूसरी बार 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के सीएम रहे। इन कार्यकालों के अलावा उन्होंने 1996 में एचडी देवगौड़ा की संयुक्त गठबंधन वाली सरकार में रक्षामंत्री के रूप में भी काम किया। अपने सर्वस्पर्शी रिश्तों के कारण मुलायम सिंह को ‘नेताजी’ की उपाधि भी दी जाती थी। मुलायम को उन नेताओं में जाना जाता था, जो यूपी और देश की राजनीति की नब्ज समझते थे और सभी दलों के लिए सम्मानित भी थे।

ऐसा रहा मुलायम सिंह यादव का सियासी सफर
देश के दिग्गज जमीनी नेताओं में शुमार मुलायम सिंह यादव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सैफई से ग्रहण की। बाद में आगरा से एमए करने के बाद कुछ समय के लिए वे टीचर बन गए। बच्चों को पढ़ाने के दौरान वह सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेने लगे।समाजवादी आंदोलन में खुलकर भाग लेने के बाद में वे शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए।
बताया जाता है कि सैफई के पास करहल में कुश्ती में उनका मुकाबला इलाके के सबसे बड़े पहलवान सरयूदीन त्रिपाठी से हुआ। सरयूदीन कद में काफी लंबे थे जबकि मुलायम सिंह का कद उनके मुकाबले काफी छोटा था। जब कुश्ती शुरू हुई तो वह सरयूदीन को चित कर दिये। मुकाबले को देखने के लिए जसवंत नगर के विधायक नत्थू सिंह भी मौजूद थे। नत्थू सिंह मुलायम से खुश होकर उनके साथ हाथ जोड़ लिए।अब मुलायम सिंह नत्थू सिंह के संपर्क में आ चुके थे।
साल 1967 की बात है जब यूपी में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। जसवंत नगर से मौजूदा विधायक नत्थू सिंह को एक बार फिर टिकट मिला लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। उनका कहना था कि उनकी उम्र ज्यादा हो गई है इसलिए कोई युवा यहां से विधायक बने। तभी नत्थू सिंह ने ही मुलायम सिंह को ‘संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी’ से टिकट दिलवाया और चुनाव प्रचार भी किया। इसकी मुख्य वजह ये रही कि मुलायम सिंह राम मनोहर लोहिया आंदोलन से जुड़े थे। नत्थू के आर्शीवाद से मुलायम पहली बार विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह इस सीट से आठ बार विधायक चुने गए!मुलायम सिंह यादव पहली बार 1967 में विधायक चुने गए थे। आपातकाल के दौरान मुलायम 19 महीने तक जेल में रहे थे। पहली बार वह 1977 में राज्य मंत्री बनाये गए।1980 में वह ‘लोकदल’ के अध्यक्ष बने। 1985 के बाद मुलायम ने ‘क्रांतिकारी मोर्चा’ बनाया। मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार यूपी के सीएम बने।
1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव ने चंद्रशेखर के जनता दल (सोशलिस्ट) से जुड़े और मुख्यमंत्री बने रहे। इसमें कांग्रेस का समर्थन भी शामिल था। 1991 में कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से मुलायम सरकार गिर गई। 1991 में बीच में ही चुनाव हुए, लेकिन मुलायम सिंह यादव की पार्टी की सरकार नहीं बनी।
इसके बाद 1992 में मुलायम सिंह यादव ने ‘समाजवादी पार्टी’ का गठन किया। और 1993 में बसपा के समर्थन से एक बार फिर मुलायम सत्ता में लौटे। इसके बाद 2003 में मुलायम सिंह यादव फिर सत्ता में लौटे और सीएम बने। मुलायम सिंह यादव 1996 से 1998 तक देश के रक्षामंत्री भी रहे। 2012 में मुलायम सिंह यादव की पार्टी फिर सत्ता में लौटी, लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को सीएम बनाया और सक्रिय राजनीति से थोड़ी दूरी बना ली।