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पंचायत व निकाय चुनाव को लेकर महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने की जेपी नड्डा से मुलाकात

मुंबई: महाराष्ट्र भाजपा के तीन वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में महाराष्ट्र में होने जा रहे पंचायत व स्थानीय निकाय चुनावों की रणनीति पर चर्चा हुई है। चंद दिनों पहले ही जहां दक्षिण का द्वार समझे जाने वाले हैदराबाद महानगर पालिका चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं महाराष्ट्र के विधान परिषद चुनावों में उसे शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की महाविकास आघाड़ी के सामने मुंह की खानी पड़ी। अब जल्दी ही राज्य में पंचायत व कई प्रमुख महानगरपालिकाओं के चुनाव होने जा रहे हैं। इन छोटे चुनावों में महाविकास अघाड़ी के तीनों दलों का एक साथ रह पाना भी आसान नहीं होगा। क्योंकि वार्ड एवं ग्राम स्तर पर अब तक शिवसेना के कार्यकर्ता कांग्रेस एवं राकांपा से ही लड़ते आए हैं।
यदि भाजपा इस स्तर पर मजबूत रणनीति के साथ उतर सके, तो न सिर्फ उसे अच्छी सफलता मिल सकती है, बल्कि तीनों दलों के गठबंधन में वह फूट डालने में भी कामयाब हो सकती है। इन्हीं चुनावों में करीब साल भर बाद होने वाले मुंबई महानगरपालिका के चुनाव भी शामिल हैं, जहां पिछली बार भाजपा चंद सीटों से शिवसेना से पीछे रह गई थी। इस बार राज्य की सत्ता से चूक चुकी भाजपा शिवसेना की जान समझी जाने वाली बीएमसी में उसे पछाड़ने का मन बनाए बैठी है। पिछले दिसंबर, 2020 में इन्हीं चुनावों की रणनीति बनाने के लिए महाराष्ट्र में एक बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी आने वाले थे। लेकिन कोरोना से पीड़ित हो जाने के कारण वह तब नहीं आ सके थे। माना जा रहा है कि शुक्रवार को पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल व वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार एक साथ नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे, ताकि उनके साथ चुनावी रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके।
करीब एक माह पहले हुए विधान परिषद चुनावों में भाजपा नागपुर की वह सीट भी गंवा बैठी, जिस पर जनसंघ व भाजपा के उम्मीदवार 50 साल से ज्यादा समय से जीतते आ रहे थे। इस सीट से वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी 5 बार व देवेंद्र फड़णवीस के पिता गंगाधर फड़णवीस एक बार जीत चुके थे। लेकिन इस बार के चुनाव में स्नातक क्षेत्र की इस सीट के लिए वोट डालने भी नितिन गडकरी व फड़णवीस के परिवारों से सिर्फ यही दो नेता पहुंचे। परिवार के अन्य लोगों का वोट डालने भी न जाना भाजपा में आई शिथिलता ही दर्शाता है। माना जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस शिथिलता को महसूस किया है।
शिवसेना जैसे सबसे पुराने सहयोगी दल के छिटकने के बाद पार्टी में आई यह शिथिलता भविष्य के चुनाव के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। नेताओं के भाजपा छोड़कर जाने का दौर भी शुरू हो गया है। कुछ ही सप्ताह पहले भाजपा के पुराने नेता एकनाथ खडसे पार्टी छोड़कर गए। कुछ वर्ष पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नाशिक के पूर्व विधायक वसंत गीते व भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील बागुल ने भी आज शिवसेना का दामन थाम लिया। ऐसे कई मुद्दों को ध्यान में रखते हुए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इन कमजोरियों को दूर कर छोटे चुनावों में भी पूरी ताकत से उतरना चाहता है, ताकि तीन दलों की महाविकास आघाड़ी का मजबूती से मुकाबला किया जा सके।