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पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का 95 साल की उम्र में हुआ निधन!

पंजाब: पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया है. प्रकाश सिंह बादल कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. बादल मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे.
प्रकाश सिंह बादल को सोमवार को भी एक निजी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में रखा गया था, जहां चिकित्सक उनके स्वास्थ्य की करीबी निगरानी कर रहे थे. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता को सांस लेने में परेशानी होने की शिकायत के बाद एक हफ्ते पहले मोहाली में फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
सोमवार शाम जारी एक मेडिकल बुलेटिन में निजी अस्पताल ने कहा था- प्रकाश सिंह बादल अब भी आईसीयू में चिकित्सकों की करीबी निगरानी में हैं. हालांकि, अस्पताल के सूत्रों ने कहा था कि बादल (95) के स्वास्थ्य में हल्का सुधार हुआ था. उन्होंने यह भी कहा था कि यदि अगले कुछ दिनों तक शिअद के वरिष्ठ नेता के स्वास्थ्य में क्रमिक सुधार होना जारी रहता तो उन्हें एक निजी वार्ड में भेजा जा सकता था.

पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रह चुके बादल को ब्रोन्कियल अस्थमा और गैस्ट्राटिस की शिकायत बताई गई थी. उन्हें सांस लेने में परेशानी होने के चलते पिछले साल जून में भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कोविड बाद की स्वास्थ्य जांच के लिए फरवरी 2022 में उन्हें मोहाली के एक निजी अस्पताल ले जाया गया था. बादल पिछले साल जनवरी में कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये थे और उन्हें लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

बता दें कि प्रकाश सिंह बादल को 30 मार्च 2015 को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को श्री मुक्तसर साहिब के गांव बादल में हुआ था. गांव के सरपंच से उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. बादल ने अपना आखिरी चुनाव 2022 में लड़ा था. यह इतिहास में पहली बार था कि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. यह चुनाव लड़ने के बाद वह सबसे अधिक उम्र के चुनाव लड़ने वाले नेता बन गए थे. प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में राजनीति में कदम रखा. शुरुआत में उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. तब उन्हें सबसे कम उम्र के सरपंच बनने का खिताब मिला था.

मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री तक रह चुके थे बादल
प्रकाश सिंह बादल ने 1957 में सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा. 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की. 1969-70 तक वह पंचायत राज, पशुपालन, डेयरी आदि विभागों के मंत्री रहे. इसके अलावा वह 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने. इसके अलावा 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने. इतना ही नहीं, मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वह सांसद भी चुने गए.