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पीएम मोदी ने किया जगतगुरु श्री संत तुकाराम महाराज मंदिर का उद्घाटन, बोले- ये भक्ति की शक्ति का एक केंद्र है…

पुणे: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक दिवसीय दौरे के मद्देनजर महाराष्ट्र में हैं। पीएम मोदी ने पुणे के देहू में जगतगुरु श्रीसंत तुकाराम महाराज के मंदिर का उद्घाटन किया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी की जिंदगी में भी संत तुकाराम ने बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि संतों की वजह से ही भारत एक राष्ट्र के रूप में हजारों वर्षों से जीवित रहा है। उन्होंने कहा कि संतों की वजह से आधुनिकता के युग में भी विकास और विरासत एक साथ चले। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये भक्ति की शक्ति का एक केंद्र है। इस दौरान पीएम के साथ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और पूर्व सीएम व भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शस्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य जन्म में सबसे दुर्लभ संतों का सत्संग है, संतों की अनुभूति हो गई तो ईश्वर की अनुभूति अपने आप हो जाती है। आज देहू की इस पवित्र तीर्थ-भूमि पर आकर मुझे ऐसी ही अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि देहू का शिला मंदिर न केवल भक्ति की शक्ति का एक केंद्र है बल्कि भारत के सांस्कृतिक भविष्य को भी प्रशस्त करता है। इस पवित्र स्थान का पुनर्निमाण करने के लिए मैं मंदिर न्यास और सभी भक्तों का आभार व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी कुछ महीनें पहले ही मुझे पालकी मार्ग में 2 राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन करने के लिए शिलान्यास का अवसर मिला था। श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग का निर्माण 5 चरणों में होगा और संत तुकाराम पालकी मार्ग का निर्माण 3 चरणों में पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन सभी चरणों में 350 किमी से अधिक लंबाई के हाईवे बनेंगे और इस पर 11000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जाएगा। इन प्रयासों से क्षेत्र के विकास में गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हम दुनिया की प्राचीनतम जीवित सभ्यताओं में से एक हैं। इसका श्रेय भारत की संत परंपरा और भारत के ऋषियों मनीषियों को जाता है। भारत शाश्वत है क्योंकि भारत संतों की धरती है। हर युग में हमारे यहां देश और समाज को दिशा देने के लिए कोई न कोई महान आत्मा अवतरित होती रही है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए आज ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी प्राचीन पहचान और परम्पराओं को चैतन्य रखें।इसलिए आज जब आधुनिक टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चरभारत के विकास का पर्याय बन रहे हैं तो हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि विकास और विरासत दोनों एक साथ आगे बढ़ें।

जानिए- कौन थे संत तुकाराम?
संत तुकाराम वारकरी संप्रदाय के संत और कवि थे। उन्हें अभंग (भक्ति गीत) और कीर्तन के रूप में जाने जाने वाले आध्यात्मिक गीतों के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजन के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने ही महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन की नींव डाली।

पहली पत्नी और बेटे का अकाल से निधन!
संत तुकाराम विट्ठल यानी विष्णु के परम भक्त थे। वैष्णव धर्म में उनकी आस्था थी। उनकी पहली पत्नी और बेटे का निधन देश में 1630 के आसपास पड़े अकाल में हो गया था। माना जाता है कि इस दुख का असर उनकी अभंग भक्ति पद पर दिखा था। उन्होंने दूसरी शादी लेकिन उसमें भी कटुता बनी रही। इसके बाद संत तुकाराम ने अपना अधिकांश जीवन भक्तिपदों की रचना और कीर्तन गाने में लगा दिया।
संत तुकाराम समाज की बुराइयों और कुरीतियों पर अपने भक्ति पदों के जरिए चोट करते थे। उन्हें प्रभावशाली जमात से विरोध का सामना भी करना पड़ता था। संत तुकाराम के भक्तिपदों में चार हजार से ज्यादा रचनाएं आज भी मौजूद हैं। उनके भक्तिपदों के अंग्रेजी ट्रांसलेशन पर दिलीप चित्रे को 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

कैसा बना है मंदिर?
संत तुकाराम के जन्म स्थान देहू में उनके निधन के बाद एक शिला मंदिर बनाया गया था लेकिन इसे औपचारिक रूप से मंदिर के रूप में विकसित नहीं किया गया था। इसे 36 चोटियों के साथ पत्थर की चिनाई में बनाया गया है और इसमें संत तुकाराम की मूर्ति भी है।