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पुणे में राजकीय सम्मान के साथ हुआ शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का अंतिम संस्कार!

पुणे: मराठी साहित्य और संस्कृति को ऊंचाइयों तक ले जाने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार और वक्ता शिवशाहीर बाबासाहेब पुरंदरे का आज (सोमवार) को राजकीय सम्मान के साथ पुणे में

अंतिम संस्कार किया गया। बाबासाहेब पुरंदरे का पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में आज सुबह 5 बजे निधन हो गया था, वह 99 वर्ष के थे। पुरंदरे निमोनिया से ग्रसित थे और बीते शनिवार से अस्‍पताल में भर्ती थे। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्‍हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। लेकिन इसके बाद उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं दिखा और तबियत लगातार बिगड़ती ही चली गई। बाबा पुरंदरे के निधन पर देशभर में उनके चाहने वालों ने शोक व्यक्त किया है। बलवंत मोरेश्वर उर्फ बाबासाहेब पुरंदरे के निधन की खबर सुनते ही हजारों प्रशंसक उनके पुणे स्थित घर के बाहर कतार में लग गए, जहां उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।

बाबासाहेब ‘महाराजा छत्रपति शिवाजी’ के चरित्र को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। अपनी लेखनी के जरिये उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को महाराष्ट्र के घर-घर तक पहुंचाया था। उनके इस उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मविभूषण और महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित भी किया था। बाबासाहेब ने शिव चरित्र पर देश-विदेश में 12 हजार से अधिक व्याख्यान दिए थे। वे मराठी साहित्यकार के अलावा इतिहासकार और नाटककार के तौर पर लोकप्रिय थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, सीएम उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, राकांपा चीफ शरद पवार, भारतीय जनता पार्टी के नेता (BJP) प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे, राज्य और केंद्रीय मंत्री, सांसद सुप्रिया सुळे, उदयनराजे भोसले, पुणे के महापौर मुरलीधर मोहोळ व रंगमंच की दुनिया सहित तमाम समाजसेवियों ने बाबासाहेब पुरंदरे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

वहीं राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि खोजेंगे तो भी ध्यान में डूबा हुआ शिव का ऐसा भक्त नहीं मिलेगा। शिवभक्त अब शिव के चरणों में है। सीएम ठाकरे ने निर्देश दिया था कि बाबासाहेब पुरंदरे का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ पुणे के श्मशान में किया जाएगा। वैकुंठ श्मशान घाट पर आज उनके अंतिम संस्कार में महाराष्ट्र के कोने-कोने से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, और अंतिम दर्शन किया।