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प्रदीप और वंदना गवली शिंदे की ‘शिवसेना’ में शामिल, सीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी

मुंबई: शिवसेना का नाम और धनुष-बाण केंद्रीय चुनाव आयोग ने जब से उद्धव ठाकरे से लेकर शिंदे गुट को दे दिया है, तब से शिवसेना में शामिल होने के लिए इच्छुक लोगों की कतार लंबी हो गई है. डैडी के नाम से पुकारे जाने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली के भाई और उनकी पत्नी जो पूर्व नगरसेविका रही हैं, वे भी आज शिंदे गुट में शामिल हो गए. प्रदीप गवली और वंदना गवली सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल हो गए हैं. उनके साथ उनके सैकड़ों कार्यकर्ता भी शिवसेना में शामिल हुए.
इस तरह मुंबई के भायखला इलाके की पूर्व नगरसेविका वंदना गवली और प्रदीप गवली और उनकी अखिल भारतीय सेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के शिवसेना में शामिल होने की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ट्वीट किया है.
प्रदीप गवली और वंदना गवली तथा उनके समर्थकों के शिवसेना में प्रवेश के वक्त सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, आम लोग जो आपके इलाके में काम होता हुआ देखना चाहते हैं, अपनी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं वो आपके नेतृत्व में पूरा हो, यह विश्वास हम आप पर जता रहे हैं. पिछले छह-सात महीनों में बालासाहेब के विचारों पर चलने वाली सरकार हमने स्थापित की है. इसके बाद राज्य के जिले-जिले में, तहसील-तहसील में, शहर-शहर और गांव-गांव में लोग, कार्यकर्ता, पार्टी पदाधिकारी, नेता शिवसेना में शामिल हो रहे हैं. इतना ही नहीं, राज्य से बाहर के भी देशभर से कार्यकर्ता, पार्टी पदाधिकारी और राज्य प्रमुख शिवसेना में शामिल हो रहे हैं.

जब बालासाहेब ठाकरे ने अरुण गवली को शिवसेना में आने से मना कर दिया था, आज भाई की हुई एंट्री!
बता दें कि एक वक्त था जब डॉन अरुण गवली शिवसेना में शामिल होना चाहते थे, उन्होंने बालासाहेब ठाकरे से इस बात की इच्छा भी जताई थी. लेकिन बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें शिवसेना में शामिल करने से मना कर दिया था. मुंबई बम ब्लास्ट के बाद मुंबई अंडरवर्ल्ड में भी हिंदू-मुस्लिम भेद आ गया था और छोटा राजन ने खुद को दाऊद इब्राहिम गैंग से अलग होकर अपना गैंग बना लिया था.
उस दौर में अरुण गवली एक हिंदुत्ववादी पार्टी शिवसेना का दामन थाम रहे थे. लेकिन बालासाहेब के मना करने के बाद अरुण गवली ने अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था. लेकिन अब उनके भाई और उनकी पत्नी सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल हुए हैं. यानी जो कई साल पहले ना हो सका वो पार्टी का नेतृत्व ठाकरे से शिंदे के पास आते ही संभव हो गया.