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प्रेरणादायक हिंदी कहानी- एक आँख वाली माँ…

क लड़का अपनी माँ से बेहद नफरत करता था, क्योंकि उसकी माँ सिर्फ एक आँख से देख सकती थी। जब भी उसकी माँ उसे स्कूल छोड़ने जाती थी तो उस लड़के के दोस्त उसका बहुत मजाक बनाते थे। अपनी माँ के साथ स्कूल जाने पर उसको शर्मिंदगी होने लगी थी।
लड़का एक दिन अपनी माँ से बोला – मुझे छोड़ने स्कूल छोड़ने मत आया करो और हो सके तो मुझसे दूर ही रहा करो। अब उसने अपनी माँ को साथ ले जाना छोड़ दिया था।

वह लड़का पढाई पूरी करने के बाद शहर चला गया और वहीं पर नौकरी कर ली। वह अपनी माँ के लिए लौटकर वापस कभी नहीं आया। कुछ दिनों बाद उसने शादी भी कर ली। उसके बच्चे अब बड़े होने लगे थे।

गाँव में रह रही, उसकी माँ को किसी ने उसके बेटे की शादी और बच्चों के बारे में बताया। वह उससे मिलने के लिए लालायित होकर शहर पहुँच गयी। उसने घर की घंटी बजाई। इतने में पोते ने दरवाजा खोला और उस पर हँसने लगा।

बेटे ने बाहर जाकर देखा तो उसकी एक आँख वाली माँ दरवाजे पर खड़ी थी। उसने गुस्से में अपनी माँ से कहा, माँ आप मेरा पीछा करते- करते यहाँ भी आ गयी। मेरा इतना मजाक बनवाकर भी आपका मन नहीं भरा।

माँ नहीं बोल पायी की उसका उसके बेटे और पोते को देखने का मन कर रहा था। वह चुपचाप उलटे क़दमों के साथ गाँव लौट गयी। कुछ दिनों बाद रीयूनियन के लिए उस लड़के के पास खत आया।
वह लड़का रीयूनियन के लिए अपने गाँव पहुँच गया। रीयूनियन के बाद उसने सोचा एक बार घर जाकर अपनी माँ को भी देख लू।
जब वह घर पहुँचा तो घर पर ताला लगा था। पड़ोस में पूछने पर पता चला की उसकी माँ कुछ दिन पहले ही गुजर गयी।
उन्होंने ये भी कहा था कि अगर कोई मेरे बारे में पूछने आये तो उसे यह खत दे देना। लड़के ने खत खोलते हुए देखा। उसमे लिखा था- बेटा मुझे मालूम था कि एक दिन तुम मुझसे मिलने जरुर आओगे। मैं भी तुमसे मिलना चाहती थी लेकिन मैं बीमार होने के कारण आ न सकी।
माँ ने आगे लिखते हुए कहा- बेटा तुम्हे एक आँख वाली माँ से हमेशा परेशानी रही।
मैंने तुम्हें यह बात कभी भी नहीं बताई। जब तुम छोटे थे। तब एक एक्सीडेंट में तुम्हारी एक आँख चली गयी थी और मैंने अपनी एक आँख तुम्हें दे दी थी। मैं नहीं चाहती थी की लोग तुम पर हँसे।
अब लड़का वहीं फूटफूट कर रोने लगा।

दोस्तों, इस कहानी से हमें यहीं प्रेरणा मिलती है कि आपके माँ-बाप आपके लिए कितना त्याग करते है। इस बात को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इसलिए माँ-बाप का अनादर न करें। हम कितने बड़े आदमी क्यूँ न हो जाएँ, माँ का कर्ज अदा नहीं कर सकते।