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प्रेरणादायक हिंदी कहानी- बाप बेटा और गधा…

क बार बाप और बेटे ने एक गधा खरीदा और वह अपने बेटे को गधे पर बैठा दिया। अपना खुद गधा लेकर पैदल घर के लिए चल दिया। यह देख रास्ते भर के लोग आपस में बात करने लगे, कि कैसा बेटा है, जो बाप को पैदल लेकर जा रहा है, और अपने खुद गधे पर बैठा हुआ है।

अरे! यह देखो यह कामचोर लड़का तो आराम से गधे पर बैठा है और बूढ़ा बाप उसके पीछे पैदल चल रहा है। ऐ बदतमीज लड़के, उतर नीचे और अपने बाप को बैठा गधे पर।

यह सुनते-सुनते जब रहा नहीं गया तो, बेटा गधे से उतर गया, और पिताजी को गधे पर बैठा दिया और चलने लगा। कुछ दूरी चलने के बाद फिर कुछ लोग मिले। जो कहने लगे- कैसा बाप है जो स्वयं गधे पर बैठा हुआ है और बेटे को पैदल लेकर जा रहा है।

अभी वे कुछ और आगे बढ़े ही थे कि कुएं के किनारे खड़ी कुछ स्त्रियां चिल्ला उठीं- अरे! इस निकम्मे बूढ़े को तो देखो। कैसा मजे में खुद तो गधे पर बैठा है और बच्चे को पैदल दौड़ा रहा है। बेचारा कैसा हांफ रहा है। ओ बुड्ढे, शर्म नहीं आती तुझे। खुद गधे पर बैठा है। बच्चे को भी गधे पर क्यों नहीं बिठा लेता।

यह सुनकर बाप बेटे दोनों ही उस गधे पर बैठ गए और आगे बढ़ने लगे। कुछ देर बाद फिर कुछ लोग मिले, जो बाप बेटे को गधे पर बैठा देख कहने लगे कि ये कैसे निर्दई लोग हैं, जो एक ही गधे पर दोनों सवार हैं, लगता है गधे की जान लेकर ही छोड़ेंगे। यह सुनकर बाप बेटे दोनों ही गधे पर से उतर गए, और गधे के चारों पैर रस्सी से एक साथ बांध दिए और गधे को उल्टा एक बांस के डंडे में लटका लिया। अब बांस का एक छोर बूढ़े ने अपने कंधे पर रखा और दूसरा लड़के के कंधे पर और दोनों चल दिए।

कुछ दूर जाने के बाद उन्हें फिर कुछ लोग मिलते हैं, और उन्हें देखकर हंसने लगते हैं और कहते हैं- यह दोनों कितने पागल और गधे हैं जो गधे पर बैठने की बजाय उसे ही टांग कर ले जा रहे हैं।
यह सुनकर बाप-बेटे गधे को नीचे उतार देते हैं और यह समझ जाते हैं कि उन्हें अपने समझदारी से काम लेना चाहिए। लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि लोग हर एक परिस्थिति में कुछ ना कुछ कमी अवश्य ही ढूंढ लेते हैं।

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम चाहे कितना भी अच्छा कार्य क्यों न करें, लोग उसमें गलतियां अवश्य निकालेंगे। कुछ लोगों का काम ही यही है। अतः हमें इनकी बातों को नजरअंदाज करके जीवन के कर्तव्य पथ पर अपने विवेक से निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

लिखने वाले ने क्या खूब लिखा है- ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना…’