महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्यसोलापुर

महाराष्ट्र: ‘घाटने’ गांव के सरपंच ने 5 पॉइंट फॉर्म्युले से गांव को बनाया कोरोना मुक्त, सीएम उद्धव भी हुए मुरीद

मुंबई: महामारी की दूसरी लहर में जब शहरों से कोरोना वायरस गांव पहुंचने लगा तो सरकार और प्रशासन के हाथ-पैर फूलने लगे। गांवों में यह बीमारी तेजी से फैलती जा रही थी और लोग बिना इलाज के ही दम तोड़ रहे थे। इन सबके बीच महाराष्ट्र के सोलापुर स्थित गांव ‘घाटने’ एक मिसाल के रूप में सामने आया। यहां के सरपंच ऋतुराज देशमुख के पांच सूत्री कार्यक्रम की बदौलत ग्रामीण जागरूक हुए और एक साल तक गांव को कोरोना मुक्त बनाए रखा।
महाराष्ट्र के सबसे युवा सरपंच ऋतुराज देशमुख ने कोविड-१९ महामारी को अपने गांव से दूर रखने के लिए पांच सूत्री कार्यक्रम चलाया। ग्रामीणों के मन में बचाव के प्रति एक तरह की जिम्मेदारी पैदा की और इसका लाभ यह हुआ कि यह गांव फिलहाल संक्रमण मुक्त है। खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने देशमुख की प्रशंसा भी की है।

मुख्यमंत्री ने की तारीफ, ‘माई विलेज कोरोना फ्री’ की घोषणा
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को राज्य की जनता को ऑनलाइन संबोधित किया था और इस दौरान उन्होंने देशमुख के योगदान की प्रशंसा करते हुए राज्य के सभी सरपंचों को उनसे प्रेरणा लेने की अपील करते हुए ‘माई विलेज कोरोना फ्री’ पहल की घोषणा की।

घर छोड़कर खेतों में रहने चले गए थे लोग
बता दें कि देशमुख ‘घाटने गांव’ के सरपंच हैं और यहां की कुल आबादी 1,500 है। गांव में मार्च 2020 से लेकर मार्च 2021 तक संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया। उन्होंने कहा, लेकिन अप्रैल के पहले हफ्ते में कोविड-19 के दो मामले थे और दोनों ही मरीजों की मौत हो गई। इससे लोग काफी घबरा गए और कई लोग अपना घर छोड़कर खेतों में रहने चले गए!

कोविड-19 मुक्त रखने के लिए आत्मविश्वास का मंत्र
देशमुख ने कहा कि इस स्थिति में उन्होंने तैयारी के लिए सभी संबंधित पक्षों से बातचीत की और कोविड-19 के खिलाफ जागरूकता अभियान शुरू कर दिया। देशमुख ने बताया कि मेरा मंत्र आत्मविश्वास के नजरिए को अपनाना था ताकि हम गांव को कोविड-19 मुक्त रख सकें। इन प्रयासों के बारे में बताते हुए सरपंच ने कहा कि वह और उनकी टीम ने संपर्क, जांच, उपचार, टीकाकरण और कोविड-19 से बचाव के लिए उचित व्यवहार जैसे बिंदु का इस्तेमाल करते हुए कार्यक्रम तैयार किया।

आशा वर्कर ने घर-घर जाकर की जांच
इस संबंध में आशा कार्यकर्ताओं की मदद ली गई और वे घर-घर जाकर लोगों के ऑक्सीजन स्तर और शरीर के तापमान को दर्ज करने लगीं। इस जांच में जिन लोगों का ऑक्सीजन स्तर 92 से कम पाया गया, उन्हें गांव से चार किलोमीटर दूर मोहोल तालुका के या तो आइसोलेशन सेंटर भेज दिया गया या कोविड-19 केंद्र भेजा गया।

फिलहाल कोविड मुक्त है गांव
देशमुख ने बताया कि 15 अप्रैल से हमारे गांव में कोविड-19 के 15 मामले सामने आए और जिनमें से दो लोगों की मौत हो गई। गांव अब कोविड-19 मुक्त है, लेकिन आशा कार्यकर्ताओं की मदद से अभियान जारी है। जब देशमुख से मुख्यमंत्री की प्रशंसा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री ने भले ही अपने संबोधन में मेरा नाम लिया हो लेकिन स्थानीय राजनीतिक विरोध तो है ही। राज्य स्तर पर या गांव स्तर पर राजनीतिक विरोध में कोई अंतर नहीं आया है।