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महाराष्ट्र सरकार ने नॉन-ट्रांसपोर्ट गाड़ियों के इस्तेमाल पर लगाई रोक, जानें- आखिर क्यों लेना पड़ा ये बड़ा फैसला?

मुंबई: देश के कई राज्यों में कई प्राइवेट कंपनियों द्वारा लोगों की सुविधा के लिए ट्रांसपोर्ट साधन उपलब्ध कराती है। इसके चलते कई लोग अपनी कमाई का दूसरा साधन बनाते हुए निजी वाहनों से ही इन सर्विस को प्रदान करने लगे है। लेकिन अब इस बारे में महाराष्ट्र सरकार ने महत्वपूर्ण फैंसला लेते हुए निजी वाहनों के कमर्शियल यूज पर बैन लगा दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने 19 जनवरी को जारी एक प्रस्ताव के तहत आम जनता की रोड सेफ्टी के साथ उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए टू व्हील्हर, थ्री व्हील्हर और फोर व्हील्हर के साथ नॉन लाइसेंस वाहनों पर बैन लगा दिया। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि निजी वाहनों का कमर्शियल यूज करने के कारण जो लोग लाइसेंस लेकर वाहन चलाते है उनको इस वजह से नुकसान हो रहा है। सरकार का काम है कि प्रदेश की जनता के हितों की रक्षा करना और सभी को समान अवसर देना।

प्राइवेट कंपनियां बिना लाइसेंस चलवा रही निजी वाहन
सरकार का कहना है कि कई ऑनलाइन ऐप और मोबाइल बेस्ड टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां बिना कमर्शियल लाइसेंस लिए अपनी सर्विस चला रही है। इसके लिए वे रजिस्टर्ड वाहन (यलो नंबर प्लेट) वाहनों की जगह प्राइवेट ( सफेद नंबर प्लेट) वाहनों का उपयोग करते हुए सेवाएं प्रदान कर रही है। सरकार का कहना है कि किसी भी बिजनेस में वाहनों का उपयोग करने के लिए एक अलग रजिस्ट्रेशन के साथ अलग परमिट की आवश्यकता होती है लेकिन ये कंपनियां इनको लिए बिना अपनी सुविधाएं दे रही है। इसके चलते ही सरकार ने इसी महीने की 13 तारीख को रेपिडो नाम की प्राइवेट कंपनी को कमर्शियल लाइसेंस के वाहन चलाने के चलते प्रदेश में उसके संचालन को बैन कर दिया था।

प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर की बढ़ी मुसीबतें
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद से जो भी निजी कंपनियां अपनी सर्विस दे रही थी उनके बीच चिंता बढ़ गई है। प्रदेश की हाइकोर्ट के आदेश जारी करने के बाद कई कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दे कि प्रदेश सरकार का मानना है कि निजी वाहनों के उपयोग से ट्रैफिक की समस्या बढ़ने के साथ ही लोगों की जान को भी खतरा बढ़ता जा रहा है।