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मुंबई: प्रवासी मजदूरों को घर भेजने से पहले उनकी कोरोना जांच कराना अमानवीय: शिवसेना

उद्धव ठाकरे (मुख्यमंत्री महाराष्ट्र)

मुंबई: शिवसेना ने बुधवार को उन राज्यों की आलोचना की जो प्रवासी कामगारों को वापस लेने से पहले उनकी कोरोना वायरस की जांच कराने पर जोर दे रहे हैं। पार्टी ने इसे क्रूर और अमानवीय रुख करार दिया। मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार राजस्थान के कोटा से छात्रों को बिना किसी जांच के वापस ले आई, क्योंकि वे अमीरों के बच्चे हैं, जबकि गरीबों से ट्रेन का किराया वसूला जा रहा है।
पार्टी ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के उस फैसले की तारीफ की है, जिसमें उन्होंने पार्टी की प्रदेश इकाई से कहा है कि अपने घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के किराये का खर्च वहन करें। शिवसेना ने कहा कि यह मानवीय आधार पर किया गया है।
संपादकीय में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश से श्रमिक ज्यादातर महाराष्ट्र और गुजरात की ओर पलायन करते हैं।
शिवसेना ने कहा कि कल तक ये मजदूर वर्ग कई राजनीतिक पार्टियों और नेताओं का वोट बैंक बना हुआ था और मानो मुंबई-महाराष्ट्र का विकास इन्हीं के कारण हुआ है। पार्टी ने कहा कि ये लोग अब संकट के समय पलायन कर रहे हैं और ‘उनके राजनीतिक मालिक और अभिभावक मुंह में मास्क लगाकर घरों में बैठे हैं।’
संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवासी कामगारों को वापस बुलाने पर “यू टर्न” ले लिया है और उन पर कड़ी शर्ते लगा दीं हैं, जिनमें शामिल हैं कि वे वापसी से पहले कोरोना वायरस की जांच कराएं।
पार्टी ने कहा कि राज्यों का यह रुख क्रूर है और मानवता के खिलाफ है। शिवसेना ने उत्तर प्रदेश सरकार पर अमीर-गरीब के बीच भेदभाव करने का भी आरोप लगाया।
मराठी सामना में कहा गया है, ‘राजस्थान के कोटा में अटके हुए उत्तर प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए सैकड़ों बसें भेजीं और उन्हें बिना जांच के ही वापस ले आए क्योंकि वे अमीरों के बच्चे थे। गरीबों से रेल के टिकट का पैसा तक लिया जा रहा है।’ शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में अटके हुए प्रवासी मजदूरों को अब नए संकट का सामना करना पड़ा है।
महाराष्ट्र ने अब तक इन सभी का पालन-पोषण किया, सब-कुछ किया है। वे अपनी मातृभूमि वापस जाना चाहते हैं लेकिन उन्हें उनके गृह राज्य से ही अनुमति नहीं दी जा रही है। पार्टी ने कहा, ‘ये श्रमिक हुए कुत्ते-बिल्ली नहीं हैं। मानवता के नाते भी उनके राज्य उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।’
शिवसेना ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इन प्रवासी मज़दूरों से जो कहा वही सही लग रहा है, कि महाराष्ट्र से तो चले जाओगे लेकिन अपने राज्य में जाकर क्या खाओगे?