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मुंबई यूनिवर्सिटी में नागालैंड के एक YouTuber के साथ बेहूदा हरकत

मुंबई: मुंबई यूनिवर्सिटी (MU) में पढ़ने वाले नागालैंड के छात्रों ने कैम्पस के बाहर नस्लवाद का सामना करने का आरोप लगाया है। यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट्स और पॉपुलर यूट्यूबर तियापोंग तजुदिर( Tiapong Tzudir) ने उनके साथ हुई नस्लभेदी हरकतों का एक वीडियो शेयर करके अपनी आपबीती बयां की है।

जानें- क्या है मामला?
तजुदिर ने कहा कि (MU) नागालैंड स्टूडेंट्स कैम्पस के बाहर नस्लवाद का सामना कर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि नस्लीय भेदभाव के मामले कम नहीं हुए हैं; यह सिर्फ इतना है कि हमने इसे अनदेखा करना शुरू कर दिया है। कोई भी इसके बारे में अब बात नहीं कर रहा है।
तजुदिर MU में समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब वे रविवार (26 फरवरी) को मुंबई यूनिवर्सिटी के कलिना कैम्पस के बाहर थे, तब उन पर नस्लीय टिप्पणी की गई।
तजुदिर ने सोमवार को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर घटना का वीडियो अपलोड किया था। इस मामले में पुलिस ने गैर-संज्ञानात्मक अपराध (non-cognizable offence-NC) दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
तज़ुदिर ने बताया कि संडे की रात को डिनर करने के लिए जब वे यूनिवर्सिटी से बाहर जा थे, तभी कुछ लोगों ने उन पर पानी फेंक दिया। उन पर जातीय टिप्पणी कीं। यूनिवर्सिटी कैम्पस में लौटते समय भी उसी व्यक्ति ने फिर पानी के गुब्बारे फेंकना शुरू कर दिए। तजुदिर को उनके नाम की लगातार रट लगाता रहा। तजुदिर ने कहा कि इसके बाद वो अपने हॉस्टल पहुंचे और साथियों को मदद के लिए बुलाया, तो बदमाश भाग गए।

सोशल मीडिया पर पोस्ट किया वीडियो
तज़ुदिर ने इस घटना का वीडियो अपने सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा- कैसे उन्होंने अपने देश में खुद को परेशान महसूस किया। यह पहली बार नहीं था, जब उन्होंने इस तरह की परेशानी उठानी पड़ी।
इस घटना के विरोध में तज़ुदिर और उनके दोस्तों ने इलाके में इसके खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए नस्लवाद के खिलाफ (anti-racism) के बैनर और पोस्टर के साथ एक साइलेंट प्रोटेस्ट किया। उन्होंने भारत के मैप्स भी बांटे, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों पर को हाईलाइट्स किया गया और उन पर ‘भारत’ भी लिखा हुआ था। उन्होंने वकोला पुलिस स्टेशन में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ एक गैर-संज्ञेय अपराध (नेकां) दर्ज कराया। तज़ुदिर के अनुसार, लोगों के बीच शिक्षा और जागरुकता से देश के भीतर नस्लवाद को कम किया जा सकता है।