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मुंबई: राजू साप्ते ने जान देकर खोली महाराष्ट्र सरकार की आंखें- अब शूटिंग के दौरान यूनियनों की हरकतों पर लगी लगाम

मुंबई: एक दूरगामी फैसले के तहत महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई फिल्म उद्योग में यूनियनों का अनावश्यक हस्तक्षेप पूरी तरह खत्म कर दिया है। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ट्रेड यूनियनों के दबदबे को लेकर यहां के फिल्म निर्माता और निर्देशक लंबे समय से परेशान रहे हैं। ट्रेड यूनियन नेताओं के लगातार निशाने पर रहे वरिष्ठ कला निर्देशक राजू साप्ते के आत्महत्या कर लेने के बाद महाराष्ट्र सरकार का ये फैसला आया है। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री ने इस बारे में जारी शासनादेश का स्वागत किया है। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्लूआईसीई) को इसके पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भी फिल्मों की शूटिंग में हस्तक्षेप न करने का आदेश दिया था लेकिन उसका जमीनी अमल कभी नहीं हो सका। अब महाराष्ट्र के अतिरिक्त श्रम आयुक्त ने इस बारे में निर्देश पत्र जारी कर दिया है।
बता दें कि वरिष्ठ कला निर्देशक राजू साप्ते के 2 जुलाई को मानसिक प्रताड़ना के कारण आत्महत्या कर लेने के बाद से ये मामला लगातार तूल पकड़ता रहा है। वकाड़ पुलिस ने इस घटना में आरोपी मजदूर नेता राकेश मौर्या को गिरफ्तार किया। इस संबंध में 7 जुलाई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाई थी और 12 जुलाई को इसी क्रम मे श्रम आयुक्त कार्यालय में फिल्म निर्माताओं के साथ भी बैठकें हुईं। इस दौरान ही ये सामने आया कि फिल्म निर्माताओं के लिए काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन का भुगतान ट्रेड यूनियनों के माध्यम से किया जा रहा है। महाराष्ट्र के कोंकण खंड के अतिरिक्त श्रम आयुक्त शिरीन एस लोखंडे के मुताबिक, यह श्रम कानून का उल्लंघन है।
लोखंडे ने इस बारे में एक पत्र जारी करके कहा है कि फिल्म निर्माण कंपनियों व ठेकेदारों को उनके लिए काम करने वाले श्रमिकों/कर्मचारियों का मासिक वेतन और भत्ते संबंधित कर्मचारियों के बैंक खाते में ही करना अनिवार्य है। किसी भी हाल में मजदूरों को ट्रेड यूनियन के माध्यम से भुगतान करना गैर कानूनी है। इस पत्र में ये भी कहा गया है कि किसी भी फिल्म या टीवी सीरियल के निर्माता या निर्देशक के लिए काम करने वाले श्रमिकों व कर्मचारियों को निर्धारित समय के भीतर भुगतान करना अनिवार्य है। सबसे बड़ा निर्देश जो श्रमायुक्त कार्यालय ने जारी किया है वह ये है कि फिल्मांकन के समय संबंधित स्टूडियो में शूटिंग की जगह तक पहुंच के लिए किसी भी संगठन के पहचान पत्र को अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही, ट्रेड यूनियनों द्वारा गठित सतर्कता टीमों की कोई कानूनी मान्यता नहीं है और अगर वे सेट में हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हैं, तो इस बारे में तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करनी चाहिए। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वालों का यहां सक्रिय यूनियनें आई कार्ड के नाम पर शोषण करती रही हैं और बिना कार्ड वाले लोगों के सेट पर पाए जाने पर शूटिंग बंद कराने के मामले भी सामने आते रहे हैं।