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वानखेड़े पर मलिक के ट्वीट द्वेष से प्रेरित हैं: हाईकोर्ट

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पर एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े को निशाना बनाकर कोईं सार्वजनिक बयान देने या ट्वीट पोस्ट करने से पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया।
हालांकि, न्यायमूर्ति माधव जामदार ने कहा कि प्रथम दृष्टया वानखेड़े के खिलाफ मलिक के ट्वीट द्वेष और व्यक्तिगत दुश्मनी से प्रेरित थे। न्यायाधीश ने कहा कि वानखेड़े एक सरकारी अधिकारी हैं और मलिक द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप एनसीबी क्षेत्रीय निदेशक के सार्वजनिक कर्तव्यों से संबंधित गतिविधियों से संबंधित थे, इसलिए मंत्री को उनके खिलाफ कोईं भी बयान देने से पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि, मंत्री को वानखेड़े या उनके परिवार के खिलाफ तथ्यों के उचित सत्यापन के बाद ही बयान देना चाहिए। यहां बता दें कि वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव द्वारा इस संबंध में किये गये अंतरिम अनुरोध पर उच्च न्यायालय का फैसला आया। उन्होंने कोर्ट से नवाब मलिक को उनके परिवार के खिलाफ बयान देने से रोकने की मांग की थी। सोमवार को कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकराते हुए कहा कि मंत्री मालिक को बोलने का अधिकार (Right to Speech) है।

मलिक के वकील अतुल दामले ने कहा था कि उनके ट्वीट और प्रेस कॉन्फ्रेंस दो अहम बातों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से किए गए हैं- पहले ये कि समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम हैं और उन्होंने सरकारी नौकरी झूठे तरीके से यह बोलकर हासिल की है कि वह अनुसूचित जाति से आते हैं। दूसरा यह कि इस बात के सबूत हैं कि समीर वानखेड़े ने एनसीबी द्वारा दायर मामलों में रिश्वत ली।

वहीँ कोर्ट के फैसले पर नवाब मलिक ने ट्वीट करके कहा कि ‘सत्यमेव जयते’, अन्याय के खिलाफ हमारी जंग जारी रहेंगी।