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संघ ने कहा, राम जन्मभूमि पर शीघ्र हो भव्य मंदिर का निर्माण

नई दिल्ली , राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद मचे सियासी बवाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी कूद पड़ा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई 3 महीने के लिए टाल दी है। पीठ के इस फैसले के बाद संघ का भी बयान आया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो और वह भी शीघ्र। यह बयान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने दिया है। बयान में अरुण कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलाल का जन्म स्थान है। तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहां कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया। पूर्व में वहां मंदिर ही था। अरुण कुमार ने कहा कि संघ का मत है कि जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर शीघ्र बनना चाहिए और जन्म स्थान पर मन्दिर निर्माण के लिए भूमि मिलनी चाहिए। मन्दिर बनने से देश में सद्भावना और एकात्मता का वातावरण निर्माण का होगा। इस दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय शीघ्र निर्णय करे और अगर कुछ कठिनाई हो तो सरकार कानून बनाकर मन्दिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे।
बतौर अरुण कुमार, जब से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ है पूज्य संतों और धर्म संसद के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहा है और उसका हमनें समर्थन किया है, आगे भी वे जो निर्णय करेंगे उसमें हम उनका समर्थन करेंगे। इसके पहले सोमवार को कोर्ट में चीफ रंजन गोगोई जस्टिस की पीठ में दोनों पक्षकारों ने दलील थी कि नंवबर में सुनवाई शुरू हो जाए लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को जनवरी के लिए पहले हफ्ते के लिए टाला जाता है। तभी यह तय होगा कि कौन सी पीठ मामले की सुनवाई करेगी और सुनवाई की तारीख क्या होगी। कोर्ट ने कहा कि पीठ जनवरी में तय करेगी कि सुनवाई जनवरी में हो कि फरवरी या मार्च में। जल्द सुनवाई की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी अपनी प्राथमिकता है, यह उचित पीठ तय करेगा कि सुनवाई कब से हो।
हिंदू पक्षकार संत धर्मानंद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सही नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘चुनाव को देख डेट नहीं बढ़नी चाहिए। यह प्रॉपर्टी का मामला है। अब हमें इंतजार ही करना होगा। हमें आंदोलन नहीं करना है। हम चाहते थे कि इस मामले में जल्द निर्णय हो। यह हिंदू-मुसलमान का केस नहीं है। कानून बनाने की बात करने वाले जनता को भ्रम में डालते हैं।