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संविधान की जुड़वा संतानें हैं सरकार और न्यायपालिका: पीएम मोदी

नयी दिल्ली: संविधान दिवस पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। शुक्रवार की शाम विज्ञान भवन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान दिवस समारोह आयोजित किया गया था।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी की अलग-अलग भूमिकाएं, अलग-अलग जिम्मेदारियां, काम करने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी आस्था, प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत एक ही है- वह है हमारा संविधान।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में, और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है।

कभी ‘फ्रीडम ऑफ एक्प्रेशन’ तो कभी किसी और का सहारा लेकर विकास में अटकाए जा रहे रोड़े: पीएम
मोदी ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी उपनिवेशवादी मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते है। कभी ‘फ्रीडम ऑफ एक्प्रेशन’ के नाम पर तो कभी किसी और चीज़ का सहारा लेकर।

बेटियां बढ़ रही हैं, मातृ-शिशु मृत्युदर कम हो रहा
पीएम मोदी ने कहा कि Gender Equality की बात करें तो अब पुरुषों की तुलना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलिवरी के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इस वजह से माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर कम हो रही है।

विकासशील देशों के प्रति उपनिवेशवादी मानसिकता समाप्त नहीं हुई
पीएम ने कहा कि आज पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है जो प्रकट रूप से किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में exist करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उपनिवेशवादी मानसिकता, Colonial Mindset समाप्त हो गया है। हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण हमें विकासशील देशों की विकास यात्राओं में आ रही बाधाओं में दिखाई देता है। जिन साधनों से, जिन मार्गों पर चलते हुए, विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है, आज वही साधन, वही मार्ग, विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं। पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर हम एकमात्र देश हैं। और फ़िर भी, ऐसे भारत पर पर्यावरण के नाम पर भाँति-भाँति के दबाव बनाए जाते हैं। यह सब, उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है।
विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में आयोजित संविधान दिवस समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम न्यायाधीश, भारत के सॉलिसिटर-जनरल और कानूनी बिरादरी के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।

संसद भवन में भी हुआ कार्यक्रम
संविधान दिवस पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पीएम मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
संविधान दिवस पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ‘नेशन फर्स्ट’ पर चर्चा करते हुए चार मुद्दों पर चिंता जताते हुए विरोधी दलों पर जमकर निशाना साधा। अपने 22 मिनट के संबोधन में पीएम ने कहा, देश ने बिना नाम लिए विपक्ष पर वार करने के साथ जनता को अधिकार व कर्तव्यों के बीच भेद करने और उसे अमल में लाने की भी सीख दी।