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सिर्फ 28 रुपए के लिए ऑटो वाले ने कुचला था, छह साल बाद परिजनों को मिला इतने लाख का मुआवजा

मुंबई: मुंबई में छह साल पहले 28 रुपये की चेंज के चक्कर में एक शख्स की जान चली गई थी। वह व्यक्ति सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था और अपने परिवार वालों की आर्थिक जिम्मेदारी भी उस पर थी। दरअसल, वह जिस ऑटो से आया था, उससे किराए के बाद बचे पैसे वापस लेना चाहता था। लेकिन, ऑटो वाले ने चेंज नहीं है कहकर ऑटोरिक्शा को ऐसे भगाया कि वह पलट गया और उसकी जान चली गई। छह साल तक उस व्यक्ति के परिजन न्याय के लिए भटकते रहे। बीमा कंपनी बहाने बनाकर मुआवजा देने से लगातार इंकार करती रही। अब जाकर मोटर ऐक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी और ऑटो मालिक को पीड़ित के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसकी रकम लाखों में है।

मौके पर ही चेतन ने तोड़ दिया था दम!
गौरतलब हो कि छह साल पहले मुंबई में 26 साल के सॉफ्टवेयर कंपनी में कर्मचारी चेतन की जान ऑटो रिक्शा वाले की वजह से चली गई थी। अब उसके परिजनों को मोटर ऐक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल से मुआवजा घोषित किया गया है।
यह दर्दनाक घटना 2016 की है, उस ऑटो वाले ने 28 रुपये का चेंज देने से इनकार कर दिया था और उसे यह पैसा नहीं देना पड़े इसके लिए ऑटो चालक तेजी से ऑटो लेकर भागने लगा। इस स्थिति में ऑटो रिक्शा पलट गया और पीड़ित चेतन अचिर्नेकर के ऊपर गिर गया। चेतन ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। यह पूरी घटना चेतन के पिता के आंखों के सामने घटी थी।

क्या है पूरा मामला?
चेतन के परिवार वालों ने बताया है कि 23 जुलाई, 2016 को आईटी कंपनी में काम करने वाले चेतन एयरपोर्ट से तड़के 1.30 बजे मुंबई के विक्रोली पूर्व स्थित अपने घर वापस लौट रहे थे। जब ऑटो उनके घर के पास पहुंचा तो वे उतर गए। उन्हें ऑटो वाले को 172 रुपये किराया देना था। उन्होंने ड्राइवर को 200 रुपये दिए, इस उम्मीद में कि वह 28 रुपये वापस करेगा। लेकिन, ऑटो वाले ने पैसे वापस देने से यह कहकर मना किया कि उसके पास चेंज नहीं है। इतना कहते हुए उसने ऑटो को भगाना शुरू कर दिया।
चेतन ड्राइवर को रुकने के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन उसने उसकी स्पीड और तेज कर दी। इसके चलते ऑटो बेकाबू हो गया और चेतन के ऊपर ही पलट गया। चेतन बुरी तरह जख्मी हो गए औऱ उनकी मौत हो गई। इसके बाद पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। चेतन की मौत के चलते उसके परिजनों को भावनात्मक और आर्थिक दोनों तरह से नुकसान हुआ था। लेकिन, फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने यह कहकर मुआवजा देने से मना किया कि यह गैर-इरादतन हत्या का मामला है, इसलिए वह इसकी भरपाई के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। लेकिन, मोटर ऐक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी की दलील को ठुकरा दिया है।ट्रिब्यूनल के मुताबिक, मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, चेतन की मौत मोटर दुर्घटना में घायल होने की वजह से हुई। ट्रिब्यूनल ने कहा, जिस तरह से दुर्घटना हुई, उससे साफ पता चलता है कि ऑटोरिक्शा ड्राइवर रैश ड्राइविंग, लापरवाही और दुर्घटना के लिए जिम्मेदार था।

28 रुपये के बदले परिजनों को मिला 43 लाख का मुआवजा!
पीड़ित चेतन एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते थे और जब हादसा हुआ तो उनकी सैलरी 15,000 रुपये थी। ट्रिब्यूनल ने इसका भी हिसाब लगाया और 43 लाख रुपये का मुआवजा तय कर दिया। यह मुआवजा बीमा कंपनी और ऑटो रिक्शा के मालिक कमलेश मिश्रा को साझा तौर पर चुकाना होगा। चेतन के परिजनों को मुआवजे की इस रकम से थोड़ा संतोष जरूर मिला होगा, लेकिन उस रात पल भर में उनकी जिंदगी जिस तरह से पलट गई, उसे अब कोई वापस नहीं लौटा सकता।