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सीएम पद से इस्तीफा नहीं देंगे उद्धव, शक्ति परीक्षण का करेंगे सामना, पवार के साथ बैठक में इस रणनीति पर बनी सहमति

मुंबई: शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के चलते संकट में घिरी उद्धव सरकार को बचाने के लिए कई दिग्‍गजों ने पूरी ताकत झोंक दी है। अब सूत्रों से खबर आ रही है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में विद्रोह से उत्पन्न राजनीतिक संकट की वजह से सीएम उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करेंगे।
बांद्रा के कलानगर स्थित अपने निजी आवास ‘मातोश्री’ पर शुक्रवार शाम उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार के बीच हुई बैठक में इस रणनीति पर सहमति बन चुकी है।
शिवसेना सांसद संजय राउत की मौजूदगी में ‘मातोश्री’ पर हुई उच्‍चस्‍तरीय बैठक में सरकार बचाने के तौर-तरीकों पर मंथन हुआ। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री और महाविकास अघाड़ी (MVA) के वरिष्ठ नेता इस मौके का इस्तेमाल विद्रोही नेताओं और उनके समर्थकों पर हमला करते हुए विधानमंडल के निचले सदन में अपना बहुमत साबित करने में करेंगे। जब भी ऐसा होगा तो उसका टेलीविजन पर सजीव प्रसारण किया जाएगा, लिहाजा दोनों पक्षों को एक दूसरे पर निशाना साधने का काफी समय मिलेगा।

पवार ने उद्धव को मनाया, नहीं मानेंगे आसानी से हार
उद्धव सरकार अगर सदन में बहुमत हासिल करती है तो एमवीए पहले की अपेक्षा और अधिक मजबूत होकर उभरेगी और उद्धव ठाकरे उसके नायक होंगे। सूत्रों का कहना है कि 2019 में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए एमवीए के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले मराठा छत्रप शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को आसानी से हार नहीं मानने के लिए मना लिया है। सीएम उद्धव ने भी शुक्रवार को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त किया।

बता दें कि पवार ने गुरुवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने देश में राष्ट्रीय दलों के नाम पढ़े थे। साथ ही उन्होंने पूछा कि इसके पीछे भाजपा के अलावा कौन सी इकाई हो सकती है। इस दौरान पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा वह जगह है जहां (राज्य) सरकार की बहुमत का फैसला फ्लोर टेस्ट के दौरान किया जाएगा, न कि गुवाहाटी में।
राजनीतिकार बता रहे हैं कि सदन में भाजपा ही एमवीए का मुख्य निशाना होगी। मेल-मिलाप के प्रयास विफल हो जाने के बाद विद्रोही विधायकों पर उद्धव ठाकरे और उनके सहयोगियों के जुबानी हमले बढ़ गए हैं। दूसरी तरफ, भाजपा ने फैसला किया है कि वह मुख्य रूप से शिवसेना में असंतोष और एमवीए घटक दलों में अविश्वास को हथियार बनाएगी जिनकी वजह से इस विद्रोह की नौबत आई है।

उपाध्यक्ष का कानूनी पहलू पर मंथन
इस बैठक में शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं के अलावा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, प्रफुल्ल पटेल और जयंत पाटिल भी मौजूद थे। ‘मातोश्री’ में जब यह बैठक चल रही थी तो विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाळ ने महाधिवक्ता के साथ शिवसेना के उद्धव गुट द्वारा भेजे गए उस पत्र पर विचार-विमर्श किया जिसमें शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है।

शिंदे ने किया बड़ा दावा
वहीँ एकनाथ शिंदे का कहना है कि शिवसेना के 40 समेत उन्‍हें कुल 50 विधायकों का समर्थन हासिल है। उनका गुट ही असल शिवसेना है इसिलिए उद्धव गुट की ओर से बागियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग गलत है। उन्हें और उनके समर्थकों को गीदड़भभकियों से नहीं डराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के 55 विधायकों में से 40 मेरे साथ गुवाहाटी आए हैं। लोकतंत्र में बहुमत और संख्या मायने रखती है। इसलिए किसी को भी हमारे खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।
विधानसभा उपाध्यक्ष ने शिवसेना विधायक दल के नेता के तौर पर शिंदे को मान्यता और विद्रोही गुट द्वारा सुझाए गए मुख्य सचेतक की नियुक्ति को नकार दिया है। अब इस फैसले के खिलाफ शिंदे बांबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें शिवसेना के दो-तिहाई से ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है और इस संबंध में उपाध्यक्ष का फैसला असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष तब तक कोई फैसला नहीं ले सकते जब तक उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित है।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के 16 विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी पत्र के एक दिन बाद ही शिंदे गुट ने भी शुक्रवार को विधानसभा उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया। यह नोटिस शिंदे गुट के निर्दलीय विधायक महेश बलदी और विनोद अग्रवाल ने दाखिल किया। नोटिस में संविधान के अनुच्छेद 179 और महाराष्ट्र विधानसभा के नियम 11 का हवाला दिया गया है। शिंदे गुट ने दावा किया कि जब तक उपाध्यक्ष के खिलाफ उन्हें हटाए जाने का प्रस्ताव लंबित है, उन्हें अपने समक्ष लंबित किसी भी आवेदन पर विचार करने का अधिकार नहीं है। अगर उपाध्यक्ष ने कोई भी कार्रवाई की तो यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी। वहीँ शिवसेना ने अयोग्य करार देने के लिए चार और विधायकों के नाम आज विधानसभा उपाध्यक्ष को भेजे हैं।

सीएम उद्धव बोले- पीठ में घोंपा छुरा
बैठक के बाद महाराष्ट्र के सीएम व शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी हमारा समर्थन कर रहे हैं। शरद पवार और सोनिया गांधी ने हमें भरोसा दिया है, लेकिन हमारे ही लोगों ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है! हमने ऐसे लोगों को टिकट दिया जो जीत नहीं सकते थे, हमने उन्हें विजयी बनाया। उन लोगों ने हमसे विश्‍वासघात किया है। यह बैठक ऐसे वक्‍त में हुई जब शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।

शिंदे पर साधा निशाना
उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैंने सपने में कभी नहीं सोचा था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा। मैंने ‘वर्षा’ बंगला छोड़ा है लेकिन लड़ने की इच्छा नहीं। ठाकरे ने शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बागी नेता के लिए सब कुछ किया लेकिन फिर भी उन पर कई आरोप लगाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री उद्धव ने कहा, मैंने एकनाथ शिंदे के लिए सब कुछ किया। मैंने उन्हें वह विभाग दिया जो मेरे पास था। उनका अपना बेटा एक सांसद है और मेरे बेटे के बारे में टिप्पणियां की जा रही हैं। मेरे खिलाफ बहुत सारे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें बालासाहेब और शिवसेना का नाम लिए बिना लोगों के बीच जाना चाहिए।

राउत ने भी दिए फ्लोर टेस्‍ट के संकेत
शिवसेना नेता संजय राउत ने फ्लोर टेस्‍ट में जाने के संकेत दिए हैं। उन्‍होंने कहा, हम हार मानने वाले नहीं हैं। हम सदन के फ्लोर पर जीतेंगे। अगर यह लड़ाई सड़क पर हुई तो हम वहां भी जीतेंगे। उन्‍होंने यह भी कहा कि शिवसेना ने बागियों को वापस आने का मौका भी दिया था लेकिन अब वक्‍त निकल चुका है। राउत के बयान से मालूम पड़ता है कि अब यह सियासी संकट फ्लोर टेस्‍ट की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है।

पैसे के दम पर कोई पार्टी नहीं खरीद सकता
संजय राउत ने आगे कहा कि इस पार्टी पर कोई आसानी से डाका नहीं डाल सकता है। केवल पैसे के दम पर कोई पार्टी नहीं खरीद सकता है। अभी जो संकट है उसे हम संकट नहीं मानते बल्कि ये हमारे लिए पार्टी विस्तार का बहुत बड़ा मौका है। कांग्रेस ने भी कहा है कि एमवीए मजबूत स्थिति में है, संवैधानिक गतिरोध पर कानूनी लड़ाई चल रही है।

शिवसेना ने बालासाहेब के नाम के दुरुपयोग के खिलाफ पत्र लिखा
शिवसेना ने बालासाहेब के नाम के दुरुपयोग के खिलाफ इलेक्शन कमीशन को पत्र लिखा है। इसमें लिखा कि राज्य में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कुछ विधायक पार्टी विरोधी गतिविधियां कर रहे हैं।
शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संजय राउत ने कहा कि बैठक में छह प्रस्ताव पास हुए हैं। जिन लोगों ने चाहे वे कितने भी बड़े नेता हों। जिसने शिवसेना के साथ गद्दारी या बेईमानी की है। उन पर कठोर कार्रवाई करने के सर्वाधिकार हमने एक प्रस्ताव के माध्यम से उद्धव ठाकरे को दिए हैं। उन्होंने कहा, बालासाहेब ठाकरे का नाम अगर कोई अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है, तो हमें ये मंजूर नहीं है। उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राउत ने कहा कि जो लोग छोड़कर गए हैं। वे शिवसेना के नाम से वोट न मांगे। अगर मांगते हैं तो अपने खुद के पिता के नाम पर मांगे। शिवसेना के बाप बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मत मांगे।
एकनाथ शिंदे के साथ गए बागी शिवसेना विधायकों के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट रहा है। महाराष्ट्र के पुणे स्थित शिवसेना विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय में आज पार्टी कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की है।

हर ‘गद्दार’ को निशाना बनाया जाएगा
दूसरी ओर शिवसेना विधायक तानाजी सावंत के पुणे स्थित कार्यालय में शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की है। पार्टी पार्षद विशाल धनावडे ने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ताओं के एक समूह ने भैरवनाथ शुगर वर्क्स के कार्यालय में घुसकर सुबह काटराज इलाके में स्थित कार्यालय को क्षतिग्रस्त कर दिया।
उन्होंने कहा, सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ अभी शुरुआत है और आने वाले दिनों में हर देशद्रोही (विद्रोही विधायक) के कार्यालय नष्ट कर दिए जाएंगे। ज्ञात हो कि तानाजी सावंत उस्मानाबाद जिले के परंडा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पहले ठाणे जिले के कल्याण से लोकसभा सांसद और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के कार्यालय के बाहर बोर्ड को नुकसान पहुंचाया गया है। इसमें कुछ लोगों को श्रीकांत शिंदे के उल्हासनगर कार्यालय पर पथराव करते हुए देखा गया। शिवसैनिकों ने उद्धव ठाकरे के समर्थन में नारे भी लगाये।

वर्तमान राजनीतिक संकट से उसका कोई लेना-देना नहीं: चंद्रकांत पाटिल
भाजपा ने शिवसेना में हुए विद्रोह में अपना कोई हाथ होने से फिर एक बार इंकार किया है। महाराष्ट्र की भाजपा इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि राज्य के वर्तमान राजनीतिक संकट में उनकी पार्टी की कोई भूमिका नहीं है। जब उनसे शरद पवार के उस बयान के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने शिवसेना में विद्रोह के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था, तो पाटिल ने कहा, मुझे लगता है कि पवार और शिवसेना के संजय राउत ने बोलने की आजादी के अपने अधिकार का अधिक इस्तेमाल किया है। याद दिला दें कि एकनाथ शिंदे भी एक वीडियो में यह कहते हुए दिखाई दिए हैं कि उन्हें एक राष्ट्रीय पार्टी, एक महाशक्ति का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, एक टीवी न्यूज चैनल ने शिंदे से जब यह पूछा कि क्या भाजपा उनके समूह का समर्थन कर रही है। शिंदे ने कहा कि जब मैंने कहा कि एक बड़ी शक्ति हमारा समर्थन कर रही है तो मेरा मतलब बालासाहेब ठाकरे और दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे की शक्ति से था। शिवसेना के बागी नेता शिंदे ने शुक्रवार को पूर्व में दिए गए अपने बयान से पलटते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्रीय दल उनके संपर्क में नहीं है।