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14 अप्रैल के बाद महाराष्ट्र में 15 दिनों के लॉकडाउन की संभावना प्रबल?

मुंबईः महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए राज्य सरकार कभी भी 15 दिनों के सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर सकती है। आज सीएम उद्धव ठाकरे और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के बीच हो रही एक बैठक में इसका निर्णय लिया जा सका है।
बता दें कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने रविवार को भी कोरोना टास्क फोर्स के साथ विशेष बैठक की। इसमें टास्क फोर्स ने राज्य में कोरोना की रफ्तार थामने के लिए 15 दिनों के सख्त लॉकडाउन की वकालत की। इससे पहले उद्धव ठाकरे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोरोना टास्क फोर्स के साथ करीब दो घंटे की बैठक कर चुके हैं। इस बैठक में प्रदेश में पूरी तरह से लॉकडाउन लगाए जाने और कठोर नियम को लेकर चर्चा की गई। बैठक की शुरुआत में टास्क फोर्स ने 14 दिन के लॉकडाउन के बारे में अपनी भूमिका रखी। सूत्रों की मानें तो सीएम उद्धव ठाकरे टास्क फोर्स के दिए गए सुझावों के आधार पर आज आखिरी फैसला करेंगे।
महाराष्ट्र के मंत्री असलम शेख ने कहा कि बैठक में कुछ लोग दो हफ्ते तो कुछ तीन हफ्ते का लॉकडाउन लगाए जाने के पक्ष में थे। कहा जा रहा है कि 14 अप्रैल को डॉ बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती के बाद ही लॉकडाउन लगाने की घोषणा की जा सकती है। इसी दिन राज्य मंत्रिमंडल की बैठक भी होने की संभावना है।

महाराष्ट्र में लॉकडाउन पर हुई बैठक में ‘टास्क फोर्स’ के सदस्यों ने सरकार को दिए सुझाव…

  • 95% मरीज घर पर ही उचित तरीके से इलाज कराकर ठीक हो सकते हैं। इसलिए केवल गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
  • टास्क फोर्स ने यह भी सुझाव दिया है कि हाउसिंग सोसायटियों में क्वारंटीन कक्ष स्थापित कर वहां ऑक्सिजन कॉन्सनट्रेटर्स लगाकर तात्कालिक जरूरतों को पूरा किया जा सकता है और अस्पतालों पर बढ़ रहे बोझ को घटाया जा सकता है।
  • सभी महानगरपालिका क्षेत्रों में वॉर रूम बनाकर अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों का बेहतर नियोजन किया जा सकता है।
  • अस्पताल में भर्ती होने आने वाले मरीजों का सबसे पहले 6 मिनिट वॉक टेस्ट लेकर डॉक्टरों को आगे का निर्णय लेना चाहिए।
  • युवा मरीजों को भी अब वेंटीलेटर्स की जरूरत पड़ने लगी है इसलिए उनका योग्य नियोजन होना चाहिए।
  • जिस मरीज को ऑक्सीजन दिया जा रहा है वह सही तरीके से और सही मात्रा में मिलना जरूरी है।
  • मास्क व अन्य नियमों का उल्लंघन करने वालों पर बड़ा जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
  • एमबीबीएस के थर्ड ईयर और उससे ज्यादा के विद्यार्थियों और आयुष डॉक्टर्स का बड़ी संख्या में उपयोग किया जाना चाहिए।