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नहीं रहा ‘दिल्ली का शेर’…दिल्ली के मंदिर का पुजारी 

नई दिल्ली , दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता मदनलाल खुराना का शनिवार देर रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके एक परिवार के सदस्य ने बताया कि रात 10:45 बजे खुराना ने अपने मोती नगर स्थित घर में आखिरी सांस ली। खुराना राजस्थान के राज्यपाल और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्र में संसदीय कार्य मंत्री भी रहे। मदनलाल खुराना को दो बेटे और दो बेटियां हैं। एक बेटे हरीश खुराना तो दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता भी हैं। दो बेटियां गीता छाबड़ा और पूनम गुलाटी हैं। मदनलाल खुराना अपने जीवन काल में कुल 11 बार चुनाव (लोकसभा, विधानसभा सब मिलाकर) जीते। उनके बड़े बेटे विमल खुराना का दो माह पहले ही निधन हो गया था।
बचपन में शरणार्थी के तौर पर दिल्ली आने वाले मदन लाल खुराना कभी दिल्ली में जनसंघ और भाजपा के प्रमुख नेता हुआ करते थे। उनकी अगुवाई में 1993 में दिल्ली में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की थी और वे मुख्यमंत्री बने थे।

फैसलाबाद में जन्म :
15 अक्तूबर 1936 को मदनलाल खुराना का जन्म फैसलाबाद ( लायलपुर) पाकिस्तान में हुआ था।
1947 में 12 साल की उम्र में शराणार्थी के तौर पर वे भारत विभाजन पर दिल्ली पहुंचे।
1959 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए।
1965 से 1967 तक वे जनसंघ के महासचिव रहे।  वे दिल्ली में केदारनाथ सहनी और विजय कुमार मल्होत्रा के साथ जनसंघ के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे।

दिल्ली का शेर :
1984 के बाद उन्होंने दिल्ली में भाजपा को मजबूत करने के लिए काफी सक्रियता से काम किया। एक समय में उन्हें दिल्ली का शेर कहा जाने लगा था। खुराना के नेतृत्व में दिल्ली में भाजपा ने 1993 में जीत हासिल की।
02 दिसंबर 1993 से  26 फरवरी 1996 तक मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे।
14 जनवरी 2004 से  अक्तूबर 2004 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे।
2004 में राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद खुराना एक बार फिर दिल्ली की सक्रिय राजनीति में लौटना चाहते थे। पर ऐसा नहीं हो सका।

पार्टी से निलंबन 
2005 में मदनलाल खुराना को पार्टी से निलंबित किया गया। बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की भी सिफारिश की गई।
2009 में 15 मार्च को एक बार फिर उनकी भाजपा में वापसी हो गई। पर इसके बाद खराब सेहत के कारण पहले की तरह सक्रिय नहीं हो सके।