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दिव्यांग टैलेंट एंड फैशन शो में दिव्यागों के स्टंट और डांस देख दंग हुए दर्शक

मुंबई: ‘नारायण सेवा संस्थान’ ने मुंबई के जेवीपीडी ग्राउंड में रविवार को ‘दिव्यांग टैलेंट एंड फैशन शो’ आयोजित कराया। इस इवेंट में दिव्य हीरोज ने व्हीलचेयर, बैसाखी, कैलीपर्स और कृत्रिम अंगों के सहारे अपने वजन को संभाले हुए आश्चर्यजनक स्टंट और डांस प्रस्तुत कर लोगों की तालियां बटोरीं। ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी और पोलियो जैसी गंभीर चिकित्सीय स्थितियों से पीड़ित 40 से ज्यादा दिव्यांगों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
दिव्यांग कलाकारों की दर्जनों दमदार प्रस्तुतियों को देखकर अनेक दिव्यांग लोगों गर्व की अनुभूति हुई होगी। नारायण सेवा संस्थान के सहयोग से हजारों दिव्यांग अपने पैरों पर खड़े हो पाए हैं। ऐसे ही हजारों दिव्यांग आगे भी अपने जीवन को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। इसके पीछे नारायण सेवा संस्थान ने भी काफी मेहनत की है। इस कार्यक्रम के आयोजन के दौरान पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ अग्रवाल और नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक को सम्मानित भी किया।
इस इवेंट में दिव्य हीरोज ने फैशन शो में भी भाग लिया। इसमें चार राउंड हुए। अलग-अलग श्रेणियों में इस इवेंट को बांटा गया था, जिसमें क्रच राउंड, ग्रुप डांस राउंड, व्हीलचेयर राउंड और कैलीपर राउंड था। वहीं, इस 14 वें दिव्यांग टैलेंट शो के दौरान मुंबई की 29 वर्षीय कलाकार ज्योति मस्तेकर ने मराठी लोक नृत्य लावणी प्रस्तुत किया, जो सभी को पसंद आया। बता दें कि ज्योति का एक हाथ दूसरे की हाथ की तुलना में काफी छोटा है। बावजूद इसके वे दमदार नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का तालियां बटोरती हैं।
दिव्यांग टैलेंट एंड फैशन शो के अवसर पर पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ अग्रवाल ने कहा– हम हर ऐसे दिव्यांग शख्स को नारायण सेवा संस्थान में मोबाइल रिपेयरिंग, कंप्यूटर और हार्डवेयर मरम्मत के कौशल को निशुल्क सीखने के लिए आमंत्रित करते हैं, जो जरूरतमंद और आगे बढना चाहता है। यथासंभव हम इनके प्लेसमेंट के लिए भी प्रयास करेंगे।
वहीं, संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा- हमारा लक्ष्य दिव्यांग लोगों को बेहतर तरीके से जिंदगी जीना सिखाना है। दिव्यांगों को पर्याप्त कौशल प्रदान करने, स्वास्थ्य संबंधी सहायता प्रदान करने और उन्हें शिक्षित करने के लिए हमारी ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके पीछे मकसद ये है कि ये लोग भी समाज में दूसरे लोगों के साथ बराबरी पर खड़े हो सकें।