नागपुरब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य

महाराष्ट्र का महा-नाटक: फिर बीजेपी सरकार, देवेंद्र फडणवीस ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ…

आज सुबह 5:47 बजे राष्ट्रपति शासन हटा, 7:30 बजे भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली!

मुंबई,(राजेश जायसवाल): शनिवार सुबह महाराष्ट्र की राजनीति ने बड़ा उलटफेर देखने को मिला। शुक्रवार रात तक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर सबके सामने आ रहा था लेकिन शनिवार सुबह 8 बजे बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो एनसीपी नेता अजित पवार उप-मुख्यमंत्री की। इस सियासी खेल से राज्य की जनता के आलावा बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी हतप्रभ है!
पिछले एक महीने से जारी शह और मात के इस खेल में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने अपनी पार्टी को तोड़ दिया। अजित पवार ने बीजेपी को समर्थन दे दिया और डेप्‍युटी सीएम बन गए। भतीजे के इस दांव से शरद पवार और उनका परिवार अचम्भित है। शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी को समर्थन देने का अजित का फैसला निजी है। उधर, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा है कि जिंदगी में अब किसका भरोसा करें, इस तरह कभी धोखा नहीं मिला। अजित के इस कदम से भले शरद परिवार बहुत आहत हो लेकिन अगर इतिहास पर नजर डालें तो महाराष्‍ट्र के नवनियुक्‍त उप-मुख्यमंत्री अजित ने अपने चाचा के इतिहास को ही दोहराया है।

गौरतलब है कि जुलाई 1978 में शरद पवार ने अपने गुरु के इशारे पर कांग्रेस (U) से खुद को अलग कर लिया और जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई। मात्र 38 साल की उम्र में शरद पवार राज्‍य के सबसे युवा मुख्‍यमंत्री बने। बाद में यशवंत राव पाटिल भी शरद पवार की पार्टी में शामिल हो गए। इंदिरा गांधी के दोबारा सत्‍ता में आने के बाद फरवरी 1980 में पवार के नेतृत्‍व वाली प्रोग्रेसिव डेमोक्रैटिक फ्रंट सरकार गिर गई।

अजित पवार ने भी चाचा के नेतृत्‍व वाली NCP को तोड़ा
अब अजित पवार ने भी अपने चाचा और गुरु शरद पवार के नेतृत्‍व वाली एनसीपी को तोड़ा है और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है। बताया जा रहा है कि एनसीपी के कुल 54 विधायकों में से अजित पवार के साथ 35 विधायक हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा इस बात की भी गरम है कि शरद पवार ने अपने भतीजे के साथ मिलकर पर्दे के पीछे से खेल किया है। हालांकि खुद शरद पवार ने इसका खंडन किया है।
शरद पवार ने ट्वीट कर कहा, अजित पवार का बीजेपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला उनका निजी फैसला है, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का इससे कोई संबंध नहीं है। हम आधिकारिक रूप से यह कहना चाहते हैं कि हम उनके (अजित पवार) इस फैसले का न तो समर्थन करते हैं और न ही सहमति देते हैं। यही नहीं शरद पवार शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस भी करने वाले हैं। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अपने वाट्सऐप स्‍टेटस पर लिखा है- ‘पार्टी और परिवार में बंटवारा।’ पार्टी में उपजे संकट से निपटने के लिए शरद पवार ने एनसीपी की आपात बैठक बुलाई है। उधर, अजित पवार ने कहा है कि उन्‍होंने अपने चाचा शरद पवार को पूरे घटनाक्रम से पहले ही अवगत करा दिया था।

शरद पवार के पास बचे अब दो विकल्‍प
राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक शरद पवार के पास अब दो विकल्‍प बचे हैं। शरद पवार या तो अपने गुरु की तरह से भतीजे के साथ जा सकते हैं। ऐसा करने पर उनकी बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र सरकार में मंत्री पद मिल सकता है। आरपीआई के नेता रामदास आठवले ने भी शरद पवार को यही सुझाव दिया है। उधर, शरद पवार के समक्ष दूसरा विकल्‍प यह है कि वह अपने विधायकों को मनाएं ताकि बीजेपी सरकार विधानसभा में बहुमत हासिल न कर सके और भतीजे को झुकने के लिए मजबूर किया जा सके। अब शरद पवार को इन विकल्‍पों में से एक को चुनना होगा। वहीं एनसीपी नेता अजित पवार ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देकर राजनीतिक समीकरणों को तो उलझा दिया है। अब सबकी नजरें बहुमत के उस जादुई आंकड़े पर टिक गई हैं जिसके कारण पूरी कहानी शुरू हुई।

बहुमत का आंकड़ा- 145
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का जरूरी आंकड़ा 145 का है। विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। बीजेपी और शिवसेना चुनाव से पहले साथ थीं और ऐसे में दोनों के पास बहुमत का आंकड़ा था। हालांकि, गठबंधन टूट गया और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 40 सीटों की जरूरत हो गई।

बीजेपी को यूं मिला संख्याबल
ताजा घटनाक्रम के बाद यह माना जा रहा है कि एनसीपी से अलग राह पकड़कर बीजेपी के साथ सरकार में शामिल होने वाले अजित पवार के पास यह जरूरी संख्या है। शरद पवार ने साफ कहा है कि बीजेपी को समर्थन का फैसला अजित का निजी था। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि एनसीपी के सभी 54 विधायकों का साथ बीजेपी के को नहीं मिला है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो अजित के साथ एनसीपी के 35 विधायक हैं। उनके अलावा करीब 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी पहले ही कर रही थी। ये निर्दलीय शिवसेना और बीजेपी के बागी नेता हैं।

शुक्रवार शाम 7:45 बजे एनसीपी चीफ शरद पवार ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नाम पर मुहर लगाई थी, रातभर में सब बदल गया और शनिवार सुबह राकांपा के अजित पवार उपमुख्यमंत्री बन गए!

दल-बदल के तहत अजित को 36 विधायक चाहिए
एनसीपी के पास कुल 54 विधायक हैं। दल-बदल कानून के प्रावधान के तहत अलग गुट को मान्यता हासिल करने के लिए दो तिहाई विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। इस लिहाज से अजित पवार को 36 विधायकों का समर्थन चाहिए। अगर अजित 36 या इससे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल कर लेते हैं तो उन्हें नई पार्टी बनाने में मुश्किल नहीं होगी लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो बागी विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है।

बीजेपी का दावा, सभी एनसीपी विधायक साथ
हालांकि, बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने दावा किया है कि एनसीपी के सभी विधायकों का समर्थन बीजेपी को मिला है। महाजन ने कहा है, हम 170 के ऊपर विधायकों के साथ अपना बहुमत साबित करेंगे। अजित पवार ने राज्यपाल को अपने विधायकों का समर्थन दिया है और वह एनसीपी के विधायक दल के नेता हैं। इसका मतलब है कि सभी एनसीपी विधायकों ने हमारा समर्थन किया है। महाजन ने यह भी दावा किया है कि शिवसेना के कुछ विधायक इतने खीझ चुके हैं कि वे बीजेपी के साथ आ सकते हैं।

जेल जाने से बचने के लिए अजित पवार ने मिलाया बीजेपी से हाथ
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि इस घटनाक्रम से शरद पवार का कुछ लेना-देना नहीं है। अजित पवार ने शरद पवार और महाराष्ट्र की जनता के साथ धोखा किया है। उन्होंने आगे कहा कि जेल जाने से बचने के लिए अजित पवार ने बीजेपी से हाथ मिलाया है और बीजेपी सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। संजय राउत ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ‘पाप के सौदागर’ ट्वीट करते हुए बीजेपी और अजित पवार पर हमला बोला है।
महाराष्ट्र में रातोंरात हुए खेल के बाद मीडिया के सामने आकर संजय राउत ने कहा, लोगों को आमंत्रित करके क्यों नहीं शपथ ली। आपने पाप किया है, चोरी की है, महाराष्ट्र की जनता को दगा दिया है। इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। राउत ने कहा सत्ता के लिए भतीजे ने चाचा को धोखा दिया। यह बात महाराष्ट्र को हजम नहीं होगी। जिस तरह पर्दे के पीछे से यह सब हुआ है, पैसा का दुरुपयोग करके, जनता यह पाप ठुकराए बगैर रहेगी नहीं।