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मुंबई: वाडिया अस्पताल को बचाने के लिए मनपा ने दिए १४ करोड़

मुंबई: नवजात शिशुओं के लिए मुंबई में सबसे बड़े अस्पताल के रूप में माना जाने वाला परेल के वाडिया अस्पताल को मनपा ने 14 करोड़ रुपए देकर ऑक्सीजन देने का काम किया है। मनपा ने बाकी के 82 करोड़ रुपए अगले कुछ दिनों में अलग-अलग चरणों में देने का निर्णय लिया है। यह जानकारी मुंबई की महापौर किशोरी पेडणेकर ने दी।
बता दें कि वाडिया अस्पताल वाडिया ट्रस्ट एवं मनपा द्वारा दिये गए अनुदान से चलाया जाता है। मनपा ने पिछले कुछ दिनों से वाडिया अस्पताल को दी जाने वाली सहायता राशि कुछ कारणों से बंद कर दी थी, जिसके कारण वाडिया का मनपा पर 96 करोड़ रुपया बकाया हो गया था। पैसों की कमी के कारण वाडिया ट्रस्ट ने पिछले दिनों नए मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगा दी थी, जिससे यह माना जाने लगा था कि मुंबई में छोटे बच्चों का एक मात्र अस्पताल भी बंद होने की कगार पर पहुंच गया। मनपा की स्थाई समिति में छोटे बच्चों का अस्पताल बंद होने की कगार पर पहुंचने पर सभी पार्टी के नगरसेवकों द्वारा जमकर विरोध किया गया। सभी सदस्यों ने मनपा प्रशासन की लापरवाही पर जमकर नाराजगी व्यक्त की। सदस्यों का आरोप था कि वाडिया की जमीन का 40 प्रतिशत हिस्सा मनपा का है। मनपा अधिकारी ने अपना वर्चस्व दिखाने के लिए मरीजों के इलाज के लिए दिया जाने वाला अनुदान बंद कर दिया है जिससे वाडिया ट्रस्ट ने अस्पताल बंद करने का निर्णय ले लिया है। अस्पताल बंद हो जाने से गरीब छोटे बच्चों के इलाज के लिए मुसीबत का सामना करना पड़ेगा, जिसके चलते सभी सदस्यों ने अस्पताल को शुरू रखने को लेकर मनपा प्रशासन को अनुदान की बकाया राशि तत्काल देने की गुहार बुधवार, 5 दिसंबर को लगाई थी, जिस पर स्थाई समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने मनपा आयुक्त से तत्काल निर्णय लेने का निर्देश दिया था। महापौर के निर्देश पर मनपा आयुक्त प्रवीण परदेशी ने अस्पताल का बकाया 96 करोड़ में से 14 करोड़ रुपया दे दिया। मनपा प्रशासन का मानना है कि वाडिया ट्रस्ट अस्पताल में मरीजों को जो सस्ती सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह नहीं दी जा रही है। मरीजों से निजी अस्पतालों की दर के अनुसार पैसा वसूल रही है, जिस पर रोक लगाने के लिए ट्रस्ट बोर्ड पर मनपा के चार नगरसेवकों सहित मनपा अधिकारियों को भी रखे जाने पर अड़ी है, जिसको लेकर वाडिया ट्रस्ट और मनपा अधिकारियों के बीच वाद-विवाद उत्पन्न हुआ है जिसका खमियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ सकता है।