ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य मुंबई: ‘रेप नहीं, प्यार था मीलॉर्ड’, कोर्ट ने सुनने-बोलने में असमर्थ आरोपी को किया रिहा 2nd January 20202nd January 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: मुंबई में स्पेशल प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड फ्रॉम सेक्शुल ऑफेंस (पॉक्सो) ऐक्ट की एक अदालत ने रेप के आरोपी दिव्यांग को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। आरोपी सुनने और बोल पाने में असमर्थ है। कोर्ट ने माना है कि आरोपी ने रेप नहीं किया है और उसने अपनी प्रेमिका की मर्जी से उससे शारीरिक संबंध बनाए थे। मिली जानकारी के मुताबिक, अब 23 के हो चुके आरोपी को चार साल पहले अपहरण और रेप के कथित मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त लड़की की उम्र मात्र 15 साल थी।मामला अक्टूबर 2014 का है, जब ये प्रेमी-प्रेमिका घर छोड़कर तिरुपति चले गए थे। लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने तलाश की और दोनों को जनवरी 2015 में वापस ले आया गया। तिरुपति में इस युवक ने 120 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी पर एक रेस्तरां में काम किया था। कोर्ट में ट्रायल के दौरान आरोपी युवक ने सांकेतिक भाषा में बताया कि उसे प्यार करने के लिए सजा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उसने लड़की से शादी की है। कोर्ट ने माना- रेप नहीं, प्यार था मकसदकोर्ट ने भी कहा, लड़के का मकसद परिवार शुरू करना था, रेप नहीं। लड़की ने उसके साथ जाने का फैसला लिया और उसे शादी का मतलब पता था। वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट के माध्यम से गई। तिरुपति में घर लेने के दौरान भी लड़के की पत्नी बताए जाने पर भी उसने कोई ऐतराज नहीं जताया। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि लड़की नाबालिग थी।लड़की ने कोर्ट में कहा था कि लड़के ने उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जबकि 2015 में मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने पर उसने माना था कि वह अपनी मर्जी से आई थी। उस समय लड़की की बात मानते हुए कोर्ट ने कहा, वह तिरुपति में भीड़भाड़ वाले इलाके में रहती थी। कभी ऐसा नहीं रहा, जब उसने किसी की मदद लेने या फिर वहां से भागने की भी कोशिश की हो। मेडिकल रिपोर्ट ने भी माना- सहमति से बना शारीरिक संबंधकोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल रिपोर्ट भी दर्शाती है कि दोनों के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाया गया। यह लड़की के बयान में एक और दोहराव को दर्शाता है। कोर्ट ने इस मामले को लड़के और लड़की की आपसी सहमति से प्यार वाला रिश्ता मानते हुए लड़के को रिहा कर दिया है। बता दें कि इस पूरे मामले में सांकेतिक भाषा समझने के लिए साइन लैंग्वेज के शिक्षकों ने कोर्ट की मदद की है। (सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के अनुसार, पीड़िता की पहचान छिपाई गई है…) Post Views: 152