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मुंबई: सीपी के बेटे की कंपनी को मिला प्रॉजेक्ट, महाराष्ट्र सरकार ने की कार्रवाई

मुंबई: बीते साल अक्टूबर महीने में मुंबई पुलिस के ऑफिशल रेकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण का ठेका जिस कंपनी को दिया गया था, वह मुंबई पुलिस आयुक्त संजय बर्वे के बेटे और पत्नी की कंपनी है। राज्य की उद्धव सरकार ने इस प्रॉजेक्ट को फिलहाल रद्द करने का फैसला लिया है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह खुलासा किया गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (जिनके पास गृह मंत्रालय भी था) ने 7 अक्टूबर 2019 को मुंबई पुलिस के रेकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण का प्रॉजेक्ट पांच साल के लिए क्रिस्पक्यू इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजीस प्रा. लि. कंपनी को दिया था।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हमने इस बारे जानकारी मांगी है। हम इसकी जांच कर रहे हैं। उधर अपर मुख्य सचिव (गृह) संजय कुमार ने संजय बर्वे के कार्यालय से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा था कि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि कंपनी का मालिक संजय बर्वे का बेटा है।

प्रॉजेक्ट को कैंसल करने की तैयारी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार इस प्रॉजेक्ट को कैंसल करने की तैयारी कर रही है। स्पष्टीकरण मांगना इस दिशा में पहला कदम है।
बता दें कि अक्टूबर महीने में कंपनी को ठेका देने के लिए राज्य के गृह विभाग ने कोई ई-टेंडर नहीं जारी किया था। इसके अलावा राज्य में 21 सितंबर को आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई थी, उसके बाद भी यह प्रॉजेक्ट कैसे अक्टूबर में दे दिया गया, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।

सीपी ने कहा, पूरी तरह फ्री था सॉफ्टवेयर
मुंबई पुलिस आयुक्त संजय बर्वे ने बुधवार को स्वीकार किया कि उनकी पत्नी और बेटे द्वारा चलाए जाने वाले फर्म को शहर पुलिस रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण का ठेका दिया गया था लेकिन स्पष्ट किया कि इस सेवा के लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया था ऐसे में वित्तीय लाभ का कोई सवाल ही नहीं उठता है। एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अक्टूबर, 2019 में चुनाव से पहले यह ठेका दिया था लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण यह शुरू नहीं हो सका। बर्वे ने बताया कि ‘क्रिस्पक्यू इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड’ ने अपनी सेवा निशुल्क देने की पेशकश की और इसमें किसी प्रकार के वित्तीय लाभ का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा, कंपनी ने बिना किसी शुल्क के अपनी सेवाएं देने की पेशकश की थी और यह मुंबई पुलिस के लाभ के लिए था।’’ देवेन्द्र फडणवीस नीत सरकार ने पांच साल के लिए इस निजी फर्म को रिकॉर्ड के डिजीटलीकरण का काम सौंप दिया। कंपनी का मालिकाना हक बर्वे के पुत्र सुमुख बर्वे और पत्नी शर्मिला बर्वे के पास है। एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने 30 सितंबर 2019 को राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें मुंबई पुलिस को कागज रहित कार्यालय व्यवस्था बनाने के लिए बिना भुगतान लिए सेवा की पेशकश की गई थी। यह काम ‘नोटशीट प्लस’ सॉफ्टवेयर से किया जाना था। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय को इस प्रस्ताव की एक प्रति भेजी गई थी। चूंकि काम के बदले कोई पैसा नहीं लगना था तो सरकार ने इसको मंजूरी दे दी। अधिकारी ने कहा, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण यह काम शुरू ही नहीं हो सका। बर्वे ने कहा कि कंपनी जिस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने वाली थी वह मुफ्त है और फर्म को वित्तीय लाभ होने का सवाल ही नहीं है।
बता दें कि क्रिस्पक्यू की स्थापना 10 दिसंबर 2014 को हुई थी। कंपनी में संजय बर्वे की पत्नी शर्मिला बर्वे 10 फीसदी शेयर और बेटा सुमुख बर्वे 90 फीसदी शेयर रखते हैं। मुंबई सीपी संजय बर्वे 29 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा, जो सॉफ्टवेयर दिया गया है, वह फ्री है। यहां किसी तरह के आर्थिक लाभ का सवाल ही नहीं है।’ सुमुख बर्वे ने कहा कि फर्म को सरकार से किसी भी तरह का नाजायज फायदा नहीं हुआ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह यह काम बिना किसी पारिश्रमिक के कर रहे थे।