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BJP सरकार का एक और फैसला पलटा- अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल पर ताला, फडणवीस के करीबी अधिकारी की छुट्टी

मुंबई: महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार ने राज्य के पूर्व मंत्री शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को झटका दिया है। विधान परिषद में प्रदेश की स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने महाराष्ट्र अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को तत्काल प्रभाव बंद करने की घोषणा की। बुधवार को सदन में शिवसेना सदस्य विलास पोतनीस ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को बंद करने संबंधी मुद्दा उठाया था। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल के बारे में सरकार को काफी शिकायतें मिली हैं। राज्य के 83 स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल से जोड़ा गया है। इसमें राज्य के जिला परिषद, नगर निकायों और निजी अनुदानित स्कूलों का समावेश है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल के पाठ्यक्रम की रूपरेखा तय नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल के पाठ्यक्रम लोगों के सामने नहीं आ रहा है। इस मंडल में कौन लोग काम कर रहे हैं। इसकी ट्रेनिंग कहां पर हुई है। इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को बंद किया जा रहा है। गायकवाड ने कहा कि सरकार राज्य के स्कूलों को बंद नहीं कर रही है। केवल अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को बंद करने का फैसला किया गया है। इसलिए मंडल बंद होने से किसी भी विद्यार्थियों का नुकसान नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को बंद को लेकर सदन में सत्ताधारी दल और भाजपा के सदस्य सामने-सामने आ गए।
सदन में भाजपा के सदस्य रणजीत पाटील ने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल बंद करने के बजाय मंडल की समीक्षा करनी चाहिए। इसके बाद अंतिम फैसला करना चाहिए। जबकि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस विधायक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को बंद करने की मांग पर अड़े रहे। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल को बंद करने की घोषणा की।
इससे पहले भाजपा-शिवसेना सरकार के समय राज्य के विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय दर्जे की उत्तम शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल का गठन किया गया था। भाजपा सरकार ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल के लिए प्रति वर्ष 10 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया था। इसके अनुसार राज्य के 83 स्कूलों में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंडल की शिक्षा शुरू करने का फैसला किया गया था।

फडणवीस के करीबी एक और IAS अधिकारी की छुट्टी
उधर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी माने जाने वाले आईएएस अधिकारी भूषण गगराणी को मुख्यमंत्री कार्यालय से कार्यमुक्त कर दिया गया है। गगराणी के पास उद्योग विभाग का भी कार्यभार था फिलहाल वह भी उनसे ले लिया गया है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भी गगराणी मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्य कर रहे थे। अचानक उनको हटाया जाना नौकरशाहों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री कार्यालय से कार्यमुक्त किये जाने के बाद गगराणी 14 से 24 फरवरी तक अवकाश पर थे। छुट्टी से वापस आने के बाद भी उन्हें नई नियुक्ति नहीं मिली है।फिलहाल वे नियुक्ति के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं। सत्ता संभालने के बाद अधिकारियों के तबादले में जुटे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लगातार फडणवीस के करीबी अधिकारियों को किनारे लगा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने गगराणी को मुख्यमंत्री कार्यालय में बतौर प्रधान सचिव रखा था। दरअसल ठाकरे सरकार के मंत्री चाहते थे कि फडणवीस के करीबीयों को महत्वपूर्ण पदों से हटाने की मांग की थी। क्योंकि उन्हें डर था कि ऐसा न करने पर इस सरकार की जानकारियां लीक हो सकती हैं। उद्धव मंत्रिमंडल के बैठकों के दौरान अधिकारियों के बाहर कर संवेदनशील विषयो पर चर्चा की जाती है। चर्चा है कि कैबिनेट की खबरे विपक्ष तक पहुचने से रोकने के लिए गगराणी की छुट्टी की गई है।