उत्तर प्रदेशक्रिकेट और स्पोर्टदिल्लीदेश दुनियाब्रेकिंग न्यूज़मुंबई शहरशहर और राज्य

UP: गोरखपुर के इस मंदिर में पहुंचे अंडर-19 क्रिकेट विश्वकप के ‘मैन ऑफ द सीरीज’ यशस्वी, सुनाई अपनी संघर्ष की दास्तां…

गगहा स्थिति करवल देवी मंदिर में अपने कोच ज्वाला सिंह के साथ यशस्वी जायसवाल

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के सुरियावां निवासी यशस्वी जायसवाल शुक्रवार को गोरखपुर के एक खास मंदिर में पहुंचे। वहां उनको देखकर एक बार लोगों को यकीन नहीं हुआ कि ये अंडर-19 विश्वकप का हीरो है। यशस्वी ने यहां तक का सफर तय करने में बहुत लंबा संघर्ष किया है। यशस्वी ने अपना सपना अपने पिता भूपेंद्र जायसवाल से साझा किया। वहीं परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि बेटे को क्रिकेटर बना पाते। बेटे ने मुंबई में रहने वाले एक रिश्तेदार के घर भेजने की जिद की। पेंट व्यवसायी पिता ने उन्हें रोका नहीं और मुंबई के वर्ली इलाके में रहने वाले रिश्तेदार के यहां भेज दिया। इसके बाद यशस्वी ने अपने दमपर ये सफर तय किया।
यशस्वी बताते हैं कि मुंबई में रिश्तेदार के यहां इतनी जगह नहीं थी कि वह गुजारा हो सके, ऐसे में कालबादेवी इलाके में स्थित एक डेयरी में सोने के लिए जगह मिल गई लेकिन उसके बदले मुझे वहां काम भी करना था। लेकिन ये आइडिया उतना करागर साबित नहीं हुआ क्योंकि दिनभर क्रिकेट का अभ्यास करने के बाद वह शाम को सो जाते। ऐसे में उन्हें अपनी व्यवस्था कहीं और करनी पड़ी।
मुंबई क्रिकेट की नर्सरी कहा जाने वाला आजाद मैदान यशस्वी का नया ठिकाना बना। यहां वह मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में ग्राउंड्समैन के साथ टेंट में रहने लगे। यहां भी उनके ठहरने के लिए एक शर्त रखी गई थी कि उन्हें अच्छा प्रदर्शन करके दिखाना होगा। यशस्वी दिनभर क्रिकेट खेलते और रात को यहीं सो जाते। यहां खाना बनाने का काम भी उन्हीं को दे दिया गया था।

कोच ज्वाला सिंह ने जगाई उम्मीद
यशस्वी ने मैदान में कड़ी मेहनत की लेकिन उन्हें खास पहचान नहीं मिल पा रही थी। इसी बीच 2013 में आजाद मैदान पर अभ्यास के दौरान एक दिन उनकी मुलाकात कोच ज्वाला सिंह से हुई। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, करवल मझगांवां से करीब ढाई दशक पहले मुंबई आए ज्वाला के जीवन की कहानी भी यशस्वी जैसी ही थी। वह यशस्वी के संघर्ष और खेल दोनों से प्रभावित हुए और उन्हें कोचिंग देने का निर्णय लिया। यहीं से इस युवा खिलाड़ी के दिन बदलने शुरू हो गए। ज्वाला सिंह के सफल निर्देशन में यह युवा खिलाड़ी निखरता चला गया।

यशस्वी जायसवाल को अंडर-19 विश्वकप में मैन ऑफ द सीरीज चुना गया

बल्ले से दिया जवाब
जून 2018 यशस्वी के लिए किसी सपने से कम नहीं था। उन्हें श्रीलंका के खिलाफ अंडर-19 टीम में जगह मिली। हालांकि, शुरुआती दो मुकाबलों में उनके बल्ले से रन नहीं निकले। तीसरे और चौथे मैच में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। पांचवें मुकाबले में वे फिर टीम अंदर थे और उन्होंने न केवल मैच सैकड़ा मारकर मैच जिताया, बल्कि टीम को सीरीज भी जिता दी। इसके बाद 2018 में ही हुए अंडर 19 एशिया कप में यशस्वी ‘मैन दी ऑफ द सीरीज’ रहे। इंग्लैंड में हुई ट्राई सीरीज में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा।

यहां सात मैचों में उन्होंने चार अर्धशतक लगाए। यशस्वी ने विजय हजारे ट्रॉफी 2019 में मुंबई की तरफ से खेलते हुए एक दोहरा शतक सहित तीन शतकों की मदद से पांच मैचों में 500 से अधिक रन बनाए। उन्होंने झारखंड के खिलाफ 149 गेंदों में अपना पहला दोहरा शतक लगाया और सबसे कम उम्र में ऐसा करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए। इतना ही नहीं वे विजय हजारे ट्रॉफी की एक पारी में सबसे ज्यादा 12 छक्के लगाने वाले खिलाड़ी भी बन गए। अंडर 19 विश्वकप में टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में बाएं हाथ के बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का सबसे अहम योगदान रहा।

खिताबी मुकाबले में भी उन्होंने 88 रन की पारी खेली। यशस्वी ने पूरे टूर्नामेंट में चार अर्धशतक और एक शतक के साथ 400 रन बनाए। इस दौरान उनका औसत 133.33 और स्ट्राइक रेट 82.47 का रहा। उन्हें मैन ऑफ द सीरीज भी चुना गया। पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में उन्होंने 105 रन की शतकीय पारी खेली थी। इसके अलावा उन्होंने गेंदबाजी में भी तीन विकेट चटकाए।
‘मुंबई क्रिकेट एकेडमी’ और ‘ज्वाला स्पोर्ट्स फाउंडेशन’ के डायरेक्टर ज्वाला सिंह पुत्र स्व. तेजप्रताप सिंह के तीसरे नंबर के पुत्र हैं। बड़े भाई कृष्ण पाल सिंह किसान, दूसरे नंबर के भाई आनंद पाल सिंह परिवहन विभाग में लिगल ऑफिसर हैं। शुक्रवार को ज्वाला सिंह के तीन साल की बिटिया कायरा सिंह के मुंडन संस्कार में शिरकत करने युवा क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल पिता भुपेंद्र कुमार जायसवाल, माता कंचन, बहन गुड़िया के साथ गगहा विकास खंड स्थित करवल देवी मंदिर पहुंचे थे।