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प्रियंका गांधी के निजी सचिव और अजय कुमार लल्लू के खिलाफ FIR दर्ज, बसों की सूची में धोखाधड़ी का आरोप

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना लॉकडाउन में फंसे श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए बस को लेकर कांग्रेस और राज्य की बीजेपी सरकार में तनातनी चल रही है. इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर एफआईआर दर्ज हो गई है. यूपी सरकार को 1000 बसों की सूची भेजने के मामले में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए संदीप सिंह और अजय कुमार लल्लू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
यूपी सरकार का आरोप है कि बसों की लिस्ट में ऑटो, एंबुलेंस, बाइक के नंबर मिले थे. कुछ बसों के नंबर की पुष्टि ही नहीं हो पाई थी. जबकि कुछ बसों के नंबर चोरी के वाहन की होने की आशंका भी जाहिर की जा चुकी है. फिलहाल इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस ने धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में बसों की एंट्री को लेकर कांग्रेस और योगी सरकार आमने-सामने है. एक ओर जहां आगरा में राजस्थान सीमा पर कांग्रेस के कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए तो वहीं अब पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हद कर दी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन बसों पर आप चाहें तो बीजेपी का बैनर लगा दीजिए, अपने पोस्टर बेशक लगा दीजिए लेकिन हमारे सेवा भाव को मत ठुकराइए.

कांग्रेस महासचिव ने ट्वीट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हद कर दी. जब राजनीतिक परहेजों को परे करते हुए त्रस्त और असहाय प्रवासी भाई-बहनों को मदद करने का मौका मिला तो दुनिया भर की बाधाएं सामने रख दिए.
प्रियंका गांधी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन बसों पर आप चाहें तो बीजेपी का बैनर लगा दीजिए, अपने पोस्टर बेशक लगा दीजिए लेकिन हमारे सेवा भाव को मत ठुकराइए, क्योंकि इस राजनीतिक खिलवाड़ में तीन दिन व्यर्थ हो चुके हैं. इन्हीं तीन दिनों में हमारे देशवासी सड़कों पर चलते हुए दम तोड़ रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?
प्रियंका गांधी ने 16 मई को ट्वीट कर कहा था कि हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई-बहन बिना खाए भूखे-प्यासे पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं. यूपी के हर बॉर्डर पर बहुत मजदूर मौजूद हैं. ऐसे में प्रिंयका ने प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसें भेजने के लिए प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी थी.
पहले योगी सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया था, लेकिन बाद में स्वीकार कर लिया. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासन ने प्रियंका के कार्यालय से 1000 बसों और चालकों के विवरण की मांग की थी.