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BSP सुप्रीमो का अखिलेश यादव को कॉल, कहा, सीबीआई की धमकी से घबराने की जरूरत नहीं..

लखनऊ , उत्तर प्रदेश में खनन घोटाले में पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम घसीटने पर बीएसपी मुखिया मायावती ने एसपी चीफ को फोन करके उनका समर्थन किया और डटकर मुकाबला करने की सलाह दी। मायावती ने सीबीआई की कार्रवाई को बीजेपी की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार की हकीकत पूरी दुनिया जानती है। इस तरह की उनकी राजनीति और चुनावी षडयंत्र कोई नई बात नहीं है। इससे पहले एसपी-बीएसपी ने 25 सालों बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बीजेपी पर हमला किया था।
बीएसपी की लखनऊ यूनिट ने प्रेस रिलीज जारी करके मायावती और अखिलेश की बातचीत के बारे में बताया।
मायावती ने कहा कि जिस दिन एसपी-बीएसपी के शीर्ष नेतृत्व की मुलाकात संबंधी खबर मीडिया में आई, तभी से बीजेपी ने सीबीआई को लंबित पड़े खनन मामले में छापेमारी करवाई। इसके अलावा अखिलेश से पूछताछ करने संबंधी खबर जानबूझकर फैलाई गई। उन्होंने कहा कि यह चुनावी षडयंत्र के तहत एसपी-बीएसपी को बदनाम और प्रताड़ित करने की कार्रवाई नहीं तो और क्या है?
उन्होंने कहा, अगर यह कार्रवाई राजनीतिक साजिश नहीं है तो इस पर पहले कार्रवाई करनी चाहिए। इस मामले में बीजेपी नेता अनावश्यक बयानबाजी कर रहे हैं। वे सीबीआई के प्रवक्ता कबसे बन गए हैं? मायावती ने कहा, बीजेपी अपने विरोधियों को फर्जी मामले में फंसाने में माहिर रही है और बीएसपी आंदोलन भी इसे झेल चुका है। जब यूपी लोकसभा की 80 में से 60 सीटें बीएसपी ने बीजेपी को देने से इनकार कर दिया तो उन्होंने मुझे ताज मामले में फर्जी तौर पर फंसा दिया। इसके बाद मैंने 26 अगस्त 2003 को बीएसपी आंदोलन के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने अखिलेश को फोन कर कहा कि बीजेपी के इस प्रकार के साम, दाम, दंड भेद जैसे हथकंडों से घबराने की जरूरत नहीं है। जनता इसका करारा जवाब देगी। इससे पहले बीएसपी सांसद सतीश मिश्रा और एसपी सांसद राम गोपाल यादव ने संसद के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि सरकार ने सीबीआई से गठबंधन कर लिया है और चुनाव से पहले एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
रामगोपाल यादव ने कहा,यदि उत्तर प्रदेश का कोई मंत्री दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन करता है और सीबीआई जांच के लिए कहता है तो इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है? यह उन पर उल्टा पड़ने जा रहा है। बीजेपी को उत्तर प्रदेश में पैर रखने की भी जगह नहीं मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी छोड़ना पड़ेगा और कहीं और से चुनाव लड़ना पड़ेगा।