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मुंबई: कोरोना मरीजों से अधिक वसूली पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

मुंबई: मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में निजी अस्पतालों में मरीजों से मनमाने बिल वसूली पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या यह सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक तंत्र है कि कोविड-19 महामारी के दौरान निजी अस्पताल और नर्सिंग होम पीपीई किट और अन्य सहायक वस्तुओं का अधिक पैसा मरीजों से नहीं वसूलें।

अधिवक्ता अभिजीत मांगडे द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की एक खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस याचिका में कहा गया है कि मुंबई और ठाणे जिले के कुछ निजी अस्पताल पीपीई किट, दस्ताने और एन-95 मास्क जैसी वस्तुओं के लिए रोगियों से अधिक पैसा ले रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी मां को गैर-कोविड-19 उपचार के लिए जून में सात दिनों के लिए ठाणे के जुपिटर अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनसे पीपीई किट और अन्य मदों के लिए 72,806 रुपये लिए गए थे। मांगडे ने एक अन्य घटना का भी उल्लेख किया, जहां एक मरीज से मध्य मुंबई के दादर के एक नर्सिंग होम पुनमिया अस्पताल द्वारा पीपीई किट और अन्य वस्तुओं के लिए तीन दिनों की अवधि के लिए 16,000 रुपये से अधिक लिए गए थे।

अतिरिक्त सरकारी वकील निशा मेहरा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 21 मई को अस्पताल के बिस्तर शुल्क और अन्य वस्तुओं की लागत की सीमा तय करने के लिए एक प्रस्ताव जारी किया था। पीठ ने यह भी जानना चाहा कि सरकार ऐसे अस्पतालों और नर्सिंग होमों पर कैसे नजर रखे हुए है। मुख्य न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, क्या कोई नियामक तंत्र है? इस महामारी के दौरान अस्पतालों द्वारा मरीजों को नहीं लूटा जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और दो अस्पतालों को याचिका के जवाब में अपने हलफनामे दाखिल करने के निर्देश दिए और मामले की अगली सुनवाई की तिथि सात अगस्त तय की है।