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BMC बजट 2019-20 : शिक्षा , स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर

मुंबई , बीएमसी के आर्थिक बजट 2019-20 में स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दिया गया है। बजट बढ़ाने के साथ ही प्राइमरी लेवल से लेकर मेजर अस्पतालों में वर्तमान सुविधाओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए अबकी बार बजट में नई घोषणाओं से परहेज करते हुए प्रशासन ने अस्पतालों का इलाज यानी इनकी दुरुस्तीकरण, बेसिक जरूरतों को बढ़ाने के साथ ही डॉक्टरों और नर्सों की खाली पोस्ट भरने को महत्व दिया है।
पिछले कई महीनों से अस्पतालों में चल रहे मरम्मत कार्यों को जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए अतिरिक्त बजट के अलावा चरणबद्ध तरीके से इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं प्राइमरी स्तर पर काम करने वाली डिस्पेंसरियों में जरूरी उपकरणों के अलावा उनकी रूपरेखा बदलने पर भी जोर दिया जा रहा है। बजट भाषण के दौरान कमिश्नर अजय मेहता ने कहा, गरीब मरीजों के जेब पर इलाज का खर्चा कम करने के लिए हमने बजट में अस्पतालों के आधुनिकरण, अपग्रेडेशन के साथ ही उपकरणों, मूलभूत सुविधाओं और ह्यूमन रिसोर्स पर जोर दिया है, ताकि मरीजों को बीएमसी अस्पताल में कम खर्च में उच्च दर्जे का उपचार मिल सके।
अस्पतालों में सुविधाओं को मजबूत करने और बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य के बजट में बढ़ोतरी की गई है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल के 3601 करोड़ रुपये के बजट को 15 प्रतिशत बढ़ाकर इस बार 4151 करोड़ रुपये किया गया है। बीएमसी के इतिहास में यह पहली बार है जब स्वास्थ्य का बजट 4 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंचा है। प्रशासन ने दावा है किया है कि बीएमसी अस्पतालों में उच्च दर्जे की मेडिकल सेवा देने के लिए पिछले साल 91.60 करोड़ रुपये खर्च कर अत्याधुनिक मशीनें खरीदी गईं। इसमें ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए खरीदी गई डिजिटल सब्स्ट्रक्शन एंजियोग्राफी मशीन, कार्डिएक कैथराइजेशन, मल्टी पैरामीटर पेशेंट मॉनिटर इत्यादि शामिल हैं।
पेरिफेरल और डिस्पेंसरी के लिए 242 करोड़ :
प्राइमरी और सेकंडरी अस्पतालों में सुविधाएं न होने की वजह से मुख्य अस्पतालों पर बोझ बढ़ता है। इस कारण कई बार न केवल मरीजों को गु‌णवत्तापूर्ण इलाज मिलने में दिक्कत होती है, बल्कि लड़ाई-झगड़े तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में 25 डिस्पेंसरी और 10 पेरिफेरल अस्पतालों में नए उपकरण खरीदने, इनके आधुनिकीरण और दूसरी सुविधाएं बढ़ाने के लिए 241 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा एमटी अग्रवाल, शताब्दी गोवंडी और भगवती अस्पताल के पुनर्विकास के लिए 115 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
स्वच्छता अभियान के लिए 25 करोड़ रुपये :
अस्पतालों में स्वच्छता बेहद जरूरी है। बीएमसी अस्पतालों में अक्सर इससे जुड़ी शिकायतें आती रहती हैं। कभी गंदगी के कारण मरीज का पैर चूहा काट लेता है, तो कभी सफाई न होने से ऑपरेशन के बाद मरीजों को संक्रमण का सामना करना पड़ता है। सफाई को लेकर बीएमसी अस्पतालों का चेहरा बदलने के लिए प्रशासन ने आउट सोर्स का रास्ता चुना है। प्रमुख अस्पतालों के बाद अब बीएमसी के सभी 16 पेरिफेरल अस्पतालों में साफ-सफाई और रख-रखाव की जिम्मेदारी प्राइवेट हाथों में होगी, इसके लिए बजट में 25.55 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।