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‘महाराष्ट्र स्वाभिमानी पक्ष’ अपने दम पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव

नारायण राणे का BJP से भी हुआ मोहभंग..

मुंबई , शिवसेना-बीजेपी के बीच गठबंधन की तस्वीर साफ होते ही नारायण राणे ने आगामी लोकसभा चुनाव में ‘एकला चलो’ का नारा दे दिया है। राणे ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग संसदीय सीट से अपने बेटे नीलेश राणे की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि उनकी पार्टी ‘महाराष्ट्र स्वाभिमानी पक्ष’ राज्य में कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वैसे माना जा रहा है कि राणे नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं।
दरअसल, बीजेपी और शिवसेना के बीच गठबंधन में राणे एक बड़ा रोड़ा थे। शिवसेना के करीब जाने के लिए बीजेपी ने जब राणे को साइड करना शुरू किया, तो राणे का खफा होना स्वभाविक ही था। हालांकि, बीजेपी अब भी दावा करती है कि राणे और उनके बेहतर संबंध है। राणे ने कांग्रेस-एनसीपी महागठबंधन में राह तलाश की, लेकिन वहां महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अशोक चव्हाण एक दीवार की तरह खड़े थे।
बात निकली की राणे को एनसीपी समर्थन देगी, लेकिन बात वहां भी न बन सकी। अब राणे अकेले पड़ गए हैं इसलिए उन्होंने अकेले चुनाव मैदान में कूदने की घोषणा कर दी है। वैसे राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि राणे अब भी बीजेपी के लिए छुपे अस्त्र हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राणे के बीच संबंध गहरे है।
केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सत्ता जाने के बाद राणे ने भी कांग्रेस को जय महाराष्ट्र कर दिया था। राणे ने जब कांग्रेस छोड़ी तब वह कांग्रेस कोटे से ही विधान परिषद के सदस्य थे। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता त्याग दी। उस वक्त कयास लगाया गया कि वह बीजेपी ने शामिल होंगे, लेकिन वह बीजेपी में शामिल नहीं हुए। बीजेपी ने उन्हें दिल्ली दरबार के राज्यसभा में भेज दिया। बीजेपी और शिवसेना के बीच जब तक टकराव था, तब-तक बीजेपी और राणे के रिश्ते मधुर थे, लेकिन जैसे-जैसे बीजेपी शिवसेना के करीब होती गई वैसे-वैसे राणे और बीजेपी के बीच रिश्ते गरम होते गए।
बता दें कि महाराष्ट्र के तटीय कोंकण क्षेत्र में नारायण राणे का अच्छा खासा प्रभाव है। उस क्षेत्र में बीजेपी कहीं नहीं है। हां, वहां से राणे को शिवसेना चुनौती दे सकती है। ऐसे में बीजेपी को अब राणे की जरूरत नहीं रही। विधानसभा चुनावों में क्या स्थित बनती है, उस समय के हालात को देखते हुए बीजेपी तब निर्णय लेगी। गत दिनों एक समारोह में राणे ने अपने बेटे नीलेश राणे को रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि, वह कांग्रेस-एनसीपी या शिवसेना-बीजेपी में किसी के साथ नहीं जा रहे हैं, वह स्वतंत्र रूप से पूरी ईमानदारी के साथ लोकसभा का अकेले चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया वह कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।