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‘राजा’ के खिलाफ भोपाल में ताल ठोकेंगी ‘साध्वी’…

भोपाल, (संजू जायसवाल) : मध्य प्रदेश की हॉट सीट भोपाल से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गई हैं। बुधवार को साध्वी बीजेपी कार्यालय पहुंचीं और पार्टी के नेताओं के साथ भोपाल दफ्तर में बैठक की। बताया जा रहा है कि अब भोपाल सीट से उनका लोकसभा चुनाव लड़ना तकरीबन तय है।
सूत्रों के मुताबिक साध्वी की उम्मीदवारी का ऐलान शाम तक किया जा सकता है। इस बीच साध्वी के बीजेपी में शामिल होने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल उठाए हैं।
साध्वी प्रज्ञा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह चुनाव लड़ेंगी और जीतेंगी। अगर वह भोपाल से चुनाव लड़ती हैं तो उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से होगा। भोपाल बीजेपी दफ्तर में साध्वी प्रज्ञा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रामलाल और प्रभात झा के साथ बैठक की। बताया जा रहा है कि बैठक में प्रदेश स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक चर्चा हुई।
मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ से जब मीडिया ने साध्वी प्रज्ञा की बीजेपी में एंट्री पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि साध्वी का बीजेपी में शामिल होना पार्टी की मनोदशा को दिखाता है।
शिवराज सिंह , उमा भारती के नाम की थी चर्चा :
साध्वी प्रज्ञा ने मीडिया से बातचीत में कहा, मैंने औपचारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ले ली है। मैं चुनाव लड़ूंगी और जीतूंगी भी। मेरे पास शिवराज सिंह चौहान का समर्थन है।
बता दें कि भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह को टिकट मिलने के बाद से ही बीजेपी खेमे में चर्चा तेज हो गई थी। भोपाल सीट से बीजेपी की तरफ से शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती और नरेंद्र सिंह तोमर तक का नाम सामने आ रहा था परन्तु अब साध्वी प्रज्ञा का लड़ना तय माना जा रहा है।

एक सरसरी नज़र… बता दें कि भोपाल संसदीय सीट पर 12 मई को मतदान होने वाला है। कांग्रेस की तरफ से पार्टी के दिग्गज नेता और पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह मैदान में हैं। जिन्हें बीजेपी के टिकट पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर टक्कर दे रही हैं। लेकिन साध्वी प्रज्ञा का रास्ता इतना आसान नहीं था। उन्होंने हिंदुत्व के आंदोलन के लिए इतनी कुर्बानियां दी हैं कि बीजेपी के सामने उन्हें टिकट देने के सिवा कोई और रास्ता नहीं था।
उन्हें दिग्विजय सिंह के सामने इसलिए उतारा गया क्योंकि दिग्गी राजा ही वह शख्स हैं, जिनकी वजह से साध्वी प्रज्ञा को नौ साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े।
दरअसल दिग्विजय सिंह ने ही सबसे पहले हिंदू आतंकवाद का जुमला तैयार किया था। यह खुलासा किया था गृह मंत्रालय के पूर्व अपर सचिव आरवीएस मणि ने किया था।
दिग्विजय सिंह द्वारा गढ़े गए हिंदु आतंकवाद के शिगूफे को अमली जामा पहनाने के लिए यूपीए सरकार के कार्यकाल में मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप लगाया गया कि विस्फोट में जिस मोटरसायकिल का इस्तेमाल किया गया वह साध्वी प्रज्ञा के नाम से रजिस्टर्ड थी। हालांकि यह मोटरसायकिल साध्वी लगभग एक साल पहले ही दूसरे को बेच चुकी थीं। लेकिन फिर भी साध्वी प्रज्ञा नौ साल तक जेल में बंद रहीं।
हालांकि बाद ने साध्वी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। लेकिन नौ साल तक जेल में रहने के दौरान उन्हें इतनी बेरहमी से यातनाएं दी गईं कि उन्हें कैंसर हो गया। इस महिला साध्वी से जेल में अमानवीय व्यवहार किया गया, उन्हें जबरन मांस मछली तक खिलाया गया। लगातार पिटाई की गई और तरह – तरह की यातनाएं दी गईं।

बिना महिला पुलिस की उपस्थिति के उनके कपड़े तक उतारे गए थे लेकिन अपनी मानसिक शक्ति से साध्वी प्रज्ञा लगातार जुल्मो सितम का सामना करती रहीं। खास बात यह है कि साध्वी को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे और एक और अधिकारी 26/11 के हमले में मुंबई में असली आतंकवादियों के हाथों मारे गए।
साध्वी की इन सभी दुश्वारियों का पहला और आखिरी कारण कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह थे। जिनके हिंदू आतंकवाद के झूठे जुमले को पोषित करने के लिए सरकारी एजेन्सियों ने साध्वी पर जुल्म ढाए।
यही वजह है कि बीजेपी ने लोकतांत्रिक तरीके से साध्वी प्रज्ञा को दिग्विजय सिंह के सामने अपने उपर किए गए जुल्मों सितम का हिसाब लेने के लिए मैदान में उतारा है।