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वाराणसी में आज PM मोदी का मेगा रोड शो…जमीं पर दिखेंगे सितारे

26 को नामांकन करने से पहले करेंगे काशी विश्वनाथ के दर्शन…

वाराणसी (राजेश जायसवाल) : वाराणसी संसदीय सीट से नामांकन करने आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्‍वागत की ऐसी तैयारियां की गई हैं, जिसे देख हर कोई अचम्भा रह जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 अप्रैल को वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाख़िल करेंगे। इस दौरान उनके साथ बीजेपी के कई दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री मौजूद होंगे। नामांकन से पहले पीएम मोदी काशी विश्वनाथ के दर्शन करेंगे। आज 25 अप्रैल को पीएम मोदी वाराणसी में मेगा रोड शो करेंगे। गुरुवार दोपहर में वाराणसी आने के बाद पीएम का रोड शो लंका स्थित महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण के साथ शुरू होगा। करीब 7 किलोमीटर की दूरी 4 घंटे में तय कर प्रधानमंत्री दशाश्‍वमेध घाट पहुंचेंगे। यहां बने फ्लोटिंग प्‍लेटफार्म से मां गंगा का वैदिक रीति से पूजन करने के बाद भव्‍य गंगा आरती में शामिल होंगे।
दशाश्‍वमेध घाट हजारों दीपों से जगमगाएगा तो सीढि़यों पर रेड कार्पेट बिछी होगी। गंगा सेवा निधि के अध्‍यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि 2014 का चुनाव जीतने के बाद और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को साथ लेकर प्रधानमंत्री मोदी के आने के समय से कहीं ज्‍यादा भव्‍य ढंग से दशाश्‍वमेध घाट को सजाया जाएगा। कवि केशव की पंक्ति ‘नाम लिए कितने तरिजात, प्रणाम किए सुर लोक सिधारो’ के लयबद्ध गायन के बीच पंरपरागत वेशभूषा में 7 अर्चक मां गंगा की आरती करेंगे। अर्चकों के साथ रिद्धि-सिद्धि के रूप में 14 कन्‍याएं रहेंगी। यह नजारा देव दीपावली उत्‍सव जैसा होगा।
दशाश्‍वमेध के बगल के राजेंद्र प्रसाद घाट पर बनाए गए मंच से प्रधानमंत्री लोगों को संबोधित करेंगे। भगवा रंग में रंगे घाट पर बनारस के मंदिर, कला व संस्‍कृति को उकेरा गया है। यहां लगाया गया 100 फीट ऊंचा पीएम का कटआउट दूर से ही दिखेगा। यह वही घाट है जहां से पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व. राजीव गांधी ने गंगा सफाई कार्य योजना का शुभारंभ किया था।
प्रधानमंत्री के रोड शो व नामांकन की कमान बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने संभाली है। अमित शाह ने बताया कि नामांकन के दौरान पूरा एनडीए काशी में रहेगा। एनडीए के वरिष्‍ठ नेता पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, बिहार के सीएम नी‍तीश कुमार, एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एआईडीएमके, असम गण परिष्‍द, अपना दल व नार्थ इस्‍ट में बीजेपी से जुड़े सभी बड़े नेता भी काशी में रहेंगे। केंद्रीय मंत्री सुषमा स्‍वराज, निर्मला सीतारमण, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल के अलावा हेमा मालिनी, जयाप्रदा, भोजपुरी फिल्‍मों के स्‍टार मनोज तिवारी, रविकिशन व दिनेश लाल निरहुआ आदि का भी रोड शो में शामिल होना तय है।

वाराणसी लोकसभा सीट : पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र कहे जाने वाले वाराणसी लोकसभा की सियासत बेहद दिलचस्प है। इस बार पूरी दुनिया की नज़र होगी वाराणसी सीट पर…किसी समय कांग्रेस के असर वाली प्रमुख सीटों में से एक वाराणसी लोकसभा पर बीते 10 साल से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।

PM नरेंद्र मोदी को उनके ही गढ़ वाराणसी में मात देने के लिए योद्धाओं के नाम का ऐलान हो चुका है। कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की लंबे समय से चल रही अटकलों पर विराम देते हुए गुरुवार को अजय राय को वाराणसी से पुनः उम्मीदवारी दी है। उधर, समाजवादी पार्टी ने यहां से पूर्व कांग्रेसी शालिनी यादव पर दांव आजमाया है। अजय राय लंबे समय तक BJP विधायक रहे हैं और वर्ष 2014 में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लडे़ थे और उन्‍हें तीसरा स्‍थान मिला था। इस बार एसपी-बीएसपी गठबंधन ने एक बेहद हल्‍के कैंडिडेट पर दांव लगाकर एक तरीके से कांग्रेस को वॉकओवर देने की कोशिश की है। जाति से भूमिहार अजय राय की मुस्लिम वोटरों पर काफी पकड़ है और माना जा रहा है कि वह पीएम मोदी को टक्‍कर दे सकते हैं। पिछले चुनाव में बाहुबली नेता मुख्‍तार अंसारी का अजय राय को समर्थन था। इस बार उन्‍हें यह समर्थन मिलेगा या नहीं, यह देखना दिलचस्‍प होगा। मुख्‍तार का वाराणसी सीट पर खासकर मुस्लिमों में अच्‍छा खासा प्रभाव है। वर्ष 2014 के आंकड़े के मुताबिक अजय राय पर 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें हत्‍या का प्रयास, हिंसा भड़काने, गैंगस्‍टर आदि शामिल हैं। पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी उत्तर प्रदेश खासकर पूरे पूर्वांचल का सबसे वीआईपी संसदीय क्षेत्र माना जाता है। पूर्वांचल की करीब 21 सीटों पर अपने प्रभाव और बिहार के चुनाव प्रचार का बेसकैंप कहे जाने वाले वाराणसी संसदीय क्षेत्र को अब देश के सबसे वीआईपी इलाके का स्थान दिया गया है।
वाराणसी में तक़रीबन 18 लाख मतदाता :
वर्तमान में करीब 18 लाख वोटर और 34 लाख जनसंख्या वाले इस संसदीय क्षेत्र से पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा के सांसद हैं। इसके अलावा इस सीट के ही अस्थाई निवासी रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर, अनुप्रिया पटेल मीरजापुर, राजनाथ सिंह लखनऊ और महेंद्र नाथ पाण्डेय चंदौली संसदीय सीटों पर सांसद होकर देश की संसद में मौजूद हैं। मनोज सिन्हा वर्तमान में रेल एवं संचार राज्यमंत्री, अनुप्रिया पटेल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री, राजनाथ सिंह देश के गृहमंत्री और महेंद्र नाथ पाण्डेय पूर्व में मानव संसाधन मंत्री और अब यूपी बीजेपी के अध्यक्ष हैं।

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि वाराणसी वर्तमान में सांसदों की एक पूरी टीम के साथ काम कर रहा है। यूपी में हुए महागठबंधन के लिए वाराणसी की राह कठिन है। बीते दो चुनावों में बीजेपी को यहां बड़े अंतर से जीत मिलती रही है। 2014 में नरेंद्र मोदी को इस सीट से 5 लाख 81 हजार वोट मिले थे। मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अरविंद केजरीवाल से तीन लाख से अधिक वोट से जीत हासिल की थी। अजय राय तीसरे स्‍थान पर रहे थे। राय को करीब 76 हजार वोट मिले थे।
उधर, एसपी और बीएसपी मिलकर भी इस सीट पर कुल सवा लाख वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके थे। कहा जाता है कि मोदी को हराने के लिए मुस्लिम वोटों का एकजुट रुझान केजरीवाल की ओर हो गया था, जिसके कारण केजरीवाल को सियासी फायदा भी हुआ था। इस बार यह समीकरण बदल सकता है। मुस्लिम मतदाता अजय राय की व्‍यक्तिगत छवि को देखते हुए उनके साथ जा सकते हैं। 2009 के समीकरणों पर गौर करें तो बीएसपी और एसपी के कुल वोटों की संख्या बीजेपी के प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को मिले वोट से ज्यादा थी।

बिहार की राजनीतिक सत्ता का केंद्र वाराणसी :
करीब-करीब हर चुनाव में यूपी के रास्ते बिहार जाने के लिए दिल्ली से सभी विशेष विमानों के लिए लैंडिंग हब बने होने के कारण इस सीट को बिहार की सियासत का एक ध्रुव केंद्र माना जाता है। साथ-साथ वाराणसी के वोटरों में बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर और गोरखपुर के निवासी लोगों की एक बड़ी तादात इसे पूर्वांचल को प्रभावित करने वाली एक सीट बनाती है। पूर्वांचल का एम्स सर सुन्दर लाल अस्पताल वाराणसी में होने के कारण हर रोज हजारों लोग यहां इलाज के लिए आते हैं, ऐसे में वाराणसी में स्वास्थ्य सुविधाओं और परिवहन जैसे मुद्दों पर कोई भी निर्णय एक बड़े वर्ग को प्रभावित करता है।
बीजेपी का गढ़ बन चुका है वाराणसी :
अगर अतीत पर गौर करें तो वाराणसी बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ के रूप में माना जा सकता है। 1952, 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को वाराणसी से विजय मिली। इसके बाद 1967 में रघुनाथ सिंह को कम्युनिस्ट पार्टी के सत्य नारायण सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री और फिर 1977 में भारतीय लोकदल की ओर से बलिया निवासी चंद्रशेखर इस सीट से सांसद चुने गए। यहां विजयी होने के बाद चंद्रशेखर देश के पीएम भी बने।

कमलापति त्रिपाठी से नरेंद्र मोदी तक रही बिसात :
हालांकि इन चुनावों के बाद कांग्रेस को एक बार फिर वाराणसी का प्रतिनिधित्व मिला और फिर वाराणसी के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार और औरंगाबाद हाउस को इस सीट की कमान मिली। 1980 में पूर्व रेलमंत्री कमलापति त्रिपाठी और फिर 1984 में कमलापति त्रिपाठी के आशीर्वाद से श्यामलाल यादव चुनाव जीते और केंद्रीय मंत्री भी बने। इसके बाद 1989 में लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री इस सीट से सांसद बने। 1989 के बाद एक दशक तक कांग्रेस इस सीट से बेदखल रही और 1991 से 1999 तक बीजेपी के अलग अलग नेता इस सीट की नुमाइंदगी करते रहे। इनमें एक बार श्रीशचंद्र दीक्षित और तीन बार शंकर प्रसाद जायसवाल यहां के सांसद रहे।

कांग्रेस नेताओं को निजी छवि पर समर्थन :
इसके बाद 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्र को यहां से सांसद बनकर दिल्ली जाने का मौका मिला। इसके बाद 2009 में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी और फिर 2014 में नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव जीते। जोशी और पीएम मोदी के सामने कांग्रेस ने बीजेपी के पुराने विधायक अजय राय को उतारा जिन्हें निजी छवि के नाम पर हर बार वोटरों का बड़ा समर्थन भी मिला। 2014 में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल भी मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े और उन्हें ढ़ाई लाख से ज्यादा वोट मिले।

जातिगत समीकरण पर धर्म की सियासत हावी :
वाराणसी की सियासत पर जातिगत प्रभाव से ज्यादा धर्म का असर देखने को मिलता है। संसदीय सीट पर बंगाली, मराठी और दलित वोटरों की बड़ी संख्या जरूर है लेकिन अमूमन इनका समर्थन राष्ट्रीय पार्टयों को ही मिलता दिखा है। इसके अलावा यहां कायस्थ, क्षत्रिय, ब्राह्मण, मारवाड़ी, यादव और मुस्लिम वोटरों की एक बड़ी संख्या है।

गंगा की सफाई और शहरी विकास प्रमुख मुद्दा :
वाराणसी में मूल रूप से गंगा सफाई, बिजली-पानी की समस्या, बुनकरों के मुद्दे, रेल संपर्क, ट्रैफिक समस्या, हाइवे और यातायात साधनों का विकास, शैक्षिक संस्थानों का प्रबंधन आदि मुद्दे प्रमुख हैं। इसके अलावा शहरी विकास के नाम पर पूर्व में हुए कई सरकारी कामकाज चुनावी सभाओं में आम आदमी के विषय बनते रहे हैं। इन चुनावों में स्मार्ट सिटी के नाम पर जमीनों का अधिग्रहण, विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर मंदिरों का तोड़ा जाना, गंगा की सफाई आदि मामले चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं।

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