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खुशखबरी : दिल्ली-मुंबई के बीच दौड़ेगी वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन-18)

मुंबई, स्वदेशी सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत (ट्रेन-18) इस माह के अंत तक इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) से बाहर आ जाएगी। ये देश की दूसरी सेमी हाईस्पीड ट्रेन है। उम्मीद जतायी जा रही है कि ये ट्रेन दिल्ली से मुंबई के बीच दौड़ेगी। वंदे भारत को मूलत: ट्रेन-18 के नाम डिजाइन किया गया था। इसे ये नाम 2018 के कारण दिया गया था। इसके बाद ट्रेन-19 नाम से इस वर्ष एक नए किस्म की ट्रेन का सेट लाने की योजना थी। लेकिन अब उस योजना को रद कर दिया गया है। उसके बजाय अब ट्रेन-18 के ही अधिक सेट तैयार किए जाएंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक ट्रेन के डिजाइन में कुछ बदलाव किया गया है। इसमें पहले खानपान के लिए पर्याप्त स्थान नही था। जानवरों के कटने की घटनायें न हो इसके लिए इस ट्रेन में कैटलगार्ड भी लगाये गये हें। वंदे भारत के नए ट्रेन सेट्स मौजूदा ट्रेन के मुकाबले कई मायनों में अलग व बेहतर होंगे। मसलन, इनकी सीटों को शताब्दी की सीटों की भांति ज्‍यादा पीछे की ओर झुकाना संभव होगा। इनमें खाना रखने की जगह भी ज्यादा होगी। इसके अलावा इनके बाहरी ऑटोमैटिक दरवाजों के जाम होने की स्थिति में मैन्युअली खोलने के उपाय भी किए गये हैं।
ये ट्रेन दिल्ली से मुंबई के बीच चलायी जाएगी। ये ट्रेन दिल्ली से मुंबई पहुंचने में 12 घंटे का समय लेगी जबकि मुंबई राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली-मुंबई की दूरी तय करने में 16 घंटे का समय लेती है। ये हाईस्पीड ट्रेन चार घंटे पहले ही आपको आपके गंतव्य तक पहुंचा देगी। ज्ञात हो कि दिल्ली से मुंबई की दूरी 1358 किलोमीटर है।

दो एक्जीक्यूटिव चेयर कार
पूरी ट्रेन वातानुकूलित और चेयर कार वाली है, जिसमें 16 कोच होंगे। इनमें से दो एक्जीक्यूटिव चेयर कार और बाकी सामान्य चेयर कार वाले कोच होंगे। ट्रेन का पहला और अंतिम कोच दिव्यांगों के लिए होगा। संचालन से पहले ट्रेन के दरवाजे स्वयं बंद हो जाएंगे। पहले कोच से लेकर अंतिम कोच तक जाने के लिए ट्रेन के अंदर दरवाजे लगाए गए हैं। ट्रेन के रुकने के समय कोच के अंदर से सीढिय़ां बाहर निकलेंगी।

वंदे भारत के लिए इन रूटों की है चर्चा
वंदे भारत के लिए जिन अन्य रूटों की चर्चा है उनमें दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-भोपाल के अलावा चेन्नई-मंगलूर और हैदराबाद-मंगलूर रूट शामिल हैं। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक वंदे भारत के अगले रूट दिल्ली-वाराणसी रूट जितने लंबे नहीं होंगे, जिसकी लंबाई 700 किलोमीटर से अधिक है। इसके बजाय इस ट्रेन को अब 500 किलोमीटर या उससे कम दूरी वाले शताब्दी रूटों पर चलाया जाएगा। इसकी वजह ये है कि सामान्यतया यात्री छह घंटे से ज्यादा बैठकर सफर करना पसंद नहीं करते। जबकि दिल्ली-वाराणसी के सफर में आठ घंटे बैठना पड़ता है।