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दोबारा राजतिलक को तैयार ‘मोदी की काशी’…!

२८ को बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आएंगे मोदी…

वाराणसी (राजेश जायसवाल) : देश की सबसे हाई प्रोफाईल उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी ने दोबारा अपना झंडा बुलंद कर दिखाया है। अब तक के रुझान के मुताबिक अपने सामने खड़े सभी प्रत्याशियों को पीछे छोड़ते हुए मोदी करीब साढ़े चार लाख वोटों से आगे चल रहे हैं। ऐसे भी उनकी जीत का ठप्पा काशी की जनता ने पहले ही लगा दी थी। वाराणसी के कोने -कोने से मोदी -मोदी की आवाज सुनाई दे रही थी।
पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों से हरा कर वाराणसी से जीत हासिल की थी और प्रधानमंत्री बने थे। उस वक्त इस निर्वाचन क्षेत्र में 58.31% फीसदी मतदान हुआ था।
इन प्रमुख कारणों से दोबारा जीते मोदी
क्षेत्र में हुए चौतरफा विकास और स्वच्छता कार्यों से जनता संतुष्ट है, साथ ही मध्यम वर्गीय मतदाताओं ने मोदी को अपना पूरा समर्थन दिया है।
वाराणसी लोकसभा सीट पर लंबे समय से भाजपा का ही कब्जा रहा है। साथ ही लोकप्रियता और मजबूत दावेदारी के मामले में कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय नरेंद्र मोदी के सामने कहीं नहीं टिकते हैं।
2009 में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 में उन्होंने इसे मोदी के लिए ही छोड़ा था, जिसके बाद नरेंद्र मोदी को यहां की जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ जिताया था।
यहां सपा-बसपा की पकड़ बहुत मजबूत नहीं है, इसलिए भाजपा की सीधी टक्कर कांग्रेस के साथ थी। ऐसे में भाजपा का वोट ट्रांसफर होने से बच गया।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी क्षेत्र की पांच में से चार विधानसभा सीट भाजपा के खाते में गई थी। जबकि, एक सीट सेवापुरी भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ने जीती थी। इससे इस बार विधानसभा स्तर पर भी भाजपा को फायदा मिला।
वाराणसी का चुनावी समीकरण भाजपा की विचारधारा के अनुरूप है। कुर्मी, ब्राह्मण और भूमिहार मतदाता यहां सरकार चुनने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, और उनका रूझान भाजपा की तरफ ज्यादा है।
वैसे देखा जाये तो प्रधानमंत्री मोदी अपने काशीवासियों के दिलों पर राज करते हैं। 2014 से 2019 तक मोदी ने बतौर सांसद विकास कार्यों के बूते बनारस को बदलने का संकल्प पूरा किया। शायद इसी भरोसे पीएम मोदी ने काशी से दोबारा चुनाव लड़ने के बारे में सोचा।
काशी की आध्यात्मिकता, रचनात्मकता और सांस्कृतिक विरासत को नजदीक से महसूस कर उसे और समृद्ध बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने वह सब किया, जिसकी काशीवासी कल्पना भी नहीं करते थे। पांच साल में काशी के कायाकल्प का कारण यह है कि प्रधानमंत्री ने 30 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास ही नहीं किया, शुभारंभ कर अपने वादों-इरादों में अंतर न होने को सच साबित किया।
दरअसल, मोदी ने काशीवासियों से ‘दिल’ लगा लिया और छठ पूजा हो या दीपावली या फिर नया साल, उन्होंने हर अवसर पर काशी को अपने जेहन में रखा। 17 सितंबर को वह अपना 68वां जन्मदिन मनाने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र के बच्चों के बीच आए थे। शायद इसीलिए वाराणसी के लोग ‘नमो-नमो’ करते हुए काशी में फिर एक बार मोदी सरकार की बात को साकार किया है।

2019 आते-आते प्रधानमंत्री ने भारत की विकास यात्रा के बारे में दुनिया भर को नए भारत की संभावनाओं पर समझ बढ़ाने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस पर पहली बार नई दिल्ली और राज्यों की राजधानी के बाहर अपनी काशी में आयोजन कराया था। तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन में सौ से अधिक देशों के पांच हजार से अधिक प्रवासी आए और काशी की मेहमाननवाजी के साथ भारत की खुशनुमा यादें लेकर गए।

इससे पहले प्रधानमंत्री की ही पहल पर शहर और आसपास के जिले के लोगों को बाबतपुर एयरपोर्ट से शहर तक आने के लिए फोरलेन फ्लाईओवर की सुविधा ही नहीं मिली, मौजूदा समय में यहां 80 से अधिक फ्लाइट्स शुरू हुई। देश के सभी बड़े शहरों से यहां के लोग सीधे जा सकते हैं। वाराणसी के क्षेत्रीय कार्यालय से पासपोर्ट का कोटा 800 से बढ़ाकर 1200 कर दिया गया है। बनारस के बदलाव को काशीवासी महसूस करते हैं और वाराणसी से मोदी के जीतने की एक वजह यह भी है।

विकलांग और शौचालय के वर्षों से प्रचलित नामों को नया नाम प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र में ही दिया। डीरेका में एक ही दिन में करीब 10 हजार विकलांगों को उपकरण वितरित करने के मौके पर प्रधानमंत्री ने उन्हें दिव्यांगजन का नाम दिया। इसी तरह शाहंशाहपुर गांव की मुसहर बस्ती में उन्होंने शौचालय की पिट रखते हुए इसे इज्जत घर का नाम दिया था। डीरेका से उन्होंने गैर उपयोगी वस्तुओं को उपयोगी बताते हुए ‘कबाड़ से जुगाड़’ प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया था।

प्रधानमंत्री ने वाराणसी से चुनाव लड़ने से पहले कहा था ‘मुझे गंगा मैया ने बुलाया है’। इसे निभाते हुए 12 दिसंबर, 2015 को वह जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे को गंगा आरती दिखाने के लिए अपने साथ लेकर लाए। इसी तरह 12 मार्च, 2018 को फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां के साथ आए प्रधानमंत्री ने उनके साथ गंगा में नौका विहार किया। दोनों शासनाध्यक्षों के दौरे से दुनिया भर में काशी का महत्व नए सिरे से बनाने में आसानी हुई।

वाराणसी में पीएम मोदी द्वारा कराए गए कार्य मील का पत्थर साबित हुए हैं। 12 नवंबर, 2018 को वाराणसी से कोलकाता तक गंगा में वाणिज्यिक जल परिवहन की शुरूआत की। इसके साथ ही वाराणसी नभ और थल के साथ जल परिवहन से भी जुड़ गया। वहीं, 7 नवंबर, 2014 को अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले सेवापुरी क्षेत्र के गांव जयापुर को सीएसआर के जरिए विकास कार्य करान के लिए गोद लेकर सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू की। इसी क्रम में काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए 2500 वर्ग मीटर में कॉरिडोर की योजना शुरू कराई। इसे सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार जैसा माना जा रहा है।
बीएचयू से जुड़े ट्रॉमा सेंटर के अलावा सर सुंदरलाल अस्पताल में एम्स जैसी सभी सुविधाएं मुहैया कराईं। कैंसर पीड़ितों के इलाज और शोध के लिए महामना के नाम पर कॉप्लेक्स बनवाया। डीरेका की खत्म हो रही पहचान को नई दिशा दी। कर्मचारियों को डीजल इंजन के दौर से निकाल कर इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रानिक इंजन और डुअल मोड के इंजन बनाने में किया जाने लगा है। इन्हीं कामों के बदौलत पीएम मोदी को काशी ने फिर एक बार अपनाया है।

इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी वाराणसी में कई विशाल रोड शो किए थे। उस रोड शो में जनता का हुजूम देख कर ही राजनीतिकविदों को मोदी के जीत की आहट मिल गई थी। पीएम मोदी ने जनता के बीच आकर ना सिर्फ अपने लिए वोट मांगा था, बल्कि गंगा आरती कर के जीत की भी कामना की थी।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा है – धन्यवाद काशी !

हम पीएम मोदी के इस ऐतिहासिक जीत पर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं…!