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सूरत अग्नि हत्याकांड: एक साथ 19 बच्चों की उठी अर्थियां, अग्निसंस्कार में उमड़ा पूरा शहर…!

बच्‍चों की अर्थियां ले जाते परिजन

एक घंटे लग गए आग बुझाना शुरू करने में तब तक राख बन चुके थे फूल से बच्चे…!

तीसरे मंजिल से कूदने पर गई तीन छात्रों की जान
घायलों को देखने अस्पताल पहुंचे CM रुपानी

सूरत, डायमंड सिटी के नाम से मशहूर सूरत के सरथना इलाके में जकातनाका के एक व्‍यवसायिक इमारत तक्षशिला आर्केड में जब आग लगी तो चौथी मंजिल पर चल रही डिजायनिंग इंस्टीट्यूट के छात्र-छात्राओं समेत 23 की मौत हो गई। स्टूडेंट्स को पता तक नहीं था। नीचे की मंजिलों पर सब भाग रहे थे और बच्चे क्लास में थे। जब चौथी मंजिल तक धुंआ पहुंचा तो स्टूडेंट्स घबरा गए और भगदड़ मच गई। बाहर निकलने के सारे रास्ते जाम हो चुके थे। आग से बचने का कोई रास्ता ही नहीं था। ऐसे में बच्चों ने एक-एक कर बालकनी से कूदना शुरू कर दिया। 13 छात्र-छात्राएं गिरते हुए नीचे आए, इनमें से 3 की मौत हो गई।
आग लगते ही लोगों ने सूचना फायर ब्रिगेड को दी। एक साथ 50 से ज्यादा फोन फायर टीम के पास पहुंच गए। इसके बाद भी दमकल को पहुंचने में आधा घंटा लग गया। तब तक आग पूरी तरीके से तीसरे और चौथे फ्लोर के रास्ते को बंद कर लोगों को अपने आगोश में लस चुकी थी। पर्वत पाटिया निवासी सुरेश मौर्य ने बताया कि उन्होंने फोन किया तो काफी देर बाद गाड़ियां आईं। शुरुआत में केवल 6 टैंक लेकर पहुंची फायर की टीम ने 20 मिनट तो अपने संसाधनों को तैयार करने में लगा दिए। उसके बावजूद पानी की बौछार आग तक नहीं पहुच रही थी, इसलिए आग पर काबू ही नहीं पाया जा सका। बाद में एक-एक कर दमकल की 25 से ज्यादा गाड़ियां मौके पर पहुंची, लेकिन टैंकों में पर्याप्त पानी तक नहीं था। इतना ही नहीं आग की जगह तक पहुंचने के लिए गाड़ियों में लगाए गए लैडर ही काम नहीं कर रहे थे। फायर टीम के पास चौथे मंजिल से नीचे गिर रहे बच्चों को पकड़ने के लिए भी कोई संसाधन नहीं था।
फायर एक्जिट ही नहीं, मुख्य रास्ते में ही लगी थी आग
तक्षशिला आर्केड में अवैध तरीके से चल रहे फैशन इंस्टीट्यूट के साथ ही फिटनेस जिम और महिलाओं के लिए नर्सिंग होम भी चल रहा है। चश्मदीदों के मुताबिक शॉपिंग सेंटर में आने-जाने का रास्ता एक ही है। शुक्रवार को शॉर्ट सर्किट की वजह से कोचिंग सेंटर में जाने के रास्ते में ही आग भड़क उठी। धीरे-धीरे बढ़ रही आग बाहर निकलने के रास्ते में ही बढ़ती गई और लोग अपनी जान बचाकर बाहर निकलते रहे, जबकि तीसरे और चौथे फ्लोर पर अलग-अलग कोचिंग सेंटर में मौजूद लगभग 56 छात्रों को इस बात की भनक तक नहीं लगी।
शाॅर्ट सर्किट की वजह से लगी आग
शॉपिंग कॉम्पलेक्स के अन्दर जाने वाले रास्ते पर ही बिजली का खम्भा था, जिससे बिजली कनेक्शन शॉपिंग सेंटर की कई दुकानों में बिजली कनेक्शन था। अचानक शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी, जिसे बिना बिजली काटे रोका नहीं जा सकता था।

बच्‍चों के शवों को ले जाते अस्‍पताल कर्मचारी

अश्विन भाई ने 15 बच्चों को निकाला
अश्विन भाई ने बताया कि बच्चों की चीख सुनकर वे फायर प्रूफ सूट पहनकर घुसे। वहां आग की लपटें बहुत तेज थीं। बचने के लिए बाहर कूद रहे थे। जो फंसे हुए थे, वे चीख रहे थे। अश्विन ने बताया कि उन्होंने 15 बच्चों को बाहर निकाला, पर तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

सालुंके ने 12 को निकालने में मदद की
फायर ऑफिसर सालुंके ने बताया के वे अश्विन के साथ ऊपर पहुंचे। सालुंके के मुताबिक- अश्विन आगे चल रहे थे। अश्विन बच्चों को निकाल रहे थे। उन बच्चों को सालुंके नीचे पहुंचा रहे थे। सालुंके ने 12 बच्चों को आग से निकाला, जो कि झुलस चुके थे।

सुरेश ने पानी की बौछार कर, 5 को बचाया
पर्वत पाटिया निवासी सुरेश मौर्य दमकल टीम को फोन करने वालों में से एक हैं। टीम देर से आई तो उसके पास पानी पहुंचाने का साधन ही नहीं था। इसलिए सुरेश फायर टीम के साथ पाइप लेकर आगे वाले रास्ते में बौछार करने लगे। पांच बच्चों को बाहर निकाला।

बच्चों को लपटों से घिरा छोड़ कर पहले कूद गए इंस्ट्रक्टर
हॉस्पिटल में भर्ती रेंसी ने बताया कि घटना के समय वे क्रिएटर इंस्टीट्यूट के क्लास में थीं। क्लास में 22 लोग थे। दो-तीन छोटे बच्चे भी थे। कॉम्प्लैक्स में एंट्री-एग्जिट एक ही है। इसलिए धुएं और लपटों से सांस लेना भी मुश्किल हो गया था। हमारी इंस्टीट्यूट के इंस्ट्रक्टर बचने के लिए खुद ही कूद गए थे। हमने सोचा कि अंदर रहे तो जलकर मरेंगे, कूदे तो हाथ-पैर ही टूटेंगे शायद जान बच जाए।

हॉस्पिटल में भर्ती रेंसी ने बताया कि घटना के समय वे क्रिएटर इंस्टीट्यूट के क्लास में थीं। क्लास में हम 22 लोग थे। दो-तीन छोटे बच्चे भी थे। कॉम्प्लैक्स में एंट्री-एग्जिट एक ही है। इसलिए धुएं और लपटों से सांस लेना भी मुश्किल हो गया था। हमारी इंस्टीट्यूट के इंस्ट्रक्टर बचने के लिए खुद ही कूद गए थे। हमने सोचा कि अंदर रहे तो जलकर मरेंगे, कूदे तो हाथ-पैर ही टूटेंगे शायद जान बच जाए।

चादर और प्लास्टिक के बोरों में लाए गए शव
इनमें से 16 की मौत जलकर हुई और तीन की मौत चौथी मंजिल से कूदने से हुई। जबकि, 26 लोग शहर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। अब तक ज्यादातर शवों की पहचान नहीं हो पाई है। शव इस कदर जल गए हैं कि पहचानना भी मुश्किल हो गया है। चार छात्राओं के शवों को उनके परिजनों ने मोबाइल और घड़ियां देखकर पहचाना है। मृतकों में 16 छात्राएं और बाकी अन्य हैं। स्मीमेर में एक के बाद एक करीब 10 एम्बुलेंस में 17 शव महज 30 मिनट में पहुंचे। शव चादर और प्लास्टिक के बोरों में लाए गए। पूरा अस्पताल शवों के जलने की गंध से महक रहा था।

बच्चियों को परिजनों ने उनकी घड़ी से पहचाना
सरथाणा निवासी 18 वर्षीय जाह्नवी चतुरभाई वसोया और 17 वर्षीय कृति नीलेश दयाल भी यहीं इंस्टीट्यूट में पढ़ने आती थीं। कुछ दिन पहले ही उनको परिजनों ने घड़ी दिलाई थी। परिजन उन्हें ढूंढते हुए स्मीमेर पहुंचे। यहां मोर्चरी में शवों के बीच वे अपनी बेटियों को खोजने लगे। शव पर पहनी घड़ी से बेटी को पहचान सके।
खून देने पहुंचे सैकड़ों लोग
सोशल मीडिया पर मैसेज देख खून देने पहुंच गए सैकड़ों लोग। घायलों की मदद के लिए किसी ने सोशल मीडिया पर ब्लड डोनेट करने की अपील कर दी, जिसके बाद सिविल अस्पताल में सैकड़ों लोग ब्लड डोनेट करने के लिए आ गए। डॉक्टर और नर्स भी ब्लड डोनेट के लिए जमा हो गए।
मोबाइल बजा, तो पहचाना बेटी को
सरथाणा निवासी 18 वर्षीय एशा खड़ेला यहीं ड्रॉइंग सीखने आती थी। हादसे में एशा की जलने से मौत हो गई। शव को स्मीमेर की मोर्चरी में रखा गया। घटना का पता चला तो घबराए परिजन ढूंढने लगे। पिता ने एशा के मोबाइल पर फोन किया तो घंटी मोर्चरी में रखे शव से चिपके मोबाइल पर बजी। वहीं मौजूद एक कर्मचारी ने फोन उठाया और पिता को पूरी घटना बताई। एशा पूरी तरह जल चुकी थी, लेकिन संयोग से फोन बच गया था।

बच्चों के फोटो लेकर दौड़े चले आए थे परिजन
एंबुलेंस में सभी शवों को स्मीमेर अस्पताल में लाया गया, जिसके बाद जैसे जैसे परिजनों को पता चला वैसे अस्पताल में उनका तांता लगने लगा। शव तो उनके सामने थे लेकिन उन्हें पहचानना मुश्किल था। उनकी पहचान के लिए कोई पासपोर्ट फोटो तो कोई मोबाइल में फोटो लेकर आया था। बेहाल होकर वे अपने लापता परिजन और बच्चों की फोटो सभी को बताकर पहचान की कोशिश कर रहे थे।

मुख्य रास्ते पर लगी आग, अंदर ही फंस गए
फायर ब्रिगेड ने दो घंटे रेस्क्यू कर 16 शव और 26 से अधिक लोगों को निकाल अस्पताल भेजा। आग सीढ़ी के पास लगी थी। निकलने का एक ही रास्ता था। पूरा चैंबर एसी था, इसलिए निकलने का कोई और रास्ता नहीं था।

नगर आयुक्‍त ने फायर ऑफिसर को ठहराया जिम्‍मेदार
गर्मियों की छुट्टी पर चल रहे सूरत के नगर आयुक्‍त एम थेन्‍नर्सन ने वरच्‍छा के फायर ऑफिसर को इस घटना के लिए जिम्‍मेदार ठहराया है। उन्‍होंने कहा कि फायर ऑफिसर इमारत में सुरक्षा मानकों के उल्‍लंघन की पहचान नहीं कर सके। थेन्‍नर्सन ने कहा, हमने उन्‍हें सस्‍पेंड करने का फैसला किया है। उधर, देर रात कोचिंग सेंटर चलाने वाले भार्गव भूटानी और अवैध रूप से तीसरा फ्लोर बनाने वाले हर्सुल वेकारिया तथा जिग्‍नेश बागदारा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस बीच क्राइम ब्रांच ने कोचिंग सेंटर के मालिक बौर्गव भूटानी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।

कोचिंग संचालक पुलिस को फायर सेफ्टी NOC दें वरना धारा 188 के तहत की जाएगी कार्रवाई
वहीँ इस अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। घटना को देखते हुए अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर ने शहर के सारे प्राइवेट कोचिंग क्लासेस अगले दो महीने के लिए बंद करा दिए हैं। कमिश्नर ने यह आदेश शुक्रवार देर रात जारी किया। जिसमें कहा गया है कि 23 जुलाई तक शहर के कोई भी कोचिंग क्लासेस नहीं खुलेंगे। इतना ही नहीं हर संचालकों से फायर एनओसी देने का आदेश भी दिया गया है।
पुलिस कमिश्नर ए.के सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जो कोचिंग संचालक पुलिस को फायर सेफ्टी एनओसी और उनके यहां फायर सेफ्टी के उचित उपकरण होने, हर एक व्यक्ति को व्यक्तिगत ट्रेनिंग दिए जाने का दस्तावेज देगा उसी को कोचिंग क्लासेस चलाने दी जाएगी। पुलिस ने कहा है कि अगर आदेश के खिलाफ कोई भी कोचिंग संस्थान खुला पाया गया तो उसके संचालक के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी।