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मोदी ने कहा- जिन्हें जमानत मिली है, वे एंजॉय करें; ये आपातकाल नहीं, जो हम किसी को जेल भेजें…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर किया धन्यवाद…!

नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का लोकसभा में मंगलवार को जवाब दिया। मोदी ने कहा, हमें इसलिए दोष दिया जाता है कि हमने कुछ लोगों को जेल में नहीं डाला। यह आपातकाल नहीं है कि सरकार किसी को भी जेल में डाल दे। यह लोकतंत्र है और न्यायपालिका इस पर फैसला करेगी। हम कानून को उसका काम करने देते हैं और अगर किसी को जमानत मिलती है तो वह उसे एन्जॉय करें। हम बदला लेने में भरोसा नहीं करते। लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। हमें देश ने इतना दिया है कि हमें गलत रास्ते पर जाने की जरूरत नहीं है।दरअसल, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोदी से कहा था कि आप सोनिया-राहुल को चोर बताकर सत्ता में आए, फिर वे संसद में कैसे बैठे हैं?

मोदी ने कहा, यहां (सदन में) बताया गया कि हमारी ऊंचाई को कोई तौल नहीं सकता। हम ऐसी गलती नहीं करते। हम किसी की लकीर छोटी करने में यकीन नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने में जिंदगी खपा देते हैं। आपकी ऊंचाई आपको मुबारक हो, आप इतने ऊंचे चले गए कि आपको जमीन दिखनी बंद हो गई। जड़ों से उखड़ गए, जमीन पर जो हैं, वे आपको तुच्छ दिखते हैं। आपका और ऊंचा होना मेरे लिए अत्यंत संतोष का विषय है। मेरी कामना है कि आप और ऊंचे उठें। ऊंचाई पर आपसे कोई बहस नहीं है। हमारा सपना ऊंचा होने का नहीं, जड़ों से जुड़ने का है, हमारा रास्ता जड़ों से ताकत पाकर देश को मजबूती देना है। हम इस प्रतिस्पर्धा में आपको शुभकामनाएं देते हैं कि आप और ऊंचे उठते जाएं।

इमरजेंसी का दाग मिटने वाला नहीं- मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा, लोगों को जानकारी है कि 25 जून को क्या है? 25 जून की वह रात देश की आत्मा को कुचल दिया गया था। भारत में लोकतंत्र संविधान के पन्नों से पैदा नहीं हुआ है, भारत में लोकतंत्र सदियों से हमारी आत्मा में है। आत्मा को कुचल दिया गया था। मीडिया को दबोच लिया गया था, महापुरुषों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया था। हिंदुस्तान को जेलखाना बना दिया गया था। सिर्फ इसलिए किया गया कि किसी की सत्ता चली ना जाए। न्यायपालिका का अनादर कैसे होता है, इसका जीता-जागता उदाहरण है। 25 जून को हम लोकतंत्र के प्रति फिर से एक बार संकल्प दोहराते हैं। उस समय जो भी इस पाप के भागीदार थे, वे जान लें कि दाग कभी मिटने वाला नहीं। इस दाग को हमेशा याद करने की जरूरत है, क्योंकि देश में फिर कोई ऐसा ना पैदा हो जो इस पाप के रास्ते जाए। किसी को बुरा-भला कहने से कुछ नहीं होता है।छोटा सोचना मुझे पसंद नहीं: मोदी ने कहा, तात्कालिक लाभ मेरी सोच का दायरा नहीं। छोटा सोचना मुझे पसंद नहीं है। मुझे कभी-कभी लगता है कि देशवासियों के सपने को अगर जीना है तो छोटा सोचने का अधिकार भी मुझे नहीं है। ‘जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, तो देखना फिजूल है कद आसमान का।’ इस मिजाज के साथ हमें आगे के लिए नए हौसले, नए इरादों के साथ इस सरकार को चलाना है। हमारे यहां कहावत है कि पूत के पांव पालने में दिखते हैं। अभी तीन सप्ताह हुए हैं, इतने से वक्त में हमें लगता था कि जाएं कहीं मालाएं पहनें, आराम करें…पर यह हमारी फितरत नहीं है। इस अरसे में हमने महत्वपूर्ण फैसले लिए। सेना के जवानों की छात्रवृत्ति की बढ़ोतरी की। मानवाधिकारों से जुड़े अहम कानून संसद में लाने की तैयारियां पूरी कीं।

कई दशकों के बाद देश ने मजबूत जनादेश दिया: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कई दशकों के बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है। एक सरकार को दोबारा फिर से लाए हैं। पहले से अधिक शक्ति देकर लाए हैं। भारत का लोकतंत्र हर भारतीय के लिए गौरव का विषय है। हमारा मतदाता इतना जागरूक है कि वह अपने से ज्यादा अपने देश को प्यार करता है। अपने से ज्यादा देश के लिए निर्णय करता है। यह चुनाव में साफ नजर आया है।
मुझे इस बात का संतोष है कि 2014 में जब हम पूरी तरह नए थे, तब देश के लिए भी अपरिचित थे। लेकिन, उन स्थितियों से बाहर निकलने के लिए देश ने एक प्रयोग के रूप में कि चलो भाई जो भी है, इनसे तो बचेंगे। फिर हमें मौका मिला, लेकिन 2019 का जनादेश पूरी तरह कसौटी पर कसने के बाद, हर तराजू पर तौले जाने के बाद, पल-पल को जनता ने बारीकी से देखा, परखा, जांचा और समझा। इसके बाद हमें दोबारा बैठाया।
ये लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है कि चाहे जीतने वाला हो, या हारने वाला, मैदान में था, या मैदान के बाहर था। सरकार के 5 साल के कठोर परिश्रम, समर्पण, जनता के लिए नीतियों को लागू करने का सफल प्रयास जो था.. उसे लोगों ने अपना समर्थन दिया और हमें दोबारा बैठाया है।
हमने प्रणब दा को काम के लिए भारत रत्न दिया: मोदी ने कहा, उनकी सरकारों में नरसिम्हा राव, मनमोहन को भारत रत्न नहीं मिला। परिवार से बाहर किसी को नहीं मिला। प्रणब दा ने देश के लिए जीवन खपाया। हमने उन्हें भारत रत्न उनके काम के लिए दिया। अब जब हम सवा सौ करोड़ देश वासियों की बात करते हैं तो उसमें सभी आते हैं।

130 करोड़ भारतीयों के सपने मेरी नजर में: मोदी ने कहा, ये सिर्फ चुनावी जीत-हार या आंकड़ों का खेल नहीं। यह जीवन की उस आस्था का खेल है, जहां प्रतिबद्धता, कर्मठता और जनता के लिए जीना-जूझना क्या होता है…यह 5 साल की तपस्या का फल होता है। उसका संतोष होता है। हार-जीत के दायरे में चुनाव को देखना मेरी सोच का हिस्सा नहीं है। 130 करोड़ भारतीयों के सपने मेरी नजर में रहते हैं। 2014 में जब देश की जनता ने अवसर दिया। तब पहली बार मुझे सेंट्रल हॉल में बोलने का मौका मिला था। तब मैंने कहा था कि सरकार गरीबों को समर्पित है। 5 साल की सरकार के बाद मैं कह सकता हूं कि यह संतोष मिला है, जो जनता-जनार्दन ने भी ईवीएम का बटन दबाकर व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, राष्ट्रपतिजी ने अपने भाषण में यह बताया कि हम भारत को कहां और कैसे ले जाना चाहते हैं। भारत के सामान्य लोगों की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्राथमिकता क्या हो, इसका एक खाका खींचने का प्रयास किया। राष्ट्रपतिजी का भाषण आम आदमी की आशाओं की प्रतिध्वनि है। यह भाषण देश के कोटि-कोटि लोगों का धन्यवाद भी है। सबको मिल-जुलकर आगे बढ़ना समय की मांग है और देश की अपेक्षा है। आज के वैश्विक वातावरण में यह अवसर भारत को खोना नहीं चाहिए।

मोदी ने कहा, इस चर्चा में सांसदों ने हिस्सा लिया। जो पहली बार आए हैं, उन्होंने अच्छे ढंग से अपनी बात को रखने की कोशिश की, चर्चा को सार्थक बनाने की कोशिश की। जो अनुभवी हैं, उन्होंने भी अपने-अपने तरीके से चर्चा को आगे बढ़ाया।
ये बात सही है कि हम मनुष्य हैं। जो मन पर छाप रहती है, उसे निकालना कठिन रहता है। उसके कारण चुनावी भाषणों का भी थोड़ा असर नजर आता था। वही बातें यहां सुनने को मिल रही थीं।”
आप (स्पीकर) इस पद पर नए हैं और जब आप नए होते हैं तो कुछ लोगों का मन भी करता है कि आपको शुरू में ही परेशानी में डाल दें।”
सब परिस्थितियों के बावजूद आपने बहुत बढ़िया ढंग से इन सारी चीजों को चलाया, इसके लिए भी आपको बधाई। सदन को भी नए स्पीकर महोदय को सहयोग देने के लिए अभार व्यक्त करता हूं…!