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नाव पर आएंगी माँ दुर्गा.. जानें कब करनी है घट स्थापना

प्रेम से बोलो जय माता दी.. इस वर्ष शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से शुरू हो रहा है। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है। पहला और दूसरा नवरात्र 10 अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।

नाव पर आएंगी माँ दुर्गा : शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। बंगला पंचांग के अनुसार, देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और डोली पर विदा होंगी।

घट स्थापना : सिर्फ एक घंटा दो मिनट : इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए देवी भक्तों को बहुत ही कम समय प्राप्त हो रहा है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। यदि प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे। सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी। पिछले नवरात्र पर घट स्थापना के लिए मुहूर्त काफी थे , लेकिन कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।

10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)

मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट..

ब्रह्म मुहूर्त-  प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है।  7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा।

एक और मुहूर्त.. यदि किन्हीं कारणों से प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।

प्रतिपदा तिथि का आरंभ :
9 अक्टूबर 2018, मंगलवार 09:16 बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2018, बुधवार 07:25 बजे

नवरात्र की तिथियां –
प्रतिपदा /  द्वितीया – 10 अक्तूबर – माँ शैलपुत्री माँ ब्रह्मचारिणी

तृतीया – 11 अक्टूबर – माँ चन्द्रघण्टा

चतुर्थी – 12 अक्टूबर – माँ कुष्मांडा

पंचमी – 13 अक्टूबर – माँ स्कंदमाता

पंचमी – 14 अक्टूबर – माँ स्कंदमाता

षष्टी – 15 अक्टूबर – माँ कात्यायनी

सप्तमी – 16 अक्टूबर – माँ कालरात्रि

अष्टमी – 17 अक्टूबर – माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी)

नवमी – 18 अक्टूबर – माँ सिद्धिदात्री (महानवमी)

दशमी- 19 अक्टूबर – विजय दशमी (दशहरा)