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इस्लामिक बैंक फ्रॉड: भारत लौटा मास्टरमाइंड मंसूर खान, ED कर रही है पूछताछ

नयी दिल्ली, इस्लामिक बैंक के नाम पर हजारों लोगों से धोखाधड़ी करने के आरोपी मंसूर खान पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। आई मॉनिटरी अडवाइजर (आईएमए) पोंजी घोटाले के मास्टरमाइंड माने जा रहे मंसूर खान को दुबई से दिल्ली लाया जा चुका है। फिलहाल वह ईडी की हिरासत में है। बता दें कि मंसूर खान पर ईडी के साथ-साथ एसआईटी ने भी लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। मंसूर खान से दिल्ली में पूछताछ की जा रही है। मंसूर खान की हिरासत से पहले स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) चीफ रविकांत गौड़ा ने कहा, अपने सूत्रों के माध्यम से एक एसआईटी टीम ने आईएमए के संस्थापक-मालिक मोहम्मद मंसूर खान का दुबई में पता लगाया। इसके साथ ही उससे यह भी कहा गया है कि वह भारत लौट आए और खुद को कानून के हवाले कर दे। उसके मुताबिक, वह दुबई से दिल्ली आ चुका है। एसआईटी के कई अधिकारी उसे गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली में मौजूद हैं।
एसआईटी चीफ ने यह भी कहा, जैसा कि उसके खिलाफ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों के ही द्वारा लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था, उसे पूरी प्रक्रिया के साथ सौंप दिया जाएगा। हालांकि, अब मंसूर खान को ईडी ने अपनी हिरासत में ले लिया है। बता दें कि 8 जून को मंसूर देश छोड़कर चला गया था। खान के खिलाफ निवेशकों ने हजारों शिकायतें की हैं और उनका दावा है कि मंसूर ने उन्हें ठगा है। उन्हें हाई रिटर्न का वादा किया गया था लेकिन उनका पैसा डूब गया। गौरतलब कि भारत से भागने से पहले भी खान ने एक ऑडियो संदेश जारी किया था, जिसमें उसने खुदकुशी की धमकी दी थी।

क्या है पूरा मामला…?
इस्लामिक बैंक के नाम पर करीब 30 हजार मुस्लिमों को चूना लगाने वाला मोहम्मद मंसूर खान करीब 1500 करोड़ की धोखाधड़ी कर दुबई भाग गया था। लोगों को बड़े रिटर्न का वादा कर उसने एक पोंजी स्कीम चलाई और इस स्कीम का हश्र वही हुआ, जैसा बाकी पोंजी स्कीमों का होता आया है। मैनेजमेंट ग्रैजुएट मंसूर खान ने 2006 में आई मॉनेटरी अडवाइजरी (IMA) के नाम से एक बिजनस की शुरुआत की थी और इनवेस्टर्स को बताया कि यह संस्था बुलियन में निवेश करेगी और निवेशकों को 7-8 प्रतिशत रिटर्न देगी।
चूंकि इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को अनैतिक और इस्लाम विरोधी माना जाता है। इस धारणा को तोड़ने के लिए मंसूर ने धर्म का कार्ड खेला और निवेशकों को ‘बिजनस पार्टनर’ का दर्जा दिया और भरोसा दिलाया कि 50 हजार के निवेश पर उन्हें तिमाही, छमाही या सालाना अवधि के अंतर्गत ‘रिटर्न’ दिया जाएगा। इस तरह वह मुसलमानों के बीच ‘ब्याज हराम है’ वाली धारणा तोड़ने में कामयाब रहा।
अपनी स्कीम को आम मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए उसने स्थानीय मौलवियों और मुस्लिम नेताओं को साथ लिया। सार्वजनिक तौर पर वह और उसके कर्मचारी हमेशा साधारण कपड़ों में दिखते, लंबी दाढ़ी रखते और ऑफिस में ही नमाज पढ़ते। वह नियमित तौर पर मदरसों और मस्जिदों में दान दिया करता था। निवेश करने वाले हर मुस्लिम शख्स को कुरान भेंट की जाती। शुरुआत में निवेश के बदले रिटर्न आते और बड़े चेक निवेशकों को दिए जाते, जिससे उसकी योजना का और ज्यादा प्रचार हुआ।