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RBI का बड़ा फैसला: 2000 के नोटों को सर्कुलेशन से हटाने का किया ऐलान!

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा की है। शुक्रवार देर शाम आरबीआई ने ऐलान करते हुए बैंकों को सलाह दी है कि वे तत्काल प्रभाव से 2000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों जारी करना बंद करें। आरबीआई के फैसले पर कई राजनेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। लेकिन इस मामले में भी पेंच है। आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि 2000 रुपये का नोट लीगल टेंडर के तौर पर जारी रहेगा।
आरबीआई ने बयान में कहा है कि 2,000 रुपये के नोटों को लाने का उद्देश्य तब पूरा हो गया था, जब दूसरी वैल्यू के बैंक नोट आम लोगों के लिए उपलब्ध हो गए थे।
आरबीआई के आदेशानुसार, 23 मई, 2023 से अगर कोई भी किसी भी बैंक में 2000 रुपये के नोटों को एक्सचेंज कराने आता है तो एक समय में सिर्फ 20,000 रुपये के ही एक्सचेंज होंगे। सभी बैंक 30 सितंबर, 2023 तक 2,000 रुपये के नोटों को बदल सकेंगे।
आरबीआई के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी। 2000 रुपये के कुल सर्कुलेट नोटों में से लगभग 89 फीसदी मार्च 2017 से पहले जारी किए गए थे।
31 मार्च 2018 को 6.73 लाख करोड़ के 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में थे जो 31 मार्च 2023 तक 2000 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन 3.62 लाख करोड़ रुपये पर पर आ गया है, जो मौजूदा सर्कुलेटिड करेंसी का केवल 10.8 फीसदी है। आरबीआई के अनुसार, मौजूदा समय में 2000 रुपये के नोटों का यूज नहीं देखा जा रहा है। देखा जाये तो पिछले कुछ महीने से मार्केट में 2000 रुपये के नोट कम नजर आ रहे थे। लोगों का कहना था कि ATM से भी 2000 रुपये नोट नहीं निकल रहे हैं।

इस मामले पर वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अश्विनी राणा ने बताया कि इसे ‘नोटबंदी’ कहना गलत होगा। दरअसल, यह फेजवाइज तरीके से नोट को सर्कुलेशन से बाहर लाने का प्रोसेस है। इसके जरिये सरकार ब्लैकमनी पर नकेल कसने जा रही है।

आरबीआई के इस फैसले पर कई राजनेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने आरबीआई के फैसले पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा तो वहीं बिहार के पूर्व वित्त मंत्री सुशील शिंदे ने इस कदम की सराहना की है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरबीआई के फैसले पर सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि हमारे स्वयंभू विश्वगुरु की यही खासियत है। हमारे नेता पहले करते हैं, बाद में सोचते हैं। रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि 8 नवंबर 2016 के विनाशकारी तुगलकी फरमान के बाद इतनी धूमधाम से पेश किए गए 2000 रुपये के नए नोटों को अब वापस लिया जा रहा है।

काले धन को बाहर लाने की एक कोशिश: सुशील मोदी 
वहीं, बिहार के पूर्व वित्त मंत्री सुशील मोदी ने आरबीआई के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि 2000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले से काले धन के खिलाफ दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक हुई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दौरान लोगों को तत्काल राहत देने के लिए सरकार ने 2000 के नोट छापने शुरू किए थे। लेकिन अब इस कदम से आम जनता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके पास ये नोट नहीं हैं। यह कदम काले धन को बाहर लाने की एक कोशिश है। कई लोगों ने जमाखोरी कर ली है, इसलिए आरबीआई ने 20 हजार रुपये की लिमिट तय की है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय गोयल ने विपक्ष पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट किया- लूट मचाई जिसने, 2000 का नोट उनका खो गया। रोना भ्रष्टाचारियों का देखो फिर से शुरू हो गया। वहीं भारत के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अब एक हजार के नोट वापस भी आ जाएं तो हैरानी नहीं होगी।

सीएम केजरीवाल ने भी साधा निशाना
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरबीआई के फैसले पर सरकार पर निशाना साधा है। केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि उन्होंने पहले कहा कि 2000 के नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा। अब बोल रहे हैं कि 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार खत्म होगा। केजरीवाल ने आगे कहा कि इसलिए हम कहते हैं कि पीएम पढ़ा-लिखा होना चाहिए!

सैकड़ों लोगों की जान गई थी!
दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि नोट को बंद करने, नए नोट जारी करने की पूरी प्रथा पीएम मोदी ने शुरू की थी। जब उन्होंने इस प्रथा को शुरू किया था, तब इस वजह से सैकड़ों लोगों की जान गई थी। लाखों लोगों के काम धंधे बंद हो गए थे। पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो गई थी। नोटबंदी का फायदा न तो आतंक रोकने में हुआ न इससे काला धन वापस आया। मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि अब इस फैसले से क्या फायदा होगा और क्या नुकसान होगा?

NCP ने भी सरकार पर साधा निशाना
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की है। एनसीपी प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने सवाल किया कि 2000 रुपये के नोट लाकर सरकार को क्या हासिल हुआ और अब उसे वापस लेकर वह क्या हासिल करेगी? उन्होंने कहा कि ‘नोटबंदी’ को बड़ी सफलता बताया गया था। अगर वह सही था तो अब 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का कारण क्या है? नोटबंदी की घोषणा के बाद कई लोगों की जान चली गई थी। केंद्र सरकार को बताना होगा कि इस तरह के फैसलों से लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है?

भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र लाने का साहस है
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नेता बिनय विश्वम ने मांग की कि देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के असर को लेकर श्वेत पत्र जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि तुगलक देश के वित्तीय क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने 2000 रुपये के नोट वापस ले लिए हैं। क्या उनमें नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र लाने का साहस है।

बता दें कि नोटबंदी के फैसले के बाद नवंबर 2016 में 2000 रुपए का नोट इंट्रोड्यूस किया गया था। 8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लिया था। इसके तहत 500 और 1000 रुपए के नोट का लीगल टेंडर वापस ले लिया गया था। इस फैसले के बाद ही रिजर्व बैंक ने 2000 का नोट जारी किया था।

रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा कि वह अब 2000 रुपए का नया नोट नहीं जारी करे। लोगों से यह अपील है कि वे समय रहते नोट बैंक अकाउंट में जमा कर लें या फिर एक्सचेंज करवा लें। हालांकि, 30 सितंबर तक इससे ट्रांजैक्शन वैलिड रहेगा। अगर आपके पास 2000 रुपए का नोट है तो इसे बदलवाने का भरपूर समय मिलेगा। रिजर्व बैंक ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 23 मई से 30 सितंबर 2023 तक नोटों की बदली की जा सकती है। एकबार में अधिकतम 20 हजार रुपए तक के नोट्स बदलवाए जा सकते हैं।