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UP: जौनपुर में पुलिस एनकाउंटर में ढेर हुआ सुभाष यादव गैंग का शातिर बदमाश आनंद सागर

जौनपुर: पूर्वांचल में आतंक का पर्याय बन चुके सुभाष यादव गैंग पर योगी सरकार की पुलिस ने नकेल कसना शुरू कर दी है। गुरुवार की सुबह मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की पुलिस ने जौनपुर में संयुक्त कार्रवाई में इस गैंग के कुख्यात बदमाश आनंद सागर को ढेर कर दिया। आनंद के ऊपर 15 दिन पहले मध्य प्रदेश के सतना में हत्या कर 15 लाख की डकैती में नामजद प्राथमिकी दर्ज थी। उस पर मध्य प्रदेश पुलिस ने 30 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने गुरुवार की सुबह वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बक्शा के अलीगंज के पास हुई मुठभेड़ में आनंद सागर यादव को मार गिराया। वह मध्य प्रदेश के सतना में मुनीम की हत्या व लूट के मामले में शामिल मुख्य शूटर था। इनामी बदमाश आनंद सागर केराकत कोतवाली क्षेत्र के उसरापुर पचवारा का निवासी है।
पुलिस के मुताबिक, सुभाष यादव गैंग के सदस्य आनंद सागर ने पुलिस से घिर जाने पर फायरिंग शुरू कर दिया। आत्मरक्षार्थ पुलिस टीम ने भी गोलियां चलाईं तो वह जख्मी होकर गिर पड़ा। पुलिस उसे तत्काल इलाज के लिए जिला अस्पताल ले गई। जहाँ डॉक्टरों ने देखते ही उसे मृत घोषित कर दिया।

मुनीम की हत्या व डकैती का आरोपित था बदमाश
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस अधीक्षक डॉ अजय पाल शर्मा ने बताया कि 10 दिन पूर्व मध्य प्रदेश के सतना जिले में सुभाष यादव गिरोह ने एक शराब कंपनी के मुनीम हत्या कर 15 लाख की डकैती की घटना को अंजाम दिया था। मध्य प्रदेश पुलिस ने उस पर इनाम घोषित किया था। तभी से दोनों प्रांतों की पुलिस गिरोह की तलाश में सरगर्मी से जुटी थी। उक्त गिरोह ने जौनपुर, वाराणसी, आजमगढ़, सतना आदि जिलों में लगातार कई संगीन घटनाओं को अंजाम दिया था। पुलिस ने बदमाश के पास से दो पिस्टल और स्विफ्ट डिजायर कार बरामद किया है। पुलिस अधीक्षक ने जिला अस्पताल में पत्रकारों को बताया कि मृत आनंद सागर का पूरा आपराधिक इतिहास जुटाया जा रहा है।

जानें- निडर IPS अजय पाल शर्मा की कहानी
‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’, ‘सिंघम’ और ‘दबंग’ जैसे नामों से फेमस रहे अजय पाल शर्मा यूपी कैडर के 2011 बैच के IPS अधिकारी हैं। वह मूल रूप से पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं। बताया जाता है कि उन्होंने सैकड़ों एनकाउंटर किए, इसीलिए वो ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के नाम से चर्चित हुए।
बता दें के आईपीएस बनने से पहले अजय पाल शर्मा ने डेंटिस्ट की डिग्री भी ली थी। उनके छोटे भाई MBBS डॉक्टर हैं। लेकिन पैरेंट्स के गाइडेंस में उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी और आखिर में दोनों भाईयों का सेलेक्शन हो गया। अजय पाल शर्मा ने पुलिस सेवा जॉइन कर ली, जबकि उनके छोटे भाई IAS बन गए। दिलचस्प बात ये है कि दोनों भाइयों को यूपी में तैनाती मिली।
आईपीएस बनने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग सहारनपुर फिर मथुरा हुई थी। अजय पाल शर्मा जब शामली के एसपी थे तो भी उन्होंने कई एनकाउंटर किए। योगी आदित्यनाथ की सरकार में उनके एनकाउंटरों की तारीफ भी हुई। उसके बाद उन्हें नोएडा जैसे शहर का एसएसपी बनाया गया था। अजय पाल शर्मा ने जून 2019 में रामपुर में एक छह साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के आरोपी नाजिल को एनकाउंटर में गिरफ्तार किया था। एनकाउंटर में नाजिल को तीन गोलियां मारी गईं। इस एनकाउंटर के लिए अजय पाल की खूब तारीफ हुई। लोगों ने उन्हें ‘सिंघम’ जैसे नामों से नवाजने लगे थे।
अजय पाल शर्मा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 100 से ज्यादा एनकाउंटर किये हैं। उनके नेतृत्व में 60 हजार रुपये के इनामी बदमाश नौशाद उर्फ डैनी और 12 हजार के इनामी बदमाश सरवर को मार गिराया गया था। इस एनकाउंटर के बाद लोगों ने उनको घोड़ा-बग्गी में बैठाकर बैंड बाजों के साथ घुमाया था और उनका स्वागत किया था। कैराना में पलायन के लिए जिम्मेदार मुकीम काला गैंग की कमर भी अजय ने ही तोड़ी थी। इस गैंग के 50 हजार रुपये के इनामी अपराधी फुरकान को अजय ने ही गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस बहादुर आईपीएस अफसर के बारे में कहा जाता है कि वो जहां भी पदस्थापित होते हैं वहां से अपराधी खुद-ब-खुद गायब हो जाते हैं।

विवाद में भी फंसे अजय पाल शर्मा
मार्च 2020 में अजय पाल शर्मा के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी। गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहने वाली दीप्ति शर्मा ने खुद को अजय पाल की पत्नी बताते हुए दावा किया कि अजय पाल वर्ष 2016 में गाजियाबाद में एसपी सिटी के पद पर तैनात थे। महिला ने दावा किया था कि इस दौरान उसकी शादी अजय पाल शर्मा से हुई थी। शादी गाजियाबाद में रजिस्टर्ड भी हुई थी। दीप्ति का कहना था कि अजय पाल से उनके रिश्ते कुछ बातों को लेकर खराब हो गए थे। इस संबंध में उन्होंने महिला आयोग, पुलिस विभाग, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में शिकायत भी की थी।
विशेष सचिव गृह अनिल कुमार सिंह के निर्देश पर हजरतगंज पुलिस ने आईपीएस अजय पाल के खिलाफ गबन, आपराधिक साजिश और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की। महिला द्वारा दर्ज कराए गए रिपोर्ट में कई अन्य पुलिसकर्मियों को भी आरोपी बनाया गया था।

यूं विवादों में फंसते गए​ अजय पाल शर्मा
गौतमबुद्धनगर के एसएसपी रहे वैभव कृष्ण का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था। यह वीडियो वायरल होने के बाद वैभव कृष्ण को उनके पद से हटा दिया गया था। इस मामले में वैभव कृष्ण ने डीजीपी को पत्र लिख पांच आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण मिश्रा, गणेश साहा और हिमांशु कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने इस पत्र में अजय पाल और हिंमाशु कुमार के विरुद्ध ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर धन उगाही का भी आरोप लगाया था। शुरुआती जांच में सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण और गणेश साहा के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके थे। वहीं, अजय पाल और हिमांशु कुमार के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पाए गए थे, जिसके आधार पर विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई। इसी साल जनवरी में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद इन सभी पांचों आईपीएस अफसरों को उनके पदों से हटा दिया गया। योगी सरकार ने आरोपों की जांच के लिए डायरेक्टर विजिलेंस के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया।