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अयोध्या विवाद: सुनवाई का 17वां दिन, मुस्लिम पक्षकार ने कहा, हिंदुओं ने मस्जिद में की घुसपैठ और तोड़फोड़…

नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर लगातार सुनवाई चल रही है। सुनवाई के 17वें दिन मुस्लिम पक्षों ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि हिन्दुओं ने 1934 में बाबरी मस्जिद पर हमला किया, फिर 1949 में अवैध घुसपैठ की और 1992 में इसे तोड़ दिया और अब कह रहे हैं कि संबंधित जमीन पर उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने महत्वपूर्ण कार्यवाही के 17वें दिन मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुननी शुरू कीं।
ऐडवोकेट राजीव धवन ने पीठ को बताया कि कानूनी मामलों में ऐतिहासिक बातों और तथ्यों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। सुन्नी वक्फ बोर्ड और वास्तविक याचिकाकर्ताओं में से एक एम सिद्दीक की ओर से पेश धवन ने कहा- 1934 में आपने (हिन्दुओं) मस्जिद को तोड़ दिया और 1949 में अवैध घुसपैठ की और 1992 में आपने मस्जिद को पूरी तरह नष्ट कर दिया और सभी तबाही के बाद आप कह रहे हैं कि ब्रिटिश लोगों ने हिन्दुओं के खिलाफ काम किया। अब आप कह रहे हैं कि हमारे अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।

पीठ ने हालांकि, उनसे कहा- कृपया इस सबमें मत जाइए। आपकी दलीलें मुद्दे से संबंधित होनी चाहिए। धवन ने कहा कि ये सभी मुद्दे दूसरे पक्ष द्वारा उठाए गए हैं और उन्हें जवाब देने की अनुमति मिलनी चाहिए क्योंकि यह सुनवाई ‘देश के भविष्य’ से जुड़ी है। इस पर देवता (रामलला विराजमान) पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन खड़े हुए और कहा कि धवन को मुद्दई (मुस्लिम पक्षों) के मामले के बारे में चर्चा करनी चाहिए। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा- वह अपने मामले को जिस तरह से रखना चाहें, उसके लिए वह स्वतंत्र हैं। धवन ने पीठ से कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों में से एक ने उल्लेख किया था कि ऐतिहासिक तथ्य स्वामित्व पर फैसला करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामायण एक काव्य है और उसे इतिहास का हिस्सा नहीं कहा जा सकता। इस पर, पीठ ने कहा, ‘तुलसीदास समकालीन थे और काव्य में भी तथ्य हो सकते हैं।

धमकी भरे पत्र का जिक्र: सुनवाई की शुरुआत में कपिल सिब्बल ने सुन्नी वक्फ बोर्ड वकील राजीव धवन को मिले धमकी भरे पत्र को मेंशन किया। उन्होंने इसे अदालत की अवमानना बताते हुए मामले की जल्द सुनवाई की मांग की। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस मामले को कल सुनेंगे।

राजीव धवन ने मांगी माफी: मैं अपनी दलीलें शुरू करने से पहले माफी मांगना चाहता हूं। मैं मीडिया में अपनी टिप्पणियों और वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा पर की गई टिप्पणियों के लिए भी माफी मांगता हूं। सभी जगह यह महसूस किया जा रहा है कि मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं। धवन ने यह माफी बीच में टोका-टाकी के लिए मांगी है।

धवन को शुक्रवार का ब्रेक: धवन ने कोर्ट से सप्ताह के बीच मे बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की। धवन ने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि इससे कोर्ट को परेशानी होगी। आप चाहे तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं। इसपर धवन ने सहमति जताई।

राजीव धवन: यहां औचित्यकारी बात ये है कि संविधान के आने के बाद हमारा अधिकार संविधान के अनुच्छेद-13 के तहत संरक्षित है।