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पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा को CBI ने हिरासत में लिया, दफ्तर लाकर कर रही पूछताछ…CBI दफ्तर पहुंची सीएम ममता

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव खत्म होते ही एक बार फिर से केंद्रीय एजेंसियां ऐक्टिव हो गई हैं। शरादा घोटाले की जांच कर रही CBI टीएमसी के मंत्री व वरिष्ठ नेता फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और विधायक मदन मित्रा को सीबीआई के दफ्तर में पूछताछ के लिए लाई है। इनके साथ ही पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को भी लाया गया है। वहीं कुछ देर बाद सीएम मदद बनर्जी भी सीबीआई दफ्तर पहुंच गईं।
इससे पहले सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम की बेटी प्रियदर्शिनी के घर कथित तौर पर ईडी ने नोटिस भेजा था। बताया गया कि प्रियदर्शिनी के बैंक खाते में कई तरह की विसंगतियां पाई गई थीं। इस संबंध में पूछताछ के लिए ईडी ने उन्हें नोटिस जारी कर तलब किया था।

समर्थकों के साथ पहुंचीं ममता बनर्जी
इससे पहले कोयला चोरी मामले में ममता बनर्जी की बहू और सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी को सीबीआई ने नोटिस भेजकर जांच में शामिल होने के लिए कहा था। सीबीआई दफ्तर में ममता के मंत्री और विधायकों को लाने की सूचना के बाद ममता बनर्जी समर्थकों के साथ पहुंच गईं।

शारदा घोटाला क्या है?
शारदा घोटाला एक चिटफंड स्कीम घोटाला था। चिटफंड ऐक्ट 1982 के तहत चिटफंड स्कीमें चलाई जाती हैं। राज्य सरकारें इन्हें मान्यता देती हैं लेकिन बंगाल में इसकी आड़ में करोड़ों का घोटाला हो गया था। सरकारी ऑडिट के अनुसार, इस घोटाले में जमाकर्ताओं के 1,983 करोड़ रुपये डूब गए थे। 2000 के दशक में बिजनसमैन सुदीप्तो सेन ने शारदा ग्रुप की शुरुआत की थी।
शारदा ग्रुप के तहत 4-5 प्रमुख कंपनियों के अलावा 239 कंपनियां बनाई गई थीं। इनके तहत कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम जारी की गईं। जमाकर्ताओं को निवेश के बदले 25 गुना ज्यादा रिटर्न देने का लोकलुभावन वादा किया गया। देखते ही देखते 17 लाख निवेशकों से ग्रुप को 2,500 करोड़ रुपये तक जमा कर लिए।

कैसे सामने आया घोटाला?
इसके बाद 2009 में बंगाल के राजनीतिक गलियारों में शारदा ग्रुप के कथित धोखाधड़ी की चर्चा होने लगी। 2012 में सेबी की नजर इस ग्रुप पर पड़ी और फौरन इस तरह की जमा स्कीमों को बंद करने को कहा गया। 2013 में अचानक स्कीम बंद कर दी गई। 18 पन्नों का लेटर लिखकर सुदीप्तो ने कई नेताओं पर पैसे हड़पने को इसके पीछे वजह बताया।
20 अप्रैल 2013 को सुदीप्तो को गिरफ्तार कर लिया गया। शारदा ग्रुप का बिजनस पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, ओडिशा और त्रिपुरा तक में फैला हुआ था। 2014 में सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई। सीबीआई ने मामले में कुल 46 एफआईआर दर्ज की थीं जिसमें से 3 पश्चिम बंगाल और 43 ओडिशा में दर्ज हुई थीं।

किन-किन नेताओं के नाम आए सामने?
शारदा स्कैम में मुख्य आरोपी सुदीप्तो सेन और देबजानी मुखर्जी के अलावा कई टीएमसी नेताओं के नाम आए जिनसे सीबीआई और ईडी ने पूछताछ की। इनमें शारदा के मीडिया ग्रुप के सीईओ और टीएमसी नेता कुणाल घोष, श्रृंजय बोस, मदन मित्रा, शंकुदेब पंडा, टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय और तपस पॉल शामिल हैं।
कुणाल घोष, सृंजय बोस और मदन मित्रा की मामले में गिरफ्तारी भी हुई थी। पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार भी आरोपियों में शामिल थे। इस मामले में ममता के करीबी रहे बीजेपी नेता मुकुल रॉय से भी पूछताछ हुई थी। इनके अलावा असम मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का नाम भी आया था। हिमंत की पत्नी से भी ईडी ने पूछताछ की थी। हिमंत तब कांग्रेस में थे।

मुकुल रॉय और हिमंत बिस्वा शर्मा अब बीजेपी में
मुकुल रॉय और हिमंत बिस्वा शर्मा ने घोटाले में नाम आने के बाद बीजेपी का रुख कर लिया था। उनके अलावा शंकुदेब पंडा भी 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। सृंजय बोस ने भी राजनीति से इस्तीफा दिया था।