ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरशहर और राज्य मलाड इमारत हादसा: बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश- मकान गिरने की होगी न्यायिक जांच 12th June 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this भविष्य में इस तरह की घटनाएं होती हैं तो अधिकारी होंगे मौतों के लिए जिम्मेदार: हाईकोर्ट मुंबई: मलाड में बुधवार की देर रात एक इमारत ढहने की घटना को एक मानव निर्मित आपदा करार देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि हादसे की जांच एक पखवाड़े के भीतर पूरी कर ली जाए। घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए, मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को यह कहते हुए फटकार लगाई कि नागरिकों का जीवन इतना सस्ता नहीं है कि उन्हें ऐसी घटनाओं में मरने के लिए छोड़ दिया जाए। बुधवार देर रात घर के ढहने के तुरंत बाद, मुंबई पुलिस ने मकान मालिक रफीक सिद्दीकी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया था, जबकि निर्माण ठेकेदार रमजान शेख को इस घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। इस हादसे में 12 लोगों की जान गई हैं, जिसमें एक ही परिवार के नौ सदस्य शामिल थे। जान गंवाने वालों में एक बच्ची सहित आठ नाबालिग शामिल थे। जब बीएमसी के वकील अनिल सखारे ने दलील दी कि मलाड पश्चिम के मालवणी में, जहां त्रासदी हुई है, वह जमीन कलेक्टर की है, तो मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या कोई सरकारी निर्देश संवैधानिक जनादेश से आगे निकल सकता है, क्योंकि यह बीएमसी को अवैध निर्माण के खिलाफ काम करने के लिए बाध्य करता है। पिछले 25 दिनों में मुंबई और ठाणे में दो-दो इमारत दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें कुल 24 लोग मारे गए और 23 अन्य घायल हुए हैं। इस स्थिति पर चिंता जताते हुए पीठ ने पूछा, आखिर और कितने लोगों की जान जाएगी? अदालत ने क्षेत्र के सभी म्युनिसिपल कॉपोर्रेशन को चेतावनी दी कि अगर फिर से इस तरह मकान गिरने का हादसा हुआ तो अदालत चुप नहीं बैठेगी। जांच आयोग को त्रासदी की जांच करने और 23 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश देते हुए, अदालत ने सभी निगमों को चेतावनी दी कि अगर भविष्य में और लोगों की जान जाती है तो वह उन पर बड़ी कार्रवाई करेगी। इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बताया कि मालवणी में 75 प्रतिशत निर्माण अवैध हैं। अदालत ने बीएमसी के वकील सखारे से पूछा कि क्यों नागरिक अधिकारी कार्रवाई करने में विफल रहे। क्या वे मौत की प्रतीक्षा कर रहे थे? हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं होती हैं तो वे (अधिकारी) मौतों के लिए जिम्मेदार होंगे। Post Views: 198