ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरशहर और राज्य मुंबई मनपा के चिकित्सा उपकरणों की खरीदारी में धाँधली 18th February 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चिकित्सा विभाग के उपकरणों की खरीदारी में धाँधली का मामला प्रकाश में आया है। बताया जाता है कि इस धाँधली में चिकित्सा विभाग के उच्च पदस्थ डाक्टरों की मिलीभगत है।बता दें कि मनपा के अस्पतालों में अनेक चिकित्सा उपकरणों की खरीदारी होती रहती है और इसके लिए तकनीकी शर्तें उस क्षेत्र के विभाग प्रमुख डाक्टर बनाते हैं। सूत्रों का कहना है कि मनपा के अस्पतालों में क्ष किरण यंत्र की खरीदारी के लिए हाल ही में टेंडर मँगाये गए थे। इस संबंध में निविदा पूर्व बैठक 6 जनवरी 2020 को हुई थी। इस बैठक में उच्चतम दर्जे की मशीनों की खरीद का निर्णय लिया गया और तकनीकी तौर पर जो बदलाव सुझाये गये, उनको स्वीकार किया गया। इस बैठक में अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकाणी,डॉ. हेमंत देशमुख तथा देवशेट्टी आदि उपस्थित थे। इस बैठक में हुई चर्चा के अनुसार किये गये बदलाव 14 जनवरी 2020 और 15 जनवरी 2020 को मनपा की वेबसाइट पर प्रसिद्ध किये गए। नियमानुसार इन्हीं बदलावों के अनुसार टेंडर होने चाहिए थे, परंतु 25 जनवरी 2020 और 30 जनवरी 2020 को द्वितीय और तृतीय शुद्धिपत्रक प्रसिद्ध हुए। इन शुद्धि पत्रकों के अनुसार तकनीकी शर्तों में ऐसे बदलाव किये गये, जिसकी वजह से एक ही कंपनी निविदा में हिस्सा ले पायेगी। शुद्धिपत्रक दो और तीन के लिए कोई भी ठोस कारण नहीं है। इनके जरिए एक कंपनी के पक्ष में माहौल बनाया गया है। इस वजह से सिर्फ एक ही कंपनी टेंडर भरेगी और वही निविदा पाने के लिए पात्र रहेगी।इन सभी प्रस्तावित मशीनों की कुल कीमत 8 से 10 करोड़ रुपये है और संबंधित विभाग प्रमुखों ने इस सौदे में मनमानी की है। इस विषय में अतिरिक्त आयुक्त श्री काकाणी के पास अनेक शिकायतें किये जाने का समाचार है; लेकिन संबंधित अधिकारियों की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। इस मामले में केईएम के डीन डॉ. हेमंत देशमुख, नायर के क्ष किरण विभाग प्रमुख डॉ. देवशेट्टी और सायन अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी की मिलीभगत होने की बात कही जा रही है। इन लोगों के एक खास कंपनी के साथ मधुर संबंध हैं और उसी कंपनी को लाभ पहुँचाने के लिए यह मनमानी की जा रही है। पिछले कुछ महीनों में इसी कंपनी से की गयी मशीनों की खरीदारी इस बात का प्रमाण है कि अधिकारियों द्वारा की जा रही मनमानी इसी कंपनी को लाभ पहुँचाने की कोशिश है। यदि यह टेंडर रद्द नहीं हुआ तो मनपा के अधिकारी हल्के दर्जे की मशीनें ऊँचे दामों पर खरीद कर अपनी जेबें भरने तथा मनपा को करोड़ों रुपयों का चूना लगाने में कामयाब हो जायेंगे। Post Views: 220