ब्रेकिंग न्यूज़मनोरंजनमहाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरशहर और राज्य मुंबई: ‘रजनीगंधा’ के निर्देशक बासु चटर्जी का निधन, सांताक्रूज में किया गया अंतिम संस्कार 4th June 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: ‘रजनीगन्धा’ और ‘चितचोर’ जैसी आम जनमानस से जुड़ी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले अनुभवी फिल्म निर्माता बासु चटर्जी का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।चटर्जी के परिवार में उनकी बेटियां सोनाली भट्टाचार्य और रूपाली गुहा हैं। सांताक्रूज स्थित अपने आवास पर उन्होंने नींद में ही अंतिम सांस ली।इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (आईएफडीटीए) के अध्यक्ष अशोक पंडित ने कहा, उन्होंने सुबह के समय नींद में ही शांति से अंतिम सांस ली। वह उम्र संबंधी दिक्कतों के कारण पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और उनके आवास पर ही उनका निधन हुआ। यह फिल्म उद्योग के लिए भारी क्षति है।पंडित ने बताया कि फिल्म निर्माता का अंतिम संस्कार सांताक्रूज श्मशान घाट पर किया गया। इस दौरान सिर्फ परिवार के ही करीब 10 लोग मौजूद थे। इनमें उनकी बेटी और दामाद भी शामिल हैं। पंडित ने कहा कि वह बासु की अंतिम यात्रा का हिस्सा होना चाहते थे इसलिए वह भी अंतिम संस्कार में गए।फिल्म उद्योग और अन्य क्षेत्रों के कई लोगों ने निर्देशक के निधन पर शोक जताया। चटर्जी ने मध्यम वर्ग और उसकी हर दिन की खुशियों और जद्दोजहद को अपनी फिल्मों का केंद्र बनाया था।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्विटर पर लिखा- श्री बासु चटर्जी का निधन होने से मनोरंजन की दुनिया की एक बड़ी हस्ती का अंत हो गया। उन्हें ‘खट्टा मीठा’, ‘रजनीगंधा’, ‘ब्योमकेश बख्शी’, ‘रजनी’ जैसी शानदार फिल्मों के लिए याद किया जाएगा। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चटर्जी को एक ऐसे फिल्म निर्माता के रूप में याद किया जिसने लोगों के दिलों को छुआ।प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा- श्री बासु चटर्जी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। उनका काम काफी अच्छा और संवेदनशील है। उनके काम ने लोगों के दिलों को छुआ और उन्होंने लोगों की सामान्य और जटिल भावनाओं के साथ-साथ उनके संघर्षों को भी पर्दे पर उतारा। उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, दिग्गज फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक बासु चटर्जी के निधन से दुखी हूं। उन्होंने हमें ‘छोटी सी बात’, ‘चितचोर’, ‘रजनीगन्धा’, ‘ब्योमकेश बख्शी’, ‘रजनी’ जैसी तमाम शानदार फिल्में दीं। उनके परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और पूरे फिल्म समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। बतौर कार्टूनिस्ट अपने कैरियर की शुरुआत कीचटर्जी ने एक पत्रिका में बतौर कार्टूनिस्ट अपने कैरियर की शुरुआत की थी लेकिन राज कपूर-वहीदा रहमान अभिनीत ‘तीसरी कसम’ में बासु भट्टाचार्य के साथ काम करने के बाद अपने करियर की राह बदल ली।ऋषिकेश मुखर्जी के साथ दोनों बासु भट्टाचार्य और बासु चटर्जी ने हिंदी सिनेमा की तिकड़ी बनाई जिनके फिल्मों के मूल्य मध्यम वर्ग और उसके हर दिन के संघर्ष पर टिके थे वो भी ऐसे दौर में जब बॉलीवुड की फिल्मों का ध्यान गुस्से और त्रासदियों वाली कहानियों पर था जिसके अगुवा अमिताभ बच्चन थे।चटर्जी ने मध्यम वर्ग की कहानियों को जनता तक पहुंचाने के लिए विद्या सिन्हा, अमोल पालेकर और जरीना वहाब जैसे कलाकारों को चुना।अमिताभ बच्चन ने उनकी फिल्म ‘मंजिल’ (1979) में काम किया था।महानायक बच्चन ने अपने शोक संदेश में चटर्जी को शांत, मृदुभाषी और भद्र व्यक्ति बताया।उन्होंने ट्विटर पर लिखा- उनकी फिल्मों में मध्य भारत का जीवन दिखा…उनके जाने का दुख है।चटर्जी के साथ तीन फिल्मों में काम करने वाली शबाना आजमी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, शानदार फिल्म निर्माता थे। मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनके साथ तीन अच्छी फिल्में कीं ‘स्वामी’, ‘अपने पराये’ और ‘जीना यहां’। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।उनकी बेहतरीन फिल्मों में ‘उस पार’, ‘चितचोर’, ‘पिया का घर’, ‘खट्टा मीठा’ और ‘बातों बातों में’ शुमार हैं। Post Views: 221